कवि का बेरोजगारी भत्ता-लघुकथा
https://youtu.be/mbu_e7M9zME
कवि का बेरोजगारी भत्ता- लघुकथा
'प्रेम में पड़े प्रेमियों के बाद लाॅकडाऊन की मार अगर सबसे ज्यादा किसी पर पड़ती है तो वह है कवि। एकमात्र कवि ऐसा प्राणी है जिसका नम्बर सबसे बाद में आता है। सारे क्रियाकर्म सम्पन्न हो जाने के बाद कवियों के लिए यदि कुछ बचता है तब मंचीय आयोजन होते है। मोबाइल इन्टरनेट के जमाने में पुराने कवि सम्मेलन इतने देखे और सुने जाने लगे है कि नये आयोजन कोई करता ही नहीं। और जो ये गिने चुने आयोजन आयोजित होते हुये आप देख रहे है वह कवि स्वयं अपने प्रयासों से आयोजक/प्रायोजक तैयार कर करवा रहे है। आज यदि किसी की सबसे ज्यादा माली हालत खराब है तो वह है कवि! कवि के पास कविता के अतिरिक्त अन्य कोई जुगाड़ नहीं है जिसके बलबुते वह जीविका चला सके। यह और अलग बात है कि आज के कवि, कविता को साइड बिजनैस की तरह अपना रहे है। बहरहाल, कवियों को बेरोजगारी भत्ता मिलना चाहिये। क्योंकि इस लाॅकडाऊन में सबसे ज्यादा आयोजन कवियों के निरस्त हुये है। कविता के मंच से ही कवि का घरबार चलता है और यह मांग धीरे-धीरे जोर पकड़ना चाहती है। मार्च से मार्च पुरे वर्ष कवि सम्मेलन निरस्तीकरण के नाम रहा। हजारों आयोजन कैंसिल हुये। कुछ कवि सदमें में दुनिया छोड़ चले तो कुछ छोड़ने की तैयारी में है। विडम्बना देखीये कवि की सुध लेने वाला कोई नहीं। सरकार के पास कवि जाना चाहता है। अपनी पीड़ा सुनाने के लिए। मगर जाये कैसे? सरस्वती मां का आशीर्वाद धारण करने वाला लक्ष्मी जी की याचना करता हुआ कैसा लगेगा? यह दृश्य कहीं कविता के पतन की शुरुआत न हो जाये! बस इसी विचार के आगे कवि शोषित हुये जा रहा है। किन्तु सत्ता धारियों को स्वयं संज्ञान लेकर कवियों का बेरोजगारी भत्ता स्वीकृत करना चाहिये। अन्य सेवा में संलग्न कवियों को छोड़कर केवल काव्य मंच पर आश्रित कवियों को यह भत्ता मिलने की जोरदार वकालत की जाने की आवशयकता है। यह कवि और कविता दोनों के भविष्य के लिए परम आवश्यक है।' भाषण तैयार था। एक बड़े और समृद्ध साहित्यकार ने इसे दो-तीन बार पढ़कर भाषण की अच्छी तरह रिहर्सल कर ली। फिर कागज मरोड़कर अपने मोदी जैकेट के आगे वाले जेब में रख लिया। आज माननीय साहित्यकार जी कवियों की यथा स्थिति पर भाषण देने वाले है। कार में बैठकर वे आयोजन स्थल की ओर चल पड़े जहां ढेरों कवि आपको सुनने के लिए आपकी प्रतिक्षा कर रहे थे।
समाप्त
-------------------
प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमति है।
सर्वाधिकार सुरक्षित
----------------------
जितेन्द्र शिवहरे (लेखक/कवि)
177, इंदिरा एकता नगर पूर्व रिंग रोड चौराहा
मुसाखेड़ी इंदौर मध्यप्रदेश
मोबाइल नम्बर-
8770870151
7756842633
Myshivhare2018@gmail.com
Jshivhare2015@gmail.com
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें