Pyar Tune Kya Kiya

 Pyar Tune Kya Kiya     (कहानी)

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      ✍️Jitendra shivhare 

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        प्रो. आंचल को किसी ने बताया कि राजेश ने इस काॅलेज को छोड़कर किसी दूसरे काॅलेज में एडमिशन ले लिया है। उन्हें भी इस बात का दुःख था, मगर यही बेहतर रास्ता था। वैसे ही दोनों के इस बे-मेल रिश्तों की पहले ही बहूत बदनामी हो चूकी थी। लेकिन जब राजेश कुछ दिनों से दिखाई नहीं दिया तो आंचल बैचेन हो उठी। वह आंचल का फोन भी नहीं उठा रहा था। 


एक दिन अचानक राजेश का काॅल आया। वह आंचल से बोला, "मैं चाहता हूं कि हम पिछला सबकुछ भूल जाएं।"


आंचल चूप थी। वह बोली, "मुझे खुशी है कि तुम सही सलामत हो। छवि को अपना लो, वह तुमसे बहूत प्यार करती है!" 


राजेश कुछ नहीं बोला। उसने फोन रख दिया।


राजेश को शांत करने के लिए आंचल को क्या कुछ नहीं करना पड़ा। वह आंचल का स्टूडेंट था और अपनी ही प्रोफेसर से प्यार कर बैठा था। आंचल भी खुद को रोक नहीं सकी थी। एक खुबसूरत नौजावन के प्यार ने उसे एकदम बदल कर रख दिया था मगर दीन-दुनियां की खातिर उसने राजेश को खुद से दूर रहने के लिए मना ही लिया।


कुछ ही दिनों में राजेश को भूलकर आंचल अपनी टीचिंग लाइफ फिर से बिज़ी हो गयी।


एक शाम राजेश उसके घर आया।


वह आंचल से बोला, "अब न ही मैं तुम्हारा स्टूडेंट हूं और न तुम मेरी टीचर! क्या अब हम एक हो सकते है?" 


आंचल चुप खड़ी थी। वह बोली, "क्या कर सकते हो तुम मेरे लिए।" 


"कुछ भी! मुझे अपना लो बस!" राजेश बोला।


"तो ठीक है। तुम मेरी बहन से शादी कर लो।" आंचल बोली।


"क्या? ये तुम क्या कह रही हो?" राजेश बोला।


"हां! मेरी बहन राधा! वह पैरों से विकलांग है और उसे तुम जैसे जीवन साथी की बहुत जरूरत है।" आंचल बोली। राजेश को खुद से दूर रखने का यह नया पैंतरा था।


"और हमारा प्यार। उसका क्या?" राजेश ने पूंछा।


"प्यार कभी कुछ नहीं चाहता राजेश! सच्चे प्रेमी तो हमेशा अपने प्यार के लिए सबकुछ लुटा देते है।" आंचल ने कहा।


राजेश जानता था कि आंचल के सिर पर अपनी जवान बहन और विधवा मां की जिम्मेदारी है। आंचल खुद भी एक विधवा थी जो अपने ही पति की हत्या के अपराध में दस साल जेल की सजा काट चूकी थी। सुरेश अपनी साली राधा पर बूरी नीयत रखता था। एक रात जब वह राधा के साथ जबरदस्ती कर रहा था तब अचानक आंचल वहां आ पहूंची। उसके हाथ में फसल काटने वाला दराता था। क्रोध में आकर आंचल ने उसी दराते से सुरेश की गर्दन धड़ से अलग कर दी थी। उसे सज़ा हो गयी। इसके बाद तो विधवा मां नूतन और विकलांग बेटी राधा ने बहुत परेशानीयां उठायी।


ये सब होने के बाद भी आंचल ने हिम्मत नहीं छोड़ी। जेल से छूटने के बाद परिवार को पालने का साहस उसे शहर ले आया। यहाँ रहकर भी वह गांव में अपनी बहन और मां की देखभाल करना नहीं भूलती। काॅलेज में फिजिक्स की प्रोफेसर बनी 37 साल की आंचल न चाहते हुये भी 27 साल के होनहार स्टूडेंट राजेश से प्यार कर बैठी। राजेश उसके आगे-पीछे घूमता था। आंचल के घर से काॅलेज और काॅलेज से घर तक, वह हर जगह पहुंच जाता। पहले पहल आंचल ने राजेश को गंभीरता से नहीं लिया लेकिन फिर उस शाम जब आंचल घर में खाना बना रही थी अचानक राजेश ने आंचल को बाहों में जकड़ लिया। वह रात आंचल कभी नहीं भूल सकती। राजेश और आंचल का प्रेम यहाँ से आगे और आगे बढ़ता ही चला गया। आंचल ने राजेश को बहुत बार रोका लेकिन राजेश नहीं माना। 


एक दिन सुबह आंचल ने उम्मीद की उल्टियां करना शुरू कर दिया। वह स्तब्ध रह गयी। 'अब वह क्या करे और क्या न करें' वाली परिस्थिति में उलझ गयी क्योंकि अबाॅर्शन करवाकर वह दूसरी हत्या नहीं करना चाहती थी। अजन्में बच्चें की इसमें कोई गलती नहीं थी।


मगर एक विधवा प्रेग्नेंट औरत को समाज किस नज़र से देखेगा?


वह सोच में डूबी थी। विद्यार्धीयों पर आंचल के इस आचरण का क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या काॅलेज के ट्रस्टी उसे वहां आगे जाॅब करने देंगे? गांव में उसकी मां और  बहन को जब यह पता चलेगा तब वे लोग किसी से नजर मिलाने के काबिल भी नहीं रहेंगे। राधा का घर कैसे बसेगा?


और राजेश तो अभी मासूम है। पूरी जिन्दगी उसके सामने पड़ी है। इस बच्चें के कारण कहीं उसका भविष्य अंधकारमय न हो जाएं? 


बहुत सोचने के बाद आंचल ने मेटरनीटी लीव के लिए अप्लाई कर दिया। काॅलेज प्रबंधन आश्चर्य में था। आंचल ने उन्हें बताया कि वह सेरोगेसी पध्दती से मां बनना चाहती है ताकि उसके सुने जीवन में कुछ खुशियाँ आ सके। उसे छूट्टी मिल गयी। राजेश जानता था कि ये बच्चा उसका है लेकिन आंचल यह स्वीकारने को तैयार नहीं थी।


आंचल के समझाने पर बंगलुरू में जाॅब कर रहा राजेश इंदौर आ गया। लेकिन उसे तो गर्भवती आंचल की देखभाल करनी थी। मगर आंचल नहीं चाहती थी राजेश इस बच्चें से मोह रखें। उसने हर तरीके से राजेश को समझाया मगर राजेश नहीं माना। तब आंचल ने राजेश को अपना वादा निभाने के लिए कहा, जो वह पहले ही आंचल से कर चूका था, राधा से शादी करने का। राजेश मान गया। उसने तय किया की वह राधा से शादी करेगा और उम्र भर उसका ख्याल रखेगा। आंचल ने अपनी मां और विकलांग राधा को शहर बुलवा लिया। वह यह शादी इंदौर में ही करना चाहती थी।


सगाई वाले दिन राधा बहुत खुश थी। उसकी मां नूतन तो मारे खुशी के गीत गाने लगी। राधा के लिए इतना अच्छा रिश्ता उन्होंने कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था। सगाई के बाद राजेश, राधा की बैसाखी बन गया। यह देखकर आंचल के दिल में राजेश की इज्ज्त ओर भी बड़ गयी। सिर्फ उसके कहने भर से वह राधा से शादी कर रह था इसका अर्थ था कि राजेश आंचल से कितना प्यार करता है।


उस रात आकाश में टीम-टीम तारों की चमक राजेश के आगे फीकी थी। छत पर खड़ा वह मुस्कुरा रहा था। आंचल दौड़कर राजेश के गले से जा लगी। राजेश ने आंचल को संभाला। वह आंचल के चेहरे पर जबरन आ गिरी बालों की लटें संवार रहा था। आंचल की आंखें गयी। वह आज राजेश पर अपना सबकुछ लुटा देना चाहती थी मगर राजेश के दिल में कुछ ओर था। जैसे उसे आंचल से दूर जाने का कोई ग़म ही न हो।


"राजू! मैं तुम्हें एक सच बता देना चाहती हूं।" आंचल बोली।


"क्या?" राजेश ने पूंछा।


"मेरे पेट में पल रहा है बच्चा तुम्हारा है। इस बच्चें के बाप तुम हो।" आंचल ने बताया।


राजेश खुशी से झूम उठा। उसने आंचल को अपनी बाहों में उठा लिया। आंचल राजेश को रोकती रह पाई।

 

राजेश को खोज रही छत से नजदीक सीढ़ीयों पर बैसाखी के सहारे खड़ी राधा ने यह नजारा देख लिया। इस सदमें के कारण वह गिर ही जाती अगर पीछे खड़ी उसकी मां नूतन ने राधा को संभाला नहीं होता। 


उस सुबह राधा के पास एक खुश खबरी थी। उसे पास के शहर में टीचींग जाॅब मिली थी। एक हफ्ते में ज्वाइन करना था। 


"दीदी, मुझे जाॅब मिलने की खुशी से ज्यादा इस बात की खुशी है की आपके होने वाले बच्चें को उसके पिता मिल गयें।" राधा ने आंचल से कहा।


राजेश स्तब्ध था। आंचल ने राधा को समझाया लेकिन वह नहीं मानी। राधा ने अपनी अपनी मां को न केवल समझाया बल्कि उनसे अपने परम्परागत नैचूलरल ब्यूटी पार्लर वाले व्यवसाय को जारी रखने के लिए भी राजी लिया ताकी उन्हें अपनी बेटियों पर डिपेन्ट न रहना पड़े। 


"राजेश पर सिर्फ आंचल दी का हक़ हो सकता है, किसी ओर का नहीं।" राधा ने अपनी मां से कहा। 


नूतन ने राधा को गले से लगा लिया।


आज आंचल से बड़ी राधा हो चूकी थी। उसके बलिदान के आगे आंचल को अपना बलिदान बहुत छोटा लग रहा था। राजेश ने राधा की बात मानकर आंचल और उसके होने वाले बच्चें को स्वीकार कर लिया।


समाप्त 

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जितेन्द्र शिवहरे इंदौर

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7746842533


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