दहेज में कार (कहानी) ✍️ जितेंद्र शिवहरे

 दहेज में कार (कहानी) ✍️ जितेंद्र शिवहरे

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        मयंक से अमृता की शादी बात चल रही थी। अमृता की मां ने ही मयंक को पसंद किया था। जॉब में वह अमृता से नीचे था जबकि अमृता एक मल्टी नेशनल कंपनी में ब्रांच मैनेजर थी।


दोनों पक्ष रिश्ता पक्का करने बैठे थे। सुषमा ने कहा

"हम चाहते है की अमृता इसी शहर में हमारी आंखों के सामने रहे!"


मयंक अपने घरवालों के साथ अमृता की मां की बातें सुन रहा था।


"अमृता के साथ चंदन भी जायेगा। वह हमारे घर का नौकर है।" सुषमा आगे बोली!


मयंक कुछ न बोला।


"दरअसल अमृता को खाना बनाना नहीं आता इसलिए..!" अमृता के पिता महेश चंद्र बोले।


"अब अमृता नौकरी करेगी या घर के काम?" सुषमा अपने पति को बीच में टोकते हुए बोली।


मयंक के माता-पिता कुछ न बोले। उन्हें भरोसा था की अभी सुषमा जी बातें खत्म नहीं हुई है।


"4BHK फ्लेट, कार और एक करोड़ नक़द। ये सब अमृता को मिलेगा।" सुषमा देवी ने बताया।


द्वारका प्रसाद मिश्रा ने मयंक से इशारों में कुछ कहा। वे चाहते थे की मयंक अपनी बात रखें।


मयंक बोला- "इन सबके बिना भी शादी हो सकती है।"


अमृता को धक्का सा लगा। कोई लड़का मना कैसे कर सकता है। वह बोली- "तुम चाहते हो की मैं तुम्हारे पुराने घर में आकर रहूं?"


सुमन अपने बेटे के पक्ष में बोल पड़ी "मयंक ने नया घर खरीदा है। छोटा जरूर है मगर दोनों के लिए ठीक रहेगा।"


"मयंक के भविष्य के लिए बड़ों को थोड़ा त्याग तो करना ही चाहिए।" महेश चंद्र बोले।


द्वारका प्रसाद मिश्रा मुस्कुराए और बोले- "अगर मयंक इसमें खुश है तो फिर बात ही खत्म हो गई।"


निर्णय मयंक को लेना था। कुछ पलों की खामोशी के बाद वह बोला- "अगर कभी अमृता पर मुझे गुस्सा आ गया या फिर मैंने उस पर हाथ उठा दिया तो?"


ये चौकाने वाला प्रश्न था।


"गुस्सा तो मुझे भी आ सकता है?" अमृता बोली।


"ठीक कहा। इसका मतलब गुस्सा आने पर अमृता भी मुझ पर हाथ उठा सकती है।" मयंक बोला।


"इन बातों का कोई अर्थ नहीं है। आगे क्या होगा कौन बता सकता है?" सुषमा बोली।


"तब तो ये दहेज मुसीबत भी बन सकता है!" मयंक बोला।


"तुम्हें यह सब नहीं सोचना चाहिए!" महेश चंद्र बोले।


"आप अपनी बेटी के लिए इतने कठोर हो सकते है तब क्या मैं अपने परिवार का भला बुरा भी सोच नहीं सकता?" मयंक ने आगे कहा।


बहस गरमा चुकी थी। कोई भी हठ छोड़ने को तैयार नहीं था।


मयंक खड़ा हो गया।


"दो जोड़ी कपड़ों में आने को तैयार हो तो बता देना।" लोटते हुए मयंक बोल गया।


शादी की टर्म एंड कंडीशन में बदलाव करने की जरूरत थी। सुषमा अपने पति के साथ चाय की चुस्कियां लेते हुए शायद यहीं सोच रही थी।


शाम को अनिल आने वाले था। उसे विश्वास था की अनिल दहेज की कार जरूर स्वीकार कर लेगा।



The End 

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लेखक~

जितेंद्र शिवहरे, इंदौर

7746842533

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