*बाल की खाल-लघुकथा* (04/07/2020)
एक कहानी रोज़--81
*अक्षत* अपनी पत्नी रीना को समझा-समझा कर थक चूका था। मगर वह समझने को तैयार नहीं थी। रीना पुछना चाहती थी कि अक्षत की शर्ट पर मिला वह लम्बा बाल किसका है? क्योकिं उसका दावा था कि वह बाल रीना के बालों से एक दम अलग है। अक्षत अपनी पत्नी के संदेही स्वभाव से परेशान हो गया। उसने स्वीकार किया की कल रात ऑफिस के कर्मचारियों के साथ वह पार्टी एॅन्जाॅय कर रहा था। उसमें कुछ महिला सहकर्मी भी थी। किन्तु उसने ऐसा कुछ नहीं किया जिसके लिए उसे अपनी पत्नी के सामने शर्मिंदा होना पड़े। उसे ऑफिस जाने के लिए लेट हो रहा था। लेकिन पत्नी को कोप भवन में छोड़कर कैसे जाएं? रीना ने बे-मन से चाय-नाश्ता डायनिंग टेबल पर रख दिया। अक्षत बिना बुलाये ही नाश्ते की टेबल पर आ गया। रीना का मुंह फुला हुआ था। उसने अक्षत का मन विचलित कर दिया था। अक्षत ने तय किया की आज वह ऑफिस नहीं जायेगा। रीना का वहम दूर करना ज्यादा जरूरी है और इसके लिए वह हर संभव कोशिश करेगा।
"रीना! मैं हमारी बेटी नंदा की सौगन्ध खाता हूं। मेरा किसी दुसरी बाहरी औरत के साथ कोई संबंध नहीं है। प्लीज़! मेरा विश्वास करो!" अक्षत गिड़गिड़ा रहा था।
"मैं जानती हूं अक्षत! तुम्हारा किसी से कोई अनैतिक संबंध नहीं है। तुम्हें औपचारिकतावश महिलाओं से मिलना-जुलना होता है और ये तुम्हारी जाॅब का हिस्सा है।" रीना ने कहा।
"इसका अर्थ यह कि तुम मुझ पर संदेह का अभिनय कर रही थी!" अक्षत डायनिंग टेबल से उठ खड़ा हुआ।
रीना ने संकेत देकर उसे पुनः बैठने का आग्रह किया।
"हां अक्षत! दरअसल मैं तुम्हें यही समझाना चाह रही थी। हम दोनों जाॅब करते है। जिस तरह तुम्हें बहुत सी महिलाओं से मिलना-जुलना पड़ता है, ठीक उसी तरह मुझे भी अनेक पुरूष क्लाइंटस् से मिलना होता है। उनसे फोन पर लम्बी-लम्बी बातें करनी पड़ती है। सोशल मीडिया पर चैटिंग भी करनी पड़ती है। इसका मतलब यह तो नहीं कि मेरा उस क्लाइंट के साथ कुछ संबंध है।" रीना बोली।
अक्षत समझ चुका था कि रीना उसे यह सब क्यों समझा रही है। दरअसल कुछ दिनों पुर्व ही अक्षत ने देर रात व्हाहटसप चैटिंग कर रही रीना पर संदेह व्यक्य किया था। यही नहीं उसने रीना का मोबाइल भी खंगालना चाहा। रीना के विरोध स्वरूप अक्षत ने उसे बहुत खरी खोटी सुनाई। यहाँ तक की उसने रीना और उसके क्लाइंट विनोद का अवैध संबंध होने का शक़ भी जाहिर किया था। रीना ने तब ही निश्चय कर लिया था कि वह अक्षत को उसी की भाषा में इसका जवाब देगी।
"अक्षत! ये रहा मेरा मोबाइल। इसे तुम अच्छे से चेक कर सकते हो। आज पुरा दिन इसके साथ तुम्हें जो करना है, कर सकते हो!" रीना बोली।
अक्षत के पास शब्द नहीं थे। वह क्या बोले, क्या न बोले!
"मेरी एक विनती है?" रीना ने कहा।
अक्षत हैरानी से देख रहा था।
"क्या तुम कुछ देर के लिए अपना मोबाइल मुझे दिखा सकते हो?" रीना ने पुछा।
अक्षत के चेहरे पर हंवाईयाँ उड़ने लगी। वह ऐसा नहीं कर सकता था। यह बात रीना जानती थी।
कुछ पल के मौन के बाद अक्षत बोला- "रीना! मैं जान चुका हूं कि मेरी शर्ट पर मिला बाल तुम्हारा ही है। और मुझे ये भी समझ आ गया है कि मैं कहीं न कहीं गल़त हूं। मैं तुम्हें भरोसा दिलाता हूं कि भविष्य में तुम पर संदेह नहीं करूंगा। और स्वयं को इतना निर्मल बनाने का प्रयास करूंगा कि अपना मोबाइल बिना संकोच के तुम्हारे हाथ में परिक्षण के लिए रख सकूं।" अक्षत ने कहा।
दोनों के बीच की गलत़ फहमियां दूर हो चूकी थी। बालकनी में खड़ी रीना चेहरे पर मुस्कान लिये अक्षत को बांय-बांय कर रही थी। अक्षत उसे फ्लाइंग किस देकर बाइक पर सवार हो गया। रीना अब अपने ऑफिस जाने की तैयारियों में व्यस्त हो गयी।
समाप्त
--------------------------------------------
प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।
©®सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखक--
जितेन्द्र शिवहरे
177, इंदिरा एकता नगर पूर्व रिंग रोड मुसाखेड़ी इंदौर मध्यप्रदेश
मोबाइल नम्बर
7746842533
8770870151
Jshivhare2015@gmail.com Myshivhare2018@gmail.com
एक कहानी रोज़--81
*अक्षत* अपनी पत्नी रीना को समझा-समझा कर थक चूका था। मगर वह समझने को तैयार नहीं थी। रीना पुछना चाहती थी कि अक्षत की शर्ट पर मिला वह लम्बा बाल किसका है? क्योकिं उसका दावा था कि वह बाल रीना के बालों से एक दम अलग है। अक्षत अपनी पत्नी के संदेही स्वभाव से परेशान हो गया। उसने स्वीकार किया की कल रात ऑफिस के कर्मचारियों के साथ वह पार्टी एॅन्जाॅय कर रहा था। उसमें कुछ महिला सहकर्मी भी थी। किन्तु उसने ऐसा कुछ नहीं किया जिसके लिए उसे अपनी पत्नी के सामने शर्मिंदा होना पड़े। उसे ऑफिस जाने के लिए लेट हो रहा था। लेकिन पत्नी को कोप भवन में छोड़कर कैसे जाएं? रीना ने बे-मन से चाय-नाश्ता डायनिंग टेबल पर रख दिया। अक्षत बिना बुलाये ही नाश्ते की टेबल पर आ गया। रीना का मुंह फुला हुआ था। उसने अक्षत का मन विचलित कर दिया था। अक्षत ने तय किया की आज वह ऑफिस नहीं जायेगा। रीना का वहम दूर करना ज्यादा जरूरी है और इसके लिए वह हर संभव कोशिश करेगा।
"रीना! मैं हमारी बेटी नंदा की सौगन्ध खाता हूं। मेरा किसी दुसरी बाहरी औरत के साथ कोई संबंध नहीं है। प्लीज़! मेरा विश्वास करो!" अक्षत गिड़गिड़ा रहा था।
"मैं जानती हूं अक्षत! तुम्हारा किसी से कोई अनैतिक संबंध नहीं है। तुम्हें औपचारिकतावश महिलाओं से मिलना-जुलना होता है और ये तुम्हारी जाॅब का हिस्सा है।" रीना ने कहा।
"इसका अर्थ यह कि तुम मुझ पर संदेह का अभिनय कर रही थी!" अक्षत डायनिंग टेबल से उठ खड़ा हुआ।
रीना ने संकेत देकर उसे पुनः बैठने का आग्रह किया।
"हां अक्षत! दरअसल मैं तुम्हें यही समझाना चाह रही थी। हम दोनों जाॅब करते है। जिस तरह तुम्हें बहुत सी महिलाओं से मिलना-जुलना पड़ता है, ठीक उसी तरह मुझे भी अनेक पुरूष क्लाइंटस् से मिलना होता है। उनसे फोन पर लम्बी-लम्बी बातें करनी पड़ती है। सोशल मीडिया पर चैटिंग भी करनी पड़ती है। इसका मतलब यह तो नहीं कि मेरा उस क्लाइंट के साथ कुछ संबंध है।" रीना बोली।
अक्षत समझ चुका था कि रीना उसे यह सब क्यों समझा रही है। दरअसल कुछ दिनों पुर्व ही अक्षत ने देर रात व्हाहटसप चैटिंग कर रही रीना पर संदेह व्यक्य किया था। यही नहीं उसने रीना का मोबाइल भी खंगालना चाहा। रीना के विरोध स्वरूप अक्षत ने उसे बहुत खरी खोटी सुनाई। यहाँ तक की उसने रीना और उसके क्लाइंट विनोद का अवैध संबंध होने का शक़ भी जाहिर किया था। रीना ने तब ही निश्चय कर लिया था कि वह अक्षत को उसी की भाषा में इसका जवाब देगी।
"अक्षत! ये रहा मेरा मोबाइल। इसे तुम अच्छे से चेक कर सकते हो। आज पुरा दिन इसके साथ तुम्हें जो करना है, कर सकते हो!" रीना बोली।
अक्षत के पास शब्द नहीं थे। वह क्या बोले, क्या न बोले!
"मेरी एक विनती है?" रीना ने कहा।
अक्षत हैरानी से देख रहा था।
"क्या तुम कुछ देर के लिए अपना मोबाइल मुझे दिखा सकते हो?" रीना ने पुछा।
अक्षत के चेहरे पर हंवाईयाँ उड़ने लगी। वह ऐसा नहीं कर सकता था। यह बात रीना जानती थी।
कुछ पल के मौन के बाद अक्षत बोला- "रीना! मैं जान चुका हूं कि मेरी शर्ट पर मिला बाल तुम्हारा ही है। और मुझे ये भी समझ आ गया है कि मैं कहीं न कहीं गल़त हूं। मैं तुम्हें भरोसा दिलाता हूं कि भविष्य में तुम पर संदेह नहीं करूंगा। और स्वयं को इतना निर्मल बनाने का प्रयास करूंगा कि अपना मोबाइल बिना संकोच के तुम्हारे हाथ में परिक्षण के लिए रख सकूं।" अक्षत ने कहा।
दोनों के बीच की गलत़ फहमियां दूर हो चूकी थी। बालकनी में खड़ी रीना चेहरे पर मुस्कान लिये अक्षत को बांय-बांय कर रही थी। अक्षत उसे फ्लाइंग किस देकर बाइक पर सवार हो गया। रीना अब अपने ऑफिस जाने की तैयारियों में व्यस्त हो गयी।
समाप्त
--------------------------------------------
प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।
©®सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखक--
जितेन्द्र शिवहरे
177, इंदिरा एकता नगर पूर्व रिंग रोड मुसाखेड़ी इंदौर मध्यप्रदेश
मोबाइल नम्बर
7746842533
8770870151
Jshivhare2015@gmail.com Myshivhare2018@gmail.com
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें