लव मैरिज- कहानी

 

लव मैरिज- कहानी

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                  मृदुला बहुत खुश थी। हायर स्टडी के बाद वह काॅलेज जाने वाली थी।  मगर अर्पिता के चेहरे के भाव कुछ और ही बता रहे थे। सौरव भी कुछ इसी चिंता में थे। मृदुला को पैरेन्ट्स का पूरा सपोर्ट है ये उसे पता था लेकिन कुछ तो था जो उसके माता-पिता अपनी बेटी से छिपा रहे है।

दोनों उससे कहे भी तो किस मुंह से? जिस बात का डर उन्हें आज सता रहा था कभी उसी डर से उन्होंने अपनों को डराया था। अर्पिता को तब इतनी समझ कहाँ थी और न हीं नई-नई जवानी की दहलीज़ पर कदम रखने वाले सौरव को कुछ समझ थी। फिल्मों की दीवानगी सिर चढ़कर बोल रही थी। बस फिर क्या था, दोनों प्रेम में पड़ गये और अधकच्ची उम्र में ही घर से भाग खड़े हुये। पढ़ाई बीच में छूट गयी। अपने प्यार की जीत पर दोनों इतराने लगे थे। खूब मौज-मस्ती की। फिर जब एक दिन मकान मालिक ने घर का किरारा मांगा तो होश उड़ गये। सिनेमा और सैर-सपाटे में घर से लाया सब कुछ खत्म हो चूका था। सौरव को मजदूरी करने के अलावा कोई काम न मिला। ऊपर से अर्पिता के पैर भारी हो गये। इन सब परेशानियों ने दोनों को तोड़कर रख दिया। इतना की दोनों अपनी लव मैरिज को कौसने तक लगे। 

सरकारी दवाखाने में बच्चा गिराना ही उन दोनों का अंतिम निर्णय था।

यही सब सोच-सोच कर अर्पिता पसीने से नहा जाती। अपने माता-पिता को जिस चिंता की चिता पर जलती छोड़कर वह घर से भागी थी आज वही चिंता उसे जिंदा जला रही थी। उसका अतीत कहीं मृदुला का भविष्य बन गया तो वह किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी।

अर्पिता ने सौरव से कहा कि वह मृदुला को समझाएं। ताकि वह ऐसा कदम न उठाये जो उसकी मां ने उठाया था। सौरव आज परिपक्वता की मिशाल थे मगर अपनी बेटी को कैसे समझायें, ये उन्हें सूझ नहीं रहा था।

अंततः अर्पिता को ही आगे आना पड़ा। उसने मृदुला का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा, "मृदुला! हाथ उसी का थामना जो तुम्हारे और तुम जिसके लायक हो!"

अर्पिता ने जो कहा वह इतनी आगे की बात थी जो मृदुला ने अभी तक सोची भी न था। अर्पिता की अगुवाई ने सौरव को भी हिम्मत दी। वह बोले, " मृदुला! तुम्हारी मां को जब मैं घर लाया था उस वक्त मेरे पास न कोई काम था और न ही घर! मैं नही चाहता की हम दोनों ने जितनी परेशानियां सही, उतनी तुम्हें भी सहनी पड़े।"

सिलेबस, हाॅस्टल और लाईब्रेरी पर चर्चा करने के बजाएं मृदुला के माता-पिता एक अलग ही विषय लेकर बैठ गये थे, जो मृदुला के लिए आश्चर्यजनक था। हां में हां मिलाने के अलावा उसके पास कोई प्रति उत्तर नहीं था।

बरसों पहले की लव मैरिज आज मृदुला को संताप पहूंचा रही थी। उसे सावधानियों की लिस्ट थमा दी गयी। हर तरह की कोशिशों के बाद एक दिन वह हुआ जिसका डर था। मृदुला के साथ एक लड़के को देखकर अर्पिता की आंखें क्रोध से लाल हो गयी। इससे पहले की मृदुला अपनी मां से कुछ कह पाती अर्पिता ने थप्पड़ों की बारिश कर दी। मृदुला के गालों पर तड़ा-तड़ चांटें पड़ने लगे। उसका दोस्त डर गया। इससे पहले की वह भाग पाता सौरव ने दौड़कर उसे पकड़ लिया। और उसकी धुनाई शुरू कर दी।

"माॅम! माॅम" मृदुला चिल्ला रही थी। अर्पिता होश में आई। यह उसका दिवास्वप्न था।

"माॅम! ये मेरा क्लास मेट पीयूष है। अब से सेल्फ स्टडी हम इसी घर में करेगें, आपके सामने!" मृदुला बोली।

सौरव की जान में जान आ गयी। वह नारियल पानी लेने घर से बाहर चल दिये। अर्पिता ने काॅफी बनाने के लिए गैस पर तपेली चढ़ा दी। मृदुला की समझदारी पर दोनों का भरोसा बढ़ चूका था। 

लेखक-

जितेन्द्र शिवहरे इंदौर 

7746842533

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