अपराधनी-कहानी

 अपराधनी-कहानी


"ये क्या बकवास कर रही है निकिता! तुम इतना गिर जाओगी मैंने कभी सोचा भी नहीं था।" प्रमिला का गुस्सा सातवें आसमान पर था?

"मैं जानती थी बीबी जी! आपको मेरी बात पर विश्वास नहीं होगा। लेकिन मैंने जो कुछ भी कहा वह सच है।" निकिता बोली।


"ये सब पैसों के लिए कर रही है न तू! तुने जानबूझकर मेरे पति और बेटे को अपने हुस्न के जाल में फंसाया होगा।" प्रमिला ने निकिता से कहा।


"नहीं बीबी जी! मुझे पैसों का लालच नहीं है। एक नौकरानी होने के बावजूद आपने हमेशा मुझे अपने घर के सदस्य की तरह रखा, मेरे सुख-दुःख में काम आये, भला मैं आपके साथ विश्वासघात क्यों करूंगी।" निकिता ने कहा।


तब ही राजीव अपने युवा बेटे क्रिश के साथ फ्लैट में दाखिल हुआ।

कुछ पलों के लिए वहां शांति थी। प्रमिला और निकिता को गंभीर मुद्रा में देखकर राजीव के होश उड़ गये। क्रिश भी सकते में आ गया।


"राजीव और क्रिश! निकिता जो कह रही क्या वह सच है? क्या तुम दोनों ने फंक्शन वाली रात इसके साथ गल़त हरकत की थी?" प्रमिला बोली।


"निकिता झूठ बोल रही है प्रमिला! हमने ऐसा कुछ नहीं किया।" राजीव बोला।


"हां! ममा! ये हम दोनों को बदनाम कर पैसे ऐंठना चाहती है।" क्रिश ने अपने पिता की बात आगे बढ़ा दी।


"निकिता ने पूलिस को काॅल कर दिया है। वो लोग कभी भी यहां आते होंगे। अब या तो तुम लोग अपना जुर्म कूबूल कर जेल चले जाओ या फिर निकिता से माफी मांगकर उससे समझौता कर लो।" प्रमिला ने फैसला सुना दिया।


पुलिस का नाम सुनते ही राजीव के हाथ पैर ठंडे पड़ गये। वह धम्म से सोफे पर बैठ गया। क्रिश भी व्याकुल हो गया। उन दोनों के चेहरे पसीने से नहा गये। सोसाइटी में इस बात की खबर फैलते ही दोनों को अपना जीवन बर्बाद होते दिख रहा था।


"हां प्रमिला! उस दिन मैं बहक गया था। क्रिश और मैं बियर के नशे में थे। सबके जाने के बाद हमने निकिता के साथ बत्तमीज़ी की थी।" राजीव ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया।


"ममा! मुझे माफ कर दो।" क्रिश बोला।


एक के बाद एक कर दोनों बाप-बेटों के गाल पर प्रमिला के तमाचे पुरे हाॅल में गूंज उठे।


"बीवी जी! मैं अपराधनी नहीं हूं मुझे यही सिद्ध करना था। अब आप मुझे काम पर से निकाल सकती है।" निकिता बोली।


"नहीं निकिता। तुम यही काम करोगी। ये दोनों जब भी तुम्हें देखेगें शर्म से अपनी आंखें नीचे कर लेंगे। इनकी यही सज़ा है कि अपने ही घर में अपराधी बनकर रहेंगे।" प्रमिला बोली।


"लेकिन बीवी जी...!" निकिता बोलना चाह रही थी।


"निकिता हमारे समाज में राजीव और क्रिश जैसे बहुत से लोग है। कब तक इनके डर से अपना काम छोड़ती रहोगी।" प्रमिला बोली।


प्रमिला के उद्बोधन से सन्नाटा पसर गया।


"अगर इन दोनों ने फिर तुम्हारे साथ ऐसी-वैसी हरकत करने की कोशिश की तो इस बार मैं स्वयं पुलिस को बुलाऊंगी।" प्रमिला बोली।


"इसका मतलब...!" राजीव बोलते-बोलते रुक गया।


"हां! मैंने तुम दोनों के मुंह से सच उगलाने के झूठ कहा था कि नीकिता ने पुलिस को बुला लिया है।" प्रमिला ने बताया।


निकिता ने साड़ी का पल्लू कमर में खोंसते हुये हाॅल में झाडू लगाना शुरू कर दिया। उसे प्रमिला पर गर्व था जो घर की नौकरानी की इज्जत के लिए अपने पति और बेटे से लड़ गयी।


समाप्त

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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमति है।


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जितेन्द्र शिवहरे (लेखक/कवि)

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