जादूई कुआं और प्यासी चुड़ैल

 जादूई कुआं और प्यासी चुड़ैल 


शहर को रावणपुर गांव से जोड़ने वाली सड़क पर घना जंगल पड़ता था। शहर की ओर जाने वाली उस कच्ची सड़क से गांव वाले कभी अकेले नहीं गुजरते थे। कहते है कि घने जंगल के बीच उस सड़क पर एक जादुई कुंआ है जहां से रहस्य मयी आवाजें आया करती है। बताया जाता है कि ये आवाज़े उस कुएं में रहने वाली एक भयानक चुड़ैल की है कि जो हर आने-जाने वालो को पानी पीने के बहाने कुएं के पास बुलाती है और फिर उन्हें पानी के बदले अपना खून देने की शर्त रखती है। जो अपना खून चुड़ैल को देने से मना कर देता है चुड़ैल उस आदमी के सिर के टूकड़े टूकड़े कर देती है और उसका सारा खून पीकर लाश को कुंए के अंदर ले जाकर दफन कर देती है। डर के मारे कोई भी कुएं के पास नहीं जाता था। सुना था जो भी उन आवाजों के जाल में फंस कर कुएं के पास गया वह आज तक जिंदा बचकर नहीं लौटा।


गांव में रामा नाम का युवक बहुत बहादुर था। उसने निश्चित किया कि वह जादुई कुएं का रहस्य पता कर के ही रहेगा ताकि गांव वालों का डर कम हो सके और वे आराम से अकेले भी शहर आया-जाया करें।


'रामा जंगल जा रहा, उस जादूई कुएं और चुड़ैल का रहस्य पता करने' यह बात जानकर गाव के संरपच बादल सिंह रामा से मिलने के लिए आये।


"अरे! रामा! मैने सुना है तुम उस जादूई कुंए का रहस्य पता करने जंगल में जा रहे हो?" गांव के संरपच बादल सिंह ने रामा से पूंछा।


"हां सरपंच जी! मैं चाहता हूं गांव वाले उस जादुई कुएं और चुड़ैल के खौफ से जल्दी से जल्दी आजाद हो जाएं ताकि हम सब बेफिक्र होकर शहर आ और जा सके।" रामा ने संरपच जी से कहा।


"लेकिन रामा! तुम्हे कुछ हो गया तो तुम्हारे घरवालों का क्या होगा? जानते हो न वो जादुई कुंआ और वह भयानक चुड़ैल गांव के कितनों ही लोगों को मार चूकी है?" सरपंच जी ने रामा को समझाया।


"सरपंच जी! मुझे कुछ नहीं होगा। आप और गांव वाले निश्चिंत रहिए। मैं चला उस जादूई कुएं और चुड़ैल के पास। जल्दी ही लौटूंगा।" कहते हुये रामा जंगल की ओर चल दिया।


रामा को चलते-चलते दोपहर हो गयी। गर्मी का मौसम था, उसे जीरो की प्यास लग रही थी। तब ही रामा के कानों में एक आवाज सुनाई दी-


"ठंडा और मीठा पानी पीना है तो कुएं के पास चले आओ।"


ठंडा और मीठा पानी पीना है तो कुएं के पास चले आओ।"


रामा आवाज़ की दिशा में चलने लगा।


पसीने से तरबदर वह जहां से आवाज़ आ रही थी रामा उस दिशा में आगे बढ़ रहा था। यह चुड़ैल की आवाज़ थी। 


"ठंडा और मीठा पानी पीना है तो कुएं के पास चले आओ।"


रामा कुंए के पास जा पहूंचा। कुआं साफ और स्वच्छ पानी से लबालब भरा था। रामा को पानी पीने की तीव्र इच्छा हो रही थी। कुंए के पास ही एक बाल्टी रखी थी जो रस्सी से बंधी हुई थी। रामा ने वह बाल्टी कुंए में डाल दी और रस्सी को हाथों से पकड़ कर पानी से भरी बाल्टी को वह ऊपर खींचने लगा।


मगर ये क्या? बाल्टी जैसे ही कुंए के ऊपर आई, कुएं की वह प्यासी चुड़ैल बाल्टी में बैठकर बाहर आ गयी।


"हीं हीं हीं!" चुड़ैल हंसने लगी।


रामा डर गया और उसके हाथों से रस्सी छूट गयी। वह नीचे गीर पड़ा।


चुडैल कुएं के बाहर आकर आ गयी। वह हवा में झूल रही थी। चुड़ैल बहुत ही भयानक थी। काले रंग के चेहरे पर नुकीले और लंबे दांत और बिखरे हुये बाल में वह चुड़ैल और भी ज्यादा भयानक लग रही थी।

 

"यदि तुझे इस कुंए का पानी पीना है तो पानी के बदले अपना खून देना होगा।" चुड़ैल रामा से बोली।


"मगर क्यों?" नीचे गीरा पड़ा रामा डरते हुये बोला।


"क्योंकि जिस तरह तुम इंसानों को पानी की प्यास लगती है वैसे ही हम चुड़ैलों को खून की प्यास लगती है। अब जल्दी करो, तुम्हें जितना पानी पीना है इस कुएं में से निकालकर पीलो और उस पानी के बदले यानी जितना पानी तुमने पिया है उतना ही अपना खून इस बाल्टी में भरकर मुझे लौटा दो।" चुड़ैल ने कहा।


"और अगर मैने अपना खून नहीं दिया तो?" रामा ने हिम्मत करके पूंछा। अब वह खड़ा हो चूका था। 


चुड़ैल अब भी हवा में झूल रही थी।


"हीं हीं ही! यदि तुने मेरी बात नहीं मानी मैं तेरे सिर के टूकड़े टूकड़े कर दूंगी और तेरे शरीर का सारा खून पी जाऊंगी।" चुड़ैल हंसते हुये बोली।


"ठीक है। मगर मेरी भी एक शर्त है राजकुमारी चुड़ैल?" रामा ने कहा।


"क्या कहा राजकुमारी चुड़ैल? क्या तुमने मुझे राजकुमारी चुड़ैल कहा?" हैरान चुड़ैल ने पूंछा।


"हां! तुमने सही सुना। मैंने तुम्हें राजकुमारी चुड़ैल कहा।" रामा ने अपने डर पर काबू पा लिया था। अब वह बिना भय के चुड़ैल से बातें कर रहा था।


"मगर तुमने ऐसा क्यों कहा?" चुड़ैल ने चिढ़ते हुये कहा।


"वो मैं तुम्हें बाद में बताऊंगा। पहले बताओ यदि मैं तुम्हें पानी के बदले अपना खून दे दूं तब क्या तुम्हें मेरी वह शर्त मंजूर है?" रामा ने आगे पूंछा।


"कैसी शर्त ?" चुड़ैल ने पूंछा।


"तुम्हें मुझसे शादी करनी होगी और हमेशा-हमेशा के लिए मेरे साथ रहना होगा। बोलो मंजूर है।" रामा ने पूछा।


"तेरी बुद्धि की दाद देनी पड़ेगी लड़के। तु सचमुच में बहादुर है। खून निकल जाने के बाद तेरी जान को खतरा हो सकता है इसलिए जानबूझकर तुने मुझसे शादी करने की शर्त रखी क्योंकि शादी के बाद तु मेरा पति बन जायेगा और मैं तुझे मरने नहीं दूंगी।" चुड़ैल बोली।


"इतना ही नहीं।" रामा बोला। "इंसान और चुड़ैल का मेलजोल कभी नहीं हो सकता इसलिए तुम मेरी शर्त कभी नहीं मानोगी क्योंकि मुझसे शादी करने के बाद तुम चुड़ैल नहीं रहोगी, तुम्हे हमेशा-हमेशा के लिए पाताल लोक में जाना होगा। और निर्दोष गांव वालों को तुमसे छुटकारा मिल जायेगा।" रामा ने कहा।


"तु सच में एक अच्छा इंसान है रामा! मैं तुझसे बड़ी प्रसन्न हूं क्योंकि तुने दूसरों के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। मैं तेरी शर्त मानने के लिए तैयार हूं। लेकिन इससे पहले तुझे ये बताना होगा कि तुने मुझे राजकुमारी चुड़ैल क्यों कहा।" चुड़ैल ने पूँछा।


"वो भी बताऊंगा मगर पहले इस कुंए को छोड़ो और जिनको भी तुमने मारा है उन्हें फिर से जिंदा करो और इस कुएं से बाहर निकालो ताकि इस रहस्यमयी कुंए का रहस्य खत्म हो सके।" रामा ने कहा।


"ठीक है रामा! अब तुम मेरे पति बनने वाले हो इसलिए मैं तुम्हारी सभी बातें मानूंगी।" चुड़ैल ने रामा से कहा और हाथों के जादू से कुएं में जादूई रोशनी फैला दी।


देखते ही देखते गांव के बहुत से नौजवान लोग जिंदा होकर कुएं से बाहर आने लगे।


गांव के सरपंच और बाकी गांव वाले भी वहां आ पहूंचे।

जिंदा होकर लौटे सभी लोग एक-दूसरे से मिलकर खुश थे। गांव के संरपच और सभी रामा का धन्यवाद दे रहे थे।


रामा ने चुड़ैल का हाथ पकड़ लिया। चुड़ैल रामा को हाथ से पकड़े हूये आकाश में ले गयी। देखते ही देखते दोनों आंखों से ओझल हो गये।


गांव वाले हाथ हिलाकर दोनों को विदाई दे रहे थे।


यह अंक यही समाप्त हुआ।

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आखिर रामा ने चुड़ैल को 'राजकुमारी चुड़ैल क्यों कहा?'


जानिए क्या है रहस्य राजकुमारी चुड़ैल का...


अगले एपीसोड में जिसका नाम है- राजकुमारी चुड़ैल।


तो देखते रहिए जितेन्द्र की हाॅरर कहानीयां।


जहां आपको देखने को मिलेंगे रहस्य और रोमांच से भरे ताजा-तरीन हाॅरर एपीसोड।


जितेन्द्र शिवहरे 

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