सरकारी नौकरी वाला दूल्हा-लघुकथा

 *सरकारी नौकरी वाला दूल्हा-लघुकथा*

         *"देखीये* हमें अपनी बेटी संजना के लिए सरकारी नौकरी वाला लड़का ही चाहिये। आप कृपया अपने क्लर्क बेटे को यहां से ले जायें!" सजंना की मां अंजना ने अक्षय के माता-पिता से साफ शब्दों में कह दिया।

अक्षय को कांटों तो खून नहीं था। उसके माता-पिता का घोर अपमान वह सहन नहीं कर पा रहा था। अक्षय ने तब ही से प्रण लिया कि वह किसी भी दशा में सरकारी नौकरी हासिल कर के रहेगा।

संजना की दिनों-दिन बढ़ती खुबसूरती उसे बेहतर वर हेतू योग्य बनाती है, ऐसा उसके माता-पिता का मानना था। स्वयं संजना का ब्रेनवाॅश इस कदर हो चूका था कि वह अपने आपको बेहतर से बेहतर वर के योग्य समझने लगी थी। सरकारी नौकरी वाले वर की तलाश में संजना की आयु धीरे-धीरे बढ़ने लगी।

अक्षय की चुनौती अंजना और संजना दोनों ही भूल गये। कुछ ही वर्षों में अक्षय ने अपनी कढ़ी मेहनत और सच्ची लगन से लोक निर्माण विभाग में सरकारी नौकरी हासिल कर ली।

एक बार फिर लड़का और लड़की को देखने की रस्म निभाई जाने लगी। यह रस्म अब अक्षय के घर पर हो रही थी। अक्षय की सफलता पर सभी खुश थे। अंजना को अपनी बेटी संजना की किस्मत पर गर्व होने लगा था। अक्षय की सरकारी नौकरी का सुनकर ही संजना के माता-पिता ने शादी के लिए हां कर दी थी। अक्षय की अभिस्वीकृति का सभी को इंतजार था। 

चाय-नाश्तें के बाद सभी चाहते थे कि अक्षय अपनी शादी की स्वीकृति देकर सभी को आश्वस्त करें।

"मुझे अपने लिए सरकारी नौकरी वाली लड़की ही चाहिये। आप कृपया अपनी मतकमाऊ और अति सुन्दर  बेटी संजना को यहां से लेकर चले जाइये।" अक्षय ने अंजना से कहा।

यह सुनकर सभी सन्न रहे गये। इसमें कोई शक नहीं था कि अंजना की बेरूखी के कारण ही अक्षय ने सरकारी नौकरी हासिल करने का प्रण किया था तथापि वह संजना के परिवार वालों को यह बताना चाहता था कि गैर सरकारी लड़के के परिवार वालों का भी उतना ही मान-सम्मान होता है जितना कि सरकारी नौकरी वाले युवक और उसके परिवार का।

अक्षय ने किसी की नहीं सुनी। जिस तरह संजना की खुबसूरती पर उसे और उसके माता-पिता को अभिमान था ठीक उसी तरह अक्षय को अपनी सरकारी नौकरी पर गर्व था। संजना की सुन्दरता प्राकृतिक थी जबकी अक्षय ने नौकरी की सफलता बड़ी मेहनत और अनगिनत प्रयास के परिणाम स्वरुप प्राप्त की थी। अंजना और संजना दोनों को अक्षय के इंकार ने यह बता दिया था कि केवल सुन्दरता के बल पर शादी के लिए अच्छे युवक नहीं मिल सकते। इसके लिए माधुर्य व्यवहार और आदर-सत्कार भी परम आवश्यक है।


समाप्त

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जितेन्द्र शिवहरे (लेखक/कवि)

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