प्यार के दुश्मन-कहानी
एक कहानी रोज़-100 *(23/07/2020)*
*प्यार के दुश्मन-कहानी*
*सिमरन* राहुल के प्यार में पागल थी। वो अपने मम्मी-पापा से साफ-साफ कह चुकी थी कि अगर वो शादी करेगी तो राहुल से करेगी वर्ना नहीं। उसके मम्मी-पापा यदि हां करते है तो ठीक, वर्ना वह घर से भाग कर राहुल से शादी कर लेगी।
परिवार के सदस्य उसे समझा-समझा कर थक चूके थे। उन्होंने सिमरन को लाड-प्यार से और डरा-धमका कर भी देख लिया था। मगर ना-समझ सिमरन समझने को तैयार नहीं थी। पास-पड़ोसी भी जान चुके थे की अगर सिमरन की शादी राहुल से नहीं हुयी तो वह राहुल के साथ भागकर शादी कर लेगी।
पर यह क्या! कुछ दिनों से सिमरन के घर से उसके चिखने-चिल्लाने और रोने की आवाज़ें आना बन्द हो गयी थी। रहवासियों को किसी गड़बड़ी की आशंका ने घेर लिया। आये दिन राहुल से शादी करने की जिद कर पुरा घर सिर पर उठा लेने वाली सिमरन आजकल चुपचाप क्यों थी?
रहवासियों ने पता किया। सिमरन घर पर ही है मगर वह बाहर आती-जाती नहीं थी? अनुमान लगाया गया कि उसके मम्मी-पापा ने जबरन उसे कमरे में बंद दिया होगा, जिससे की वो कहीं बाहर जा न सके। मोहल्ले के लोगों को किसी षड्यंत्र की बूं आने लगी। सोसायटी सेकेट्री से मिलकर उन्होंने सिमरन के घर पर जाकर सिमरन का हाल चाल जानना चाहा। उसके माता-पिता के लाख मना करने पर भी उन्होंने सिमरन के निजी कक्ष का दरवाजा खुलवाया। उपस्थित सभी को एक जोरदार झटका लगा और सभी की हंसी फुट पड़ी। सिमरन दबी- कुचली सी एक कोने में भारी शर्मिंदगी लिए चुपचाप बैठी थी।
सिमरन के सिर पर एक भी बाल नहीं था। उसे गंजी बना दिया गया था। वह चाहकर भी घर से बाहर निकल नहीं सकती थी। घर से भागकर शादी करना तो बहुत दुर की बात थी।
विषभानु सिंह ने सोसायटी को बताया की उन्होंने आधी रात में ही अपनी बेटी के कैश काट दिये थे। ताकी वह घर से भागकर राहुल से शादी न कर सके। रहवासियों ने इसे उक्त समस्या का उचित हल नहीं बताया। इस पर विषभानु ने उन्हीं से इस समस्या का हल जानना चाहा। अब रहवासियों की बोलती बंद हो गयी। प्यार में अंधी हो चुकी सिमरन के बढ़ते कदमों को रोक पाने के लिए उसके पिता विषभानु सिंह को उस समय जो उचित लगा, वह उन्होंने किया। इस कदम के लिए वे अपनी बेटी के समझ क्षमाप्रार्थी भी थे। किन्तु उनका मानना था कि सिर के बाल दोबारा आ जायेंगे किन्तु जवान लड़की की इज्जत एक बार चली गयी तो फिर वह दोबारा नहीं आ सकती। इस तथ्य को सिमरन भी स्वीकार चूकी थी क्योंकि प्यार में बड़े-बड़े वादे करने वाले राहुल ने बिन बालों वाली सिमरन को स्वीकारने से साफ-साफ इंकार कर दिया था। इसका अर्थ साफ था कि वह सिमरन के रूप सौन्दर्य से प्रेम करता था, सिमरन से नहीं। वर्ना सिमरन जैसी थी वैसी स्वीकारने का दंभ भरता तो विषभानु खुशी-खुशी राहुल के हाथों में अपनी सिमरन का हाथ दे देते। अपार्टमेंट के लोग सिमरन को हौसला देकर लौट गये। अब उनके पास गाॅशिप का एक नया विषय था जिस पर महिनों तक वार्तालाप कर स्व-आनंद प्राप्त किया जा सकता था।
समाप्त
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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।
©®सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखक--
जितेन्द्र शिवहरे
177, इंदिरा एकता नगर पूर्व रिंग रोड मुसाखेड़ी इंदौर मध्यप्रदेश
मोबाइल नम्बर
7746842533
8770870151
Jshivhare2015@gmail.com Myshivhare2018@gmail.com
*प्यार के दुश्मन-कहानी*
*सिमरन* राहुल के प्यार में पागल थी। वो अपने मम्मी-पापा से साफ-साफ कह चुकी थी कि अगर वो शादी करेगी तो राहुल से करेगी वर्ना नहीं। उसके मम्मी-पापा यदि हां करते है तो ठीक, वर्ना वह घर से भाग कर राहुल से शादी कर लेगी।
परिवार के सदस्य उसे समझा-समझा कर थक चूके थे। उन्होंने सिमरन को लाड-प्यार से और डरा-धमका कर भी देख लिया था। मगर ना-समझ सिमरन समझने को तैयार नहीं थी। पास-पड़ोसी भी जान चुके थे की अगर सिमरन की शादी राहुल से नहीं हुयी तो वह राहुल के साथ भागकर शादी कर लेगी।
पर यह क्या! कुछ दिनों से सिमरन के घर से उसके चिखने-चिल्लाने और रोने की आवाज़ें आना बन्द हो गयी थी। रहवासियों को किसी गड़बड़ी की आशंका ने घेर लिया। आये दिन राहुल से शादी करने की जिद कर पुरा घर सिर पर उठा लेने वाली सिमरन आजकल चुपचाप क्यों थी?
रहवासियों ने पता किया। सिमरन घर पर ही है मगर वह बाहर आती-जाती नहीं थी? अनुमान लगाया गया कि उसके मम्मी-पापा ने जबरन उसे कमरे में बंद दिया होगा, जिससे की वो कहीं बाहर जा न सके। मोहल्ले के लोगों को किसी षड्यंत्र की बूं आने लगी। सोसायटी सेकेट्री से मिलकर उन्होंने सिमरन के घर पर जाकर सिमरन का हाल चाल जानना चाहा। उसके माता-पिता के लाख मना करने पर भी उन्होंने सिमरन के निजी कक्ष का दरवाजा खुलवाया। उपस्थित सभी को एक जोरदार झटका लगा और सभी की हंसी फुट पड़ी। सिमरन दबी- कुचली सी एक कोने में भारी शर्मिंदगी लिए चुपचाप बैठी थी।
सिमरन के सिर पर एक भी बाल नहीं था। उसे गंजी बना दिया गया था। वह चाहकर भी घर से बाहर निकल नहीं सकती थी। घर से भागकर शादी करना तो बहुत दुर की बात थी।
विषभानु सिंह ने सोसायटी को बताया की उन्होंने आधी रात में ही अपनी बेटी के कैश काट दिये थे। ताकी वह घर से भागकर राहुल से शादी न कर सके। रहवासियों ने इसे उक्त समस्या का उचित हल नहीं बताया। इस पर विषभानु ने उन्हीं से इस समस्या का हल जानना चाहा। अब रहवासियों की बोलती बंद हो गयी। प्यार में अंधी हो चुकी सिमरन के बढ़ते कदमों को रोक पाने के लिए उसके पिता विषभानु सिंह को उस समय जो उचित लगा, वह उन्होंने किया। इस कदम के लिए वे अपनी बेटी के समझ क्षमाप्रार्थी भी थे। किन्तु उनका मानना था कि सिर के बाल दोबारा आ जायेंगे किन्तु जवान लड़की की इज्जत एक बार चली गयी तो फिर वह दोबारा नहीं आ सकती। इस तथ्य को सिमरन भी स्वीकार चूकी थी क्योंकि प्यार में बड़े-बड़े वादे करने वाले राहुल ने बिन बालों वाली सिमरन को स्वीकारने से साफ-साफ इंकार कर दिया था। इसका अर्थ साफ था कि वह सिमरन के रूप सौन्दर्य से प्रेम करता था, सिमरन से नहीं। वर्ना सिमरन जैसी थी वैसी स्वीकारने का दंभ भरता तो विषभानु खुशी-खुशी राहुल के हाथों में अपनी सिमरन का हाथ दे देते। अपार्टमेंट के लोग सिमरन को हौसला देकर लौट गये। अब उनके पास गाॅशिप का एक नया विषय था जिस पर महिनों तक वार्तालाप कर स्व-आनंद प्राप्त किया जा सकता था।
समाप्त
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जितेन्द्र शिवहरे
177, इंदिरा एकता नगर पूर्व रिंग रोड मुसाखेड़ी इंदौर मध्यप्रदेश
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