तुम मेरे हो (भाग 11)

 तुम मेरे हो- कहानी (भाग-11)

एक कहानी रोज़-242 (16/12/2020)

'विशाल इतना कैसे बदल गया? जबकी वो मुझसे कितना प्यार करता था। वह मेरे बिना एक पल नहीं रह सकता था। आज वही विशाल मुझे छोड़कर किसी ओर को अपना सबकुछ मान बैठा है। और उसने मुझसे झुठ कहा कि वह ट्रेनिंग पर मसूरी जा रहा है जबकी वह ट्रेनिंग पर जाने से पहले भूमि और उसके बेटे से मिलने गया था। आखिर...आखिर कहां कमी रह गयी मेरे प्यार में?' पद्मिनी के चेहरे पर चिंता के भाव थे।

'मुझे कोई लड़कों की कमी थी क्या? आज भी एक से बढ़कर एक लड़के मुझसे शादी करने को तैयार है। मगर मैंने न केवल विशाल का इंतजार किया बल्कि उसके लौटने तक मैंने शादी भी नहीं की। क्योँकी मुझे विश्वास था कि एक न एक दिन विशाल जहां भी होगा वह मेरे पास वापिस जरूर आयेगा।' पद्मिनी विचार कर रही थी।

'विशाल मेरे पास वापिस तो आया, मगर किसी ओर का बनकर। भूमि इस कदर विशाल के दिल और दिमाग पर हावी है कि उसे अन्य कोई दिखता ही नहीं। ऊपर से वह जूनियर विशाल! रही सही कसर उस बच्चें ने पुरी कर दी। अब तो विशाल मुझे भूल ही जायेगा।' पद्मिनी डर गयी।

'नहीं! नहीं! ऐसा नहीं हो सकता। मैं! मैं विशाल को अपने से दूर होते नहीं देख सकती। उसके बिना मैं कैसे रह पाऊँगी?' पद्मिनी के चेहरे पर व्याकुलता थी।

'ओहहह! विशाल ये तुमने क्या कर दिया? अब मैं कहां जाऊं? किससे मदद मांगू? कौन है जो तुम्हें वापिस मेरे पास ले आये? मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती। आज मुझे एहसास हुआ है कि मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं हूं। तुम अगर मेरे नहीं हुये तब निश्चित ही मुझे मौत आ जायेगी।' पद्मिनी के हाथों में विशाल की तस्वीर थी। वह उसी से बातें कर रही थी।

'और जब विशाल को मेरे उस झूठ का पता चलेगा जिस के बल पर मैंने विशाल को मुझे स्वीकारने पर मजबूर कर दिया, तब तो क़यामत आ जायेगी। हो सकता है उसके बाद विशाल मेरा मुंह भी न देखना चाहे। वह हमेशा-हमेशा के लिए मुझसे दूर चला जायेगा। नहीं! नहीं! ये मैंने क्या कर दिया? लेकिन मैंने जो भी किया, अपने प्यार विशाल को पाने के लिए किया। इसमें गल़त क्या है? इश़्क और जंग में हर चीज़ जायज़ है। मगर यही बात मैं विशाल को कैसे समझा पाऊंगी। हां! अगर हमारी जल्दी ही शादी हो जाये तब चिंता की कोई बात नहीं। क्योँकि शादी के बाद विशाल को मेरे झुठ का पता चलता भी है तो कुछ नहीं कर सकता। उसे मुझे आजीवन अपनी पत्नी मानना ही पड़ेगा।' पद्मिनी सोच रही थी।

'लेकिन ऐसा भी तो हो सकता है कि सच पता चलने पर विशाल शादी के बाद मुझे छोड़कर उस भूमि के पास चला जाये। तब मैं करूंगी? तब...तब...मुझे कानून का सहारा लेना पड़ेगा और कानून मेरा साथ देगा क्योंकी तब तक लीगली तौर पर मैं विशाल की पत्नी हो जाऊंगी और विशाल चाहकर भी मुझे छोड़ नहीं सकेगा।' पद्मिनी  विचारों के भंवर में थी।



क्रमशः ......

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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।


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लेखक--

जितेन्द्र शिवहरे 

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टिप्पणियाँ

  1. कुल मिलाकर विशाल और भूमि के बीच ही प्रेम है। पद्मिनी ने घुस मार दी कौई अच्छे संस्कार संचित नही करे इस जिद्दी अहंकारी लङकी ने।

    विशाल भी कौनसा भला है जब भूमि पेट से है तो गुलछर्रें उङा रहा है दूसरी औरत से। इससे एक बात तो तय है कि विशाल के जीवन में अच्छे संस्कारों की कमी है।

    भूमि एक सभ्य नारी है जो सब कुछ जानते हुए भी कौई हंगामा लगी चाहती। अपने प्रेम की निशानी के साथ जीवन जीने की हिम्मत है। इसको स्त्री कहा जाता है। जबकि पद्मिनी औरत है जिसके अंदर प्रेम भाव ही नही है। आसानी से झूठ बोलते है।

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