सिंगल मदर-कहानी
*सिंगल मदर-कहानी*
*माधवी* को सहेलियां जब भी मिलती, 'समय रहते उसको दूसरी शादी कर लेना चाहिए था', अवश्य कहती। आयु में अर्द्धशतक के करीब पहूंच चूकी माधवी ने पति के निधन के बाद अकेली ही तान्या की न केवल बेहतर परवरिश की बल्कि सुयोग्य वर के साथ उसकी शादी भी करवाई। रोहन बैंक मैनेजर था। तान्या उच्च शिक्षित होकर अन्य शहर में कार्यरत थी। समय-समय पर तान्या अपनी माॅम की पूछपरख लिया करती। रोहन भी यथा संभव अपनी सास माधवी के साथ सहयोगात्मक व्यवहार करता। किन्तु बहूं और दामाद के अन्य शहर में निवासरत होने के कारण माधवी का अधिकतर समय अकेले ही बितता। कभी-कभी माधवी को अनुभव होता की काश तान्या के बाद उसकी कोख से एक बेटा भी जन्म लेता। निश्चित ही पति के अधुरे दायित्व उसका बेटा पूरा करता। ऐसा नहीं था की माधवी दूसरी शादी के विरूद्ध थी। माधवी को बेटी के साथ स्वीकारने का साहस उसके विवाह प्रस्तावक कभी दिखा नहीं सके। फलतः माधवी ने शादी का इरादा त्याग कर अपना सम्पूर्ण ध्यान तान्या की देखभाल में लगाना निश्चित किया। तान्या की पढ़ाई-लिखाई में वह कभी कुशल टीचर बनी तो कभी तान्या को स्वादिष्ट भोजन बनाना सिखाने में प्रोफेशनल शैफ की भूमिका में नज़र आई। माधवी ने तान्या को दुनियां-दारी ही नहीं सिखाई अपितु तान्या पर सामाजिक रीती-रिवाज और परंपराओं को थोपने के बजाये उन्हें जानने-समझने की जिज्ञासा जागृत की। माधवी ने तान्या को सही और गलत का निर्णय लेने के लिए मानसिक रूप से परिपक्व बनाया। लेकिन फिर एक ऐसी समस्या आन पड़ी जिसने माधवी के जीवन में भूचाल सा ला दिया। अभिनव उसका फेसबुक फ्रेण्ड था। सोशल मीडिया के माध्यम से ही अभिनव और माधवी ने परस्पर निजी जानकारी शेयर की थी। माधवी ने नोट किया कि अभिनव उसकी निजी लाइफ में गहरी रुचि रखता था। माधवी की रचनात्मक गतिविधियां अक्सर न्यूज पेपर्स में छपा करती। जिन्हें पढ़कर अभिनव के द्वारा माधवी के प्रति बधाईयों का तांता लग जाया करता। अभिनव की दरियादिली से माधवी प्रभावित थी। फिर एक दिन अभिनव ने उसके पिता गोकुल प्रसाद और माधवी की मुलाकात करवा दी। गोकुल प्रसाद ने पिछले वर्ष ही धर्मपत्नी मंगला को खोया था। तब से गोकुल प्रसाद कुछ मायुस हो चूके थे। वे घंटों-घंटों तक मंगला के तस्वीर को निहारा करते। पत्नि के शोक में गोकुल प्रसाद की मुस्कराहट गायब-सी हो गयी थी। अभिनव को पिता की यह दशा असहनीय लगती। उसने साहस जुटाकर माधवी को पिता गोकुल प्रसाद से शादी करने का प्रस्ताव दे दिया। अभिनव के प्रस्ताव की सोच-सोच माधवी रात-रात भर सो नहीं पाती। वह गोकुल प्रसाद के विषय में न चाहते हुये भी सोचने लगी थी। जीवन के अंतिम पढ़ाव पर आकर एक नये हमसफ़र को स्वीकार करना माधवी के लिए सरल नहीं था। उसने तान्या को यह सब बताया। तान्या को समझ नहीं आया कि अपनी मां को दूसरी शादी करने के लिए सहमति दे या नहीं? रोहन के कानों तक भी बात पहूंची। वह चिढ़ गया। उसने साफ मना कर दिया और तान्या को भी माधवी के निर्णय पर सहयोग करने के लिए इंकार कर दिया। माधवी विचारों के संकट का सामना कर रही थी। कहीं उसके इस निर्णय से उसकी बेटी का बसा बसाया परिवार प्रभावित न हो जाये। तान्या बेग में सामान समेटर अपनी मां के पास आ गयी। रोहन से उसका जबरदस्त झगड़ा हुआ था माधवी की शादी को लेकर। माधवी अपनी बेटी को समझाने में असफल थी। तान्या ने अभिनव और गोकुल प्रसाद के संबंध में सभी जरूरी जानकारी जुटाई। वह अपनी जांच-पड़ताल से प्रसन्न थी। गोकुल प्रसाद और माधवी की शादी की तैयारियां शुरू हुई। पूरे शहर में इस परिपक्व युगल की शादी चर्चा का विषय थी। तान्या हर मूल्य पर अपनी मां की शादी करवाना चाहती थी। अभिनव स्वयं पिता का अकेलापन दूर करना चाहता था। दोनों संतानें अपने जनक और जननी के लिए दुनियां से बैर पाले बैठे थे। तमाम विरोध के बाद भी यह शादी हुई जिसने अकेले जीवन कांट रहे मैच्योर (प्रौढ़) लोगों के मन में आशा की एक नई किरण जागृत कर दी।
समाप्त
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जितेन्द्र शिवहरे (लेखक/कवि)
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