राजकुमारी चुड़ैल
राजकुमारी चुड़ैल
चुड़ैल और रामा आसमान में उड़ रहे थे। उड़ते-उड़ते हुये दोनों एक पहाड़ पर उतरे। रामा जानता था कि चुड़ैल यह जानने को उत्सुक थी कि रामा ने उसे राजकुमारी चुड़ैल क्यों कहा?
"लो रामा! अब हम इंसानो से बहूत आ दूर गये। अब तो बताओ कि तुमने मुझे उस समय राजकुमारी चुड़ैल क्यों कहा?" चुड़ैल ने पूछा।
"क्योंकि मुझे पता है कि तुम पिछले जन्म में एक सुन्दर राजकुमारी थी। ये बात मुझे मेरे दादाजी ने बताई थी जो उस समय तुम्हारे महल में काम करते थे। एक बार तुम वन में शिकार खेलने गयी हुईँ थी। तब ही तुम घने जंगल में रास्ता भटक गयी।"
"जंगल के कुछ डाकुओं ने तुम्हें देख लिया। तुम अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागी। भागते-भागते तुमने एक सुखे कुएं में छलांग लगा दी। कुंआ काफी गहरा था। जिसमें कुदते ही तुम मर गयी। बे-मौत मरने के कारण तुम राजकुमारी से चुड़ैल बन गयी। तब से जंगल में हर आने जाने वालो को तुम पानी पीने के बहाने बुलाकर उसे मार देती थी।"
"लेकिन मुझे ये सब याद क्यों नहीं है। तुम झूठ बोल रहे हो! सच-सच बताओ वर्ना मैं तुम्हारा यहीं खात्मा कर दूंगी।" राजकुमारी चुड़ैल गुस्से में बोली।
"एक ॠषि के श्राप के कारण तुम्हें कुछ भी याद नहीं है!" रामा ने आगे बताया।
"अब ये क्या नया ड्रामा है रामा। तुम अपनी जान बचाने के लिए मुझसे झूठ पर झूठ बोले चले जा रहे हो।" चुड़ैल बोली।
"ये सच है। राजकुमारी चुड़ैल! जब तुम शिकार खेलने अपने सैनिकों के साथ जंगल में जा रही थी, ये उस समय की बात है। सैनिकों और तुम्हारी सहेलियों को पानी की प्यास लगी, क्योंकि सभी जंगल में काफी दूर तक निकल आये थे। तब ही सैनिकों को एक दिव्य महात्मा की कुटिया दिखाई दी। सभी पानी पीने के कुटियां के पास पहूंचे।"
"कुटिया में ऋषि गौतम योग निद्रा में बैठे थे। सैनिकों को प्यास लग रही थी। घोड़े भी पानी के हिनहिना रहे थे। तुमने सैनिकों को आदेश दिया कि कुटिया में जहां भी पानी मिले लाकर तुम्हें दे और स्वयं भी पीले तथा घोड़ों को भी पिलायें। सैनिकों को ने ऐसा ही किया। उन्होंने बिना ॠषि गौतम की आज्ञा लिए कुटिया में घुस कर पानी के सभी मटके बाहर निकाल लिये और पानी पीने लगे। राजकुमारी ने भी अपनी प्यास बुझाई। पानी पीकर सैनिकों ने मटके फैंक दिये और लौटने लगे। तब ही ऋषि गौतम की योग निद्रा मटके फूटने की आवाज़ सुनकर भंग हुई। वे चौंककर बाहर निकले। राजकुमारी ने ऋषि गौतम को प्रणाम तक नहीं किया और बिना कुछ बोले वहां से जाने लगी।"
क्रोध में आये ऋषि गौतम ने राजकुमारी को श्राप दे दिया- "एक राजकन्या होकर तुने न केवल जल देवता का अपमान किया है अपितु एक ॠषि और उसकी कुटियां का भी अपमान किया। मैं तुझे श्राप देता हूं तु अभी इस घने जंगल में कहीं खो जायेगी। इसी वन में तेरे प्राण निकल जायेंगे तथा हमेशा हमेशा के एक चुड़ैल बनकर एक कुएं में निवास करेगी। और यहां जो कुछ भी हुआ तुझे कुछ याद नहीँ रहेगा।"
राजकुमारी का सारा घमंड पल भर में छुमंतर हो गया। वह घोड़े से उतरकर ऋषि गौतम के चरणों में जा गिरी।
"नहीं गुरदेव। मुझे क्षमा कर दीजीए। मुझसे बहुत बड़ा पाप हो गया। कृपया मुझे इतना बड़ा दंड न दीजिये। मुझे क्षमा कर दीजिए।" राजकुमारी रोते हुये बोली।
राजकुमारी की क्षमायाचना से गुरूदेव पिघल गये
उन्होंने आगे कहा-
"बहुत सालो के बाद जब कोई नौजवान युवक तुझे ये सब याद दिलायेगा तब तुझे सबकुछ याद आ जायेगा। उससे शादी करने के बाद ही तु अपने इंसान रूप में आ सकेगी और अपने जीवन के बाकी बचे इंसानी साल उस युवक की पत्नी बनकर गुजार सकेगी।"
रामा ने बताया।
"हां रामा! मुझे सबकुछ याद आ गया। तुम इंसान नहीं कोई फरिश्ता हो। मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूं।"
रामा और राजकुमारी चुड़ैल ने खुशी-खुशी शादी कर ली। शादी की रात ही चुड़ैल एक खुबसूरत राजकुमारी में बदल गयी। अब वह बहुत ही सुन्दर दिखाई दे रही थी। राजकुमारी ने अपने पति रामा के पैर छुये। रामा ने उसे गले से लगा लिया। लेकिन ये क्या? रामा ने अपने कमर में छुपाया हुआ एक छुरा निकाला और राजकुमार के पेट में धंसा दिया। हैरान राजकुमारी देखते ही देखते काव के गाल में समा गयी। उसकी मृत्यु हो गयी।
आखिर रामा ने राजकुमारी चुड़ैल को क्यों मारा?
जानने के लिए देखीये कहानी का अगला भाग...
"चुड़ैल का बदला"
जितेन्द्र शिवहरे
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