नेताजी चुनाव पर है

 नेताजी चुनाव पर है

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(वन एक्ट प्ले)


(चुनाव के दौर में नगर में वोट मांगने आये युवा नेता और नगरवासियों में बातचीत चल रही थी।)


बुजुर्ग- जाओ नेता जी जाओ! तुम सरीखे पहले भी कितने ही नेता आये और चले गये। लेकिन हमारी बिजली, पानी और सड़क की समस्या जस की तस बनी हुई है।


महिला- अब हम तुम्हारे चंगुल में फंसने वाले नहीं है। हम इस चुनाव में तुम्हें वोट नहीं देंगें।


युवक- सही है। नगर का विकास नहीं तो वोट भी नहीं।


(सभी एक साथ) हां! हा! विकास नहीं तो वोट नहीं!

विकास नहीं तो वोट नहीं!


(युवा नेता हाथों के इशारे से सभी रहवासियों को शांत रहने की अपील करता है। सभी चुप हो गये)


युवा नेता- लोग वोट मांगने आते है जीतने के लिए! लेकिन मैं इस चुनाव में जीतने के लिए नहीं आया हूं।


बुजुर्ग- तो तुम यहां किसलिए आये हो?

युवा नेता- मैं यहां हारने के लिए आया हूं।


(सभी चौंक जाते है। वे सभी युवा नेता की बातें ध्यान से सुनने लग जाते है।)


युवा नेता- भाईयो-बहनों! आपने सही सुना। मैं चुनाव में आपसे अपने लिए वोट मांगने नहीं आया हूं। बल्कि में चाहता हूं कि आप सभी लोग मुझे अपना किमती वोट न देकर मुझे इस चुनाव में हरा दें।


महिला- लेकिन तुम ऐसा क्यों चाहते हो कि हम तुम्हें वोट न दे और तुम्हें चुनाव में हरा दें।


युवा नेता- बहन! मैं सिर्फ इतना ही नहीं चाहता कि आप लोग मुझे अपना वोट न देकर हरा दो बल्कि मैं तो चाहता हूं कि आप उन सभी अयोग्य उम्मीदवारों को अपना वोट न दे जिन्होंने आपके लिए, आपके मोहल्ले के लिए और हमारे देश के लिए अब तक कुछ नहीं किया। जिन्होंने सिर्फ अपना और अपने लोगों का भला किया है ऐसे झूठे और दोगले राजनेताओं को आप इस चुनाव में हरा दीजिए। राजनीति जिनके लिए एक व्यापार है ऐसे सभी नेताओं को हराने की अपील करने मैं आप सभी के बीच आया हूं।


युवती- लेकिन इससे तुम्हें क्या फायदा होगा? तुम क्यों अपना समय और पैसा दोनों बर्बाद कर रहे हो?


युवा नेता- सिस्टर! मैं ये सब इसलिए कर रहा हूं ताकि तुम सुरक्षित रहो। ताकि मेरे शहर कि हर लड़की अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सके। वह कभी भी कहीं भी आ और जा कर सके और गुंडो-मनचलों का आतंक समाप्त हो सके।


बूढ़ी मां- लेकिन ये सब कैसा होगा?


युवा नेता- जब आप लोग सच का साथ देने लगोगे तब। धूर्त, मक्कार और भष्ट्राचारीयों को जब आप लोग राजनीति से निकाल बाहर फेंकोगे तब। और एक योग्य उम्मीदवार को चुनाव में वोट दोगे तब।


(सभी चौकन्ने होकर युवा नेता को देख रहे है।)


'आप लोग कब तक बिजली, पानी और सड़क की मांग करते रोहोगे। ये समस्याएं कभी खत्म नहीं होंगी क्योंकि राजनेता लोग ऐसी समस्याएं कभी खत्म होने ही नहीं देंगे।'


'क्योंकि हर पांच साल में आपसे वोट मांगने के लिए उनके पास यही सब लालच तो होता है आप लोगों को लुभाने के लिए। और आप हर बार इन्हीं सुविधाओं के लालच में अपना किमती वोट उन्हें दे आते है। हर बार सिर्फ नेता बदलते है लेकिन...लेकिन आप लोगों की समस्याएं नहीं बदलती। वे जस की तस बनी रहती है।'


बुजुर्ग आदमी- लेकिन बेटा जिसने मेरी पेंशन शुरू की मुझे उसे तो वोट देना ही होगा न!


युवा नेता- (हंसते हुये) बस इन्हीं छोटे-छोटे लालच में आकर हम बिक जाते है। अरे बाबू जी! पेंशन आपका अधिकार है वो नहीं देगा तो कोई दूसरा देगा। लेकिन आज इस लोभ के कारण आपका कीमती वोट किसी अयोग्य व्यक्ति को मिल गया तो वह पूरे पांच साल न आपकी सुनेगा और न ही आपके मोहल्ले की और न ही शहर की और आप इस बात की खैर बनायेंगे कि चलो कम से कम आपकी पेंशन तो शुरू हो गयी।'


युवक- हम किसी नौसिखीये को वोट देकर अपना वोट बेकार नहीं कर सकते है क्योंकि क्या पता वह चुनाव जीते या न जीते?


युवा नेता- मेरे दोस्त! तुम अपना एक वोट बेकार होने के डर से सदियों से चली आ रही पारंपरिक राजनीति को बढ़ावा देते रहोगे तो परिवर्तन आखिर कब होगा?


आगे फिर तुम ही शिकायत करोगे की राजनीति में अच्छे लोग नहीं आते। अरे! जब आप अच्छे लोगों को वोट दोगे ही नहीं और वह चुनाव जीतेगा ही नहीं तब तक योग्य व्यक्ति राजनीति में कैसे आयेंगे?


याद रखना दोस्त! (उस नव युवक के कंधे पर हाथ रखते हुये) एक अच्छा और सच्चा ईमानदार देशभक्त उम्मीदवार आपके वोट के बदले कभी आपको घूस नहीं खिलायेगा। न शराब पीलायेगा और न ही कंबल बांटेगा।


और न हीं वह बारम्बार आपसे मिन्नतें करेगा कि आप उसके लिए मतदान करें।


क्योंकि अपने नगर को, अपने गांव और अपने देश को बदलने की जिम्मेदारी एक अकेले उसकी नहीं है बल्कि आप मतदाताओं की भी है। उसने तो अपनी ओर से पूरी कोशिश की और आगे भी कोशिश करता रहेगा अफसोस इस बात का है कि आप लोगों ने अपने गांव के लिए, अपने मोहल्ले के विकास के लिए कोई कोशिश नहीं की।


महिला- चलो हम तुम्हें अपना वोट देते है क्या तुम हमारी उम्मीदों पर खरा उतरोगे?


(युवा नेता महिला की ओर देखने लगता है।)


'बोलो तुम हमारा राशन कार्ड बनवा सकते हो जिससे हमें भी सस्ता अनाज मिल सकें?'


बुजुर्ग- हां! हां! बताओ! क्या तुम हमारे नगर के विकास के लिए काम करोगे? यहां के गुंडे-बदमाशों, चोरों और शराबियों पर क्या तुम लगाम लगा सकते हो?


नव युवक- हमारे बच्चों के लिए स्कूल, काॅलेज और खेल का मैदान मुहइय्या करवा सकते हो?


युवती- क्या तुम हमें नौकरी दे सकते हो?


बूढ़ी औरत- क्या तुम हमें अच्छा और सस्ता ईलाज दिलवा सकते हो?


(युवा नेता सोच में डूबा है।)


(सभी नागरीक एक साथ) बोलो! बोलो! चूप क्यों हो गये? बोलो! कुछ तो बोलो। 


महिला- बड़ी-बड़ी बातें करना आसान है! लेकिन उन पर अमल करना बहुत ही मुश्किल है।


युवा नेता- मेरे प्यारे भाई बहनों! मैं इनमें से आपके लिए कुछ भी नहीं कर सकता...।


(चारों ओर सन्नाटा पसर गया।)


युवती- लो भई! ये टाइम बम तो फुस्स हो गया। चलो सब अपने-अपने काम-धंधे पर चलो।


(सभी रहवासी जाने लगते है।)


युवा नेता- ...लेकिन ये सभी सुविधाएं आप तक, आपके नगर तक पहुंचाने की पूरी-पूरी कोशिश करूंगा। मैं कोई नेता नहीं हूं जो झूठे वादे करके आपसे वोट हासिल करूं।


मैं पहले ही कह चूका हूं कि मैं यहां जीतने नहीं आया हूं। मैं यहा आपको जीताने आया हूं, आपको जगाने आया हू। सही और गलत का फर्क समझाने आया हू और जिस दिन आप ये फर्क समझ गये, जीत जायेंगे और आप जीत तो गये मैं जीत जाऊंगा।


और रही बात आपके नगर के विकास की तो यदि आप लोग मुझे अपना नेता बनाकर खड़ा करते है तो यकिन मानिए मैं तब तक अन्न का एक दाना भी नहीं खाऊंगा जब आपके नगर के विकास का काम शुरू न करवा दूं।


(फिर एक बार सन्नाटा पसर गया।)


"हमारा नेता कैसा हो? युवा नेता जैसा हो।" कार्यकर्ताओं ने नारे बाजी शुरू कर दी।


युवा नेता से प्रभावित जनता युवा नेताजी को हार फूलों से लादने लगी।


युवा नेता के पक्ष में भारी मतदान सम्पन हुअ। विजय की बधाई देने नगर वासी पार्टी कार्यालय युवा नेता जी से मिलने पहूंचे। पता चला नेताजी दिल्ली गये है। नगरवासियों को चाय-नाश्ता करवा दिया गया और कहा एक सप्ताह बाद नेता जी मिलेंगे, तब आना। सप्ताह पर सप्ताह बीतते गये लेकिन नगरवासियों की युवा नेताजी से भेंट न सकी। 


कुछ ही महिनों में नगर वासी सबकुछ भूलकर अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त हो गये और युवा नेता भी।


लेखक-

जितेन्द्र शिवहरे इंदौर

मो. 8770870151

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