कमरा नं. 302- कहानी
कमरा नं. 302- कहानी
विवान से फोन पर बार कर अवनी स्तब्ध थी। उसने अवनी के विषय में ऐसा सोचा भी कैसे? अवनी सोच रही थी। 'विवान दिखने में तो अच्छे परिवार का पढ़ा लिखा और समझदार युवक है। वह इतनी घटिया बात कैसे कह सकता है! और इसमें उसकी बहन तनवी भी विवान का साथ दे रही थी।'
अवनी गुस्से में खड़ी हो गयी। 'नहीं मैं विवान से मिलने ऑरेंज होटल के कमरा नं. 302 में नहीं जाऊंगी। विवान ने ऐसे सोच भी कैसे लिया कि मैं इस काम में उसका साथ दूंगी?' अवनी आईने के सामने खुद को देखते हुये सोच रही थी।
अवनी ने निर्णय लिया की वह विवान से शादी करने का इरादा भी छोड़ देगी। जो पुरूष विवाह पुर्व उसके सम्मान की परवाह नहीं करता वह शादी के बाद अवनी का क्या ख़याल रखेगा? अवनी ने मोबाइल हाथ में लिया। उसने विवान को फोन मिला दिया। किन्हीं कारणों से विवान अवनी का फोन रीसीव नहीं कर पाया। अवनी ने अगला फोन तनवी को किया। उसने तनवी को सारी बात बताकर इस रिश्ते को समाप्त करने की घोषणा कर दी। तनवी ने अवनी को समझाने की पूरी कोशिश की मगर अवनी नहीं मानी।
तनवी की इस बात पर वह राजी हो गयी की होटल में आकर उसे खुद ही विवान को शादी के लिए इंकार करना होगा। तनवी भी उसके साथ वहां उपस्थित होगी।
होटल में दाखिल होते हुये तनवी की आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। होटल की मैनेजर और तनवी की होने वाली सास विभा ने तनवी का प्यार भरा वेलकम किया। होटल के मुख्य शेफ और तनवी के ससूर सूर्यकांत ने होटल की सबसे प्रसिद्ध डिश तनवी को अपने हाथों से बनाकर परोसी। वहीं सहायक प्रबंधक के रूप खड़े विवान को देखकर अवनी हैरत में पड़ गयी। तनवी ने बताया की वह भी होटल में रुम सर्विसिंग का काम देखती है। स्वयं की ऑरेंज होटल में सारा दिवान परिवार होटल में नौकरी करता है और उसी होटल के कमरा न. 303 में स्थाई रुप से निवास करता है।
अनवी अपनी भूल पर शर्मिन्दा थी। वह माफी मांगने आगे बढ़ी ही थी कि उसकी होने वाली सास विभा ने अवनी के सिर पर प्यार से हाथ फेरा और पूंछा- "अवनी क्या अब तुम मेरे बेटे विवान से शादी करने के लिए तैयार हो?"
अवनी मुस्कुरा दी। यह उसकी सहमती का ग्रीन सिंग्नल था। अवनी और विवान की शादी संपन्न हुई। अब अवनी भी होटल की वयवस्था में हाथ बंटाती है और अब कमरा नं. 302 उसकी सबसे फेवरीट जगहों में से एक है।
लेखक-
जितेन्द्र शिवहरे
मो. 7746842533, 8770870151
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