भावी जीवनसाथी- लघुकथा
भावी जीवनसाथी- लघुकथा
बस स्टैण्ड पर खड़ी तीन युवतियां अपने-अपने होने वाले जीवनसाथी के विषय में बातें कर रही थी। शुमोना ने कहा कि वह एक ऐसे युवक को चयन करेगी जो हृष्ट-पुष्ट और लम्बू-चौड़े शरीर का स्वामी हो। जिसके सानिध्य में देखने वाले दोनों को बस देखते रहे।
शालिनी चाहती थी कि उसके सपनों का राजकुमार धनाढ्य घराने से होना चाहिए। जिससे भविष्य में उसे किसी भी सुख-सुविधा से वंचित न रहना पड़े।
रुचि मौन थी। उसे भी अपनी राय बताने के लिए आमंत्रित किया गया।
"मैं ऐसे जीवन साथी की तलाश में हूं जिसके साये में मैं ही नहीं दुनिया की सारी लड़कियां स्वयं को सुरक्षित महसूस करें।" रुचि ने कहा।
तब ही मोहल्ले के रामचरण ने अपनी मोटरसाइकिल तीनों युवतियों के पास रोक दी। तीनों सहेलीयां चाहती थी कि रामचरण उन्हें लिफ्ट लेकर अपनी बाइक पर बैठा लें।
रामचरण की छवि समूचे मोहल्ले में सेवाभावी पुरूष की थी। उसके सानिध्य में नगर की बहू-बेटियां निर्भीक हो जाया करती थी। परिवार के मुखियां रामचरण के सद्व्यवहार से प्रसन्न थे। यद्यपि रामचरण विवाहित था तथापि उसके जैसे पुरुष को दामाद स्वरुप वरण करने की अभिलाषा हर मां-बाप की थी।
रूचि का प्रतिउत्तर सुनकर शुमोना और शालिनी चूप हो गयी। रूचि का मनपसंद पुरूष उन दोनों के भावी जीवनसाथी से श्रेष्ठ हो न हो मगर रामचरण के आचरण ने उन्हें सोचने पर विवश जरूर कर दिया था।
जितेन्द्र शिवहरे
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें