शिक्षक तेरे कितने काम?
शिक्षक तेरे कितने काम? (वन एक्ट प्ले)
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✍️जितेन्द्र शिवहरे
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अधिकारी क्रं 1- (गुस्से में) - ये सब क्या है मैडम जी? इस बच्चें को तो कुछ भी नहीं आता। एक भी प्रश्न का इसने सही-सही जवाब नहीं दिया?
कक्षा 5वीं का वह छात्र नज़र नीचे किए खड़ा था। अन्य बैठे छात्रों के मध्य भय का वातावरण निर्मित हो चूका था। सभी शांत थे।
शिक्षिका भी चूप थी। बड़ी ही शांति से वे सर साहब की डांट सुन रही थी।
अधिकारी क्रं 2 - विभाग को लंबे समय से आपकी शिकायतें मिल रही थी। आप अक्सर स्कूल से गायब रहती है, ऐसा क्यों?
अधिकारी क्रं. 1 - आप स्कूल विलंब से आकर घर जल्दी चली जाती है! जबकि स्कूल का समय सुबह 10 से सायं 5 बजे तक है लेकिन आप पूरे समय ड्यूटी नहीं करती। क्या ये शिकायतें सही है?
शिक्षिका मैडम का संतोषजनक जवाब न मिलने पर निलंबन का खतरा था। किन्तु शिक्षिका बिना भय के अधिकारी की नाराज़गी सहर्ष भाव से पचा पा रही थी। यह भी आश्चर्यजनक किन्तु सत्य था।
अधिकारी क्रं 2 - अगर आपने समुचित उत्तर नहीं दिया तो आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही निश्चित है।
अधिकारी क्रं 1 - आपके शाला भवन की स्थिति भी खराब है। जगह-जगह कूड़ा- कचरा पड़ा है। पेयजल की व्यवस्था कहीं दिखाई नहीं देती। और इतना गंदा शौचालय आप स्वयं इस्तेमाल कैसे करती है?
अधिकारी क्रं 2 - मध्यान्ह भोजन भी मेनू अनुसार वितरित नहीं किया जा रहा है इसका दोष भी आपको सिर है क्योंकि अन्य व्यवस्थाएं आशानुरूप सही नहीं है।
शिक्षिका के मस्तष्क पर जिस चिंता की उम्मीद अधिकारी द्वय कर रहे थे वह कोसों दूर थी। यह बात अधिकारीयों की समझ से परे थी।
अधिकारी क्र. 1 - इतना सब अवांछनीय कृत्य करने और डांट- डपट सुनने के बाद भी अगर आप चुप रही तो हम एक पक्षीय कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है।
मैडम जी हल्की मुस्कान लिए उठी और दिवार से लगी अलमारी की तरफ बड़ी, जो पूर्व से ही खुली थी। उन्होंने वहां से रजिस्टर्स का एक गठ्ठा निकाला जो एक ऑरेंज कपड़े से बंधा हुआ था। शिक्षिका ने गठ्ठा खोला तथा एक-एक कर सारे रजिस्टर निकालकर क्रम से टेबल पर रखें। अधिकारीगण अचंभित थे।
शिक्षिका- सर! आपकी नाराजगी जायज़ है। बच्चों के जिस गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक ज्ञान (स्तर) की आप आशा कर रहे थे वह आपको नहीं मिला, इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं। विद्यालयीन अव्यवस्थाओं पर भी आपका क्रोध उचित ही है जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी मेरी है। इस बात के लिए भी मैं शर्मिन्दा हूं।
इस क्षमावाणी ने अधिकारीयों के रौब को उच्च शिखर पर पहुँचाने में बहुत मदद की।
शिक्षिका- महोदय! यदि आप अनुमति दे तो अपनी सफाई में मैं कुछ कहना चाहती हूं।
अधिकारी क्रं 2- व्यर्थ का रोना-धोना या स्वयं अथवा परिवार सदस्य की बिमारी का बहाना अथवा अन्य किसी उच्च या सर्वोच्च व्यक्ति अथवा संस्था की सिफारिश का हवाला अपने बचाव में न करें तो आप बोलने के लिए स्वतंत्र है।
शिक्षिका- धन्यवाद महोदय! मैं आपकी राय चेतावनी स्वरूप लेकर आपके उक्त कथनों का अक्षरशः पालन करने का वचन देती हूं।
( शिक्षिका ने बोलना शुरू किया किया-)
सर! शिक्षण सत्र आरंभ होते ही मुझे पाठ्यपुस्तक वितरण के महान शुभ कार्य में झोंक दिया गया। जहां पाठ्यपुस्तक के भंडारण, संरक्षण तथा वितरण से लेकर पुस्तकों का समस्त तरह का लेखा-जोखा व्यवस्थित रखने में मैंने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। यह देखीए पूरे एक सौ सत्ताइस स्कूलों के लिए पूरे 17 दिन पुस्तकों का वितरण मैंने अपने पूरे मनोयोग से किया। इसकी सभी तरह की एन्ट्री इस रजिस्टर में बतौर प्रमाणिक कार्य उपस्थिती के संलग्न है।
अधिकारी गण पंजी देखते है।
शिक्षिका- पुस्तक वितरण से निपटने ही स्कूल सर्वे में द्वार-द्वार दस्तक देकर बच्चों को शाला में एडमिशन लेने के लिए मैंने अपने सारी ऊर्जा लगा दी। इस कार्य में ना चाहते हुये भी मुझे स्कूल से अनुपस्थित रहना पड़ा। मेरी अनुपस्थिति में विद्यार्थीयों को किसने अध्यापन कराया अथवा नहीं कराया, मुझे ज्ञात नहीं है। इस गृह संपर्क पंजी में पालकों के नाम, पता, हस्ताक्षर तथा संबंधित के मोबाइल नम्बर है। आप चाहे तो प्रत्येक पालक से फोन कर मेरे उनके यहां सर्वे हेतु आने तथा अन्य औपचारिकताएं पूरी करने संबंधी क्रिया-कलापों की तश़्गीत कर सकते है।
अधिकारी मौन थे। वे एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे।
शिक्षिका- सर्वे कार्य पूर्ण होने से पहले ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षण- प्रशिक्षण के आदेश आ गये। अतः स्कूल सर्वे अध बीच में छोड़कर मुझे प्रशिक्षण में सम्मिलित होने हेतु भागना पड़ा। यह रहा मेरा प्रशिक्षण का आदेश और सम्मिलित होने का कार्य मुक्ती और कार्य गृहण प्रणाम पत्र।
शिक्षिका प्रणाम पत्र अधिकारी को सौंपती है।
शिक्षिका- बीएलओ होने कारण नागरिकों के मतदाता परिचय पत्र बनाने का अति आवश्यक और राष्ट्रीय सेवा ड्यूटी का कार्य मैं समय-समय पर पूर्ण निष्ठा और जिम्मेदारी से करती हूं। इस कार्य हेतु भी मुझे अक्सर विद्यालय से अनुपस्थित होना पड़ता है। यह रहे मेरे द्वारा किये गये BLO संबंधित कार्यों का विवरण।
(मैडम कागजात दिखाती है)
शिक्षिका- एक शिक्षिकीय शाला होने के कारण विभागीय कार्य तथा अन्य डाक हेतु मुझे वरिष्ठ कार्यालय जब तब आना-जाना होता है, फलस्वरूप शाला शिक्षक विहीन हो जाती है। शिक्षक व्यवस्था हेतु मैंने अनेकों बार वरिष्ठ कार्यालय को प्रार्थना-पत्र दिये है जिसकी पावती यही रही। मेरे द्वारा वरिष्ठ कार्यालयों में उपस्थित तथा अन्य विवरण भी इस दूसरी पंजी में दिनांक वार संधारित है जिसमें संकूल प्राचार्य तथा जनशिक्षा केन्द्र इत्यादि प्राधिकृत अधिकारी के मय प्रमाण हस्ताक्षर अंकित है।
इतना ही नहीं अन्य ड्यूटी जैसे बोर्ड परीक्षाएं, काॅम्पटीशन परीक्षाएं, निर्वाचन, जन गणना, आर्थिक गणना, पशु गणना, शौचालय निर्माण, निर्धन बच्चों को निजी स्कूलों में भर्ती करवाना, बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण तथा चिन्हित बच्चों का समुचित उपचार करवाना, बच्चों को मध्यान्ह भोजन, सूखा राशन, गणवेश, साईकिल, छात्रवृत्ति वितरण इत्यादि करना, वर्ष मे अनेक बार पौधा रोपण और विभिन्न तरह के दिवस जैसे हाथ धुलाई, महापुरुष जन्म जयंती आदि मनाना, राजकीय अतिथियों का स्वागत सत्कार, त्योहारों में भीड़ नियंत्रण, सड़क यातायात नियंत्रण, प्राकृतिक आपदा में राहत और बचाव कार्य में ड्यूटी तथा शाला में प्रतिदिन की बेहिसाब आवश्यक डाक निर्माण करना और विभिन्न तरह की पुस्तकें संधारित करना इत्यादि अनेकों-नेक कार्य मैंने पूर्ण निष्ठा और जिम्मेदारी से किये है, करती आ रही हूं और करती रहूंगी।
अधिकारी क्रं 1 - देखीये मैडम! ये सब तो शिक्षक को अध्यापन के साथ-साथ करना होता ही है।
शिक्षिका- मैं सहमते हूं सर। विद्यालय समय के पहले और बाद में मैंने यथाशक्ति बच्चों को अध्यापन कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिन बच्चों के जागरूक पालकों ने इसकी अनुमति दी वे बच्चें पढ़ना-लिखना सीख गये है किन्तु इसे मेरा दुर्भाग्य ही कहेंगे की जिन बच्चों को अच्छा पढ़ना -लिखना आता है, आपने उनसे कुछ पूंछा ही नहीं।
अधिकारी क्रं 2 - आपके कहने का मतलब क्या है?
शिक्षिका- सर! आपने जिस बच्चें से अभी-अभी प्रश्न पूंछे है वो कभी नियमित स्कूल आता ही नहीं है। ये देखीये इसका स्कूल उपस्थित रजिस्टर। जहां उसके नाम के काॅलम के आगे रेड पेन से ढेर सारी अनुपस्थितियां लगी है।
(अधिकारीगण के कंधे गिरने लगते है)
शिक्षिका- अब बच्चा नियमित शाला नहीं आयेगा तो उसका शैक्षणिक ज्ञान कितना होगा, मुझे लगता है आपको ये बताने की कोई आवश्यकता नहीं है।
शिक्षिका- स्कूल की साफ-सफाई के लिए जिस बाई जी को शाला प्रबंधन समिति ने नियुक्ति किया था, नियमित तनख्वाह नहीं मिलने के कारण उसने काम छोड़ दिया है। पूर्व की बाई जी भी पारिश्रमिक समय पर नहीं मिलने से नाराज होकर स्कूल का काम छोड़ चूकी थी।
बच्चों ने स्वेच्छा से झाडू हाथ में ली तो अखब़ार वालों ने छाप दिया। पालकों ने भी इस पर आपत्ति लेना शुरू कर दिया। थक हार कर मैं ही स्कूल की साफ-सफाई करती हूं। नियमित नहीं कर पाती इसलिए शाला भवन में यदा-कदा कचरा भरा पड़ा है।
जहां तक पेयजल और शौचालय की बात है, तो मैंने कितनी ही बार म्युनिसिपल पार्टी और नगर के पार्षद महोदय को लिखित में आवेदन दिया है। बहुत मिन्नतों के बाद वे लोग आये किन्तु आधा-अधूरा और असंतोषजनक कार्य कर चले गये।
ये देखीए सर! नगर निगम को दिये गये प्रार्थना पत्र तथा अन्य छायाचित्र जिसमें विद्यालय और शौचालय की साफ सफाई मैं स्वयं कर रही हूं।
अधिकारी अब तक सामान्य हो चूके थे।
अधिकारी क्रं 2 - आपकी दलीलों से साफ पता चलता है कि आपने टीचिंग प्रोग्राम के साथ-साथ वकालत भी की है।
शिक्षिका- मैं समझी नहीं।
अधिकारी क्रं 1 - मतलब मैडम जी आपने अपने बचाव में अधिक ऊर्जा लगाई है जबकी बच्चों और विद्यालय प्रबंधन पर कम।
शिक्षिका मौन थी।
अधिकार क्रं 2 - अन्य कार्यों का हवाला देकर आप अपने मूल कर्तव्य से बच नहीं सकती। जिस कार्य हेतु आप नियुक्त हुई है आपने वहीं ठीक से नहीं किया अतः आप बच्चों की और इस विद्यालय की दुर्गति की दोषी है।
अधिकारी क्रं 1- हम आपकी दो अग्रिम वेतन वृद्धियां रोकने की अनुशंसा शिक्षा अधिकारी को सौंप देंगे।
शिक्षिका- लेकिन सर ये तो अन्याय है।
अधिकारी क्रं 2 - शुक्र कीजिए हमने शाला को प्राप्त वित्त का रिकार्ड नहीं खंगाला। हमें भरोसा है कि वहां भी बेहिसाब गड़बड़ियां होंगी!
अधिकारी क्रं 1- शासन के अन्य कार्यों के प्रति आपकी कर्तव्यपरायणता देखकर हम आपका कहा मान लेते है कि इस अलमारी की चाबी आपसे कहीं खो गयी है जिसमें विद्यालय को प्राप्त आबंटन की जानकारी और केशबुक आदि वित्तिय रिकार्ड रखा है। इसलिए इन्हें हम अगले निरीक्षण में ठीक से चेक करेंगे। तब तक आप शाला की सभी तरह की व्यवस्थाएं दुरुस्त कर लेंगी ऐसा हमें पूर्ण भरोसा है।
(दोनों अधिकारी हाथ जोड़कर)- हम आपके तथा आपके स्कूल के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की शुभ कामना करते है। नमस्कार! (कहते हुये दोनों अधिकारी शाला से लौट जाते है।)
शिक्षिका स्तब्ध खड़ी अधिकारीयों को लौटते हुये देखते रह जाती है। बच्चें मध्यान्ह भोजन के लिए उठकर शाला के प्रांगण में जाने लगते है।
(पर्दा गिरता है।)
समाप्त
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नाटककार-
जितेन्द्र शिवहरे इंदौर
7746842533
8770870151
An eye opening story
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