देश प्रेम और विरोधी
एक कहानी रोज़ लेखन क्रम में आज लेख-122
13/08/2020
*देश प्रेम और विरोधी*
*देश* में रहकर देश की कमियां गिनाकर परदेश की खूबियाँ बताने वाले आपने भी देखे होंगे। अक्सर बातचीत में लोग विदेश की तुलना अपने देश से करने लगते है। वहां की विकसित व्यवस्था की व्याख्या अपने शब्दों में बयां कर वाह-वाही लुटने वाले लोगों की हमारे यहाँ कोई कमी नही है और ऐसे लोगों को हम सभी ने देखा- सुना है। इनमें से कई लोग तो वे है जिन्होंने कभी विलायत का मुंह भी नहीं देखा है लेकिन सुनी-सुनायी बातों को आधार बनाकर अपने स्वदेश की बुरायी करने से बाज नहीं आते। उस पर ये सोशल मीडिया भी कुछ कमी नहीं है। उक्त लोगों के लिए सोशल मीडिया एक अच्छा प्लेटफार्म बन गया है अपनी बात आम लोगों तक पहूंचाने का। समझदार लोग इन बातों में कभी नहीं आते। वे स्वदेश और विदेश की परिस्थितियों का अध्ययन करते है तब जाकर निष्कर्ष निकालते है। इसके बाद भी उनके हृदय में अपने देश के प्रति प्रेम कम नहीं होता। वे उन सभी दलीलों का हवाला देते है जिनके बलबुते पर विदेश कुछ अच्छा बन पड़ा है। एक जिम्मेदार नागरीक कभी अपने देश की बुराई नहीं करता अपितु हर समय अपने देश के साथ खड़ा रहकर विदेश को भी नीचा दिखाने में अपनी महानता नहीं समझता। उसका तर्क रहता है कि स्वदेश का सम्मान करने वाला देशी प्रेम दुसरे देश का कभी अपमान नहीं करेगा। क्योंकि वह जानता है की इज्जत देने पर ही इज्जत मिलती है। और बुराई करने पर बुराई। किन्तु चौपालों और नुक्कड़ पर बैठे फालतु लोगों की दिल्लगी के लिए तो अपने देश की बुराई और परदेश की बढ़ाई करने संबंधी विषय बहुत ही रोचक और मज़ेदार होते है क्योंकि इन बातों को सुनने और दाद देने वाले उसी की मानसिकता वाले लोग उस आदमी के श्रीमुख से देश विरोधी बातें सुनने को लालयित रहते है। फिर भी ऐसे लोगों की खुशी क्षणिक ही होती है क्योंकि देश प्रेम इन बातें से कभी खत्म नहीं होता। जब-जब जरूरत पड़ती है हर स्वदेशी व्यक्ति अपने देश की आन-बान और शान के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तैयार खड़ा नज़र आता है। सैनिक सीमा पर देश की रक्षा करते है और देश के अंदर देश प्रेमी। और वैसे भी हमारे देश में देश प्रेमियों की भी कोई कमी नहीं है जो समाजसेवा और अन्य बहुत प्रकार से अपने देश की सेवा करते रहते है। उन्हें हर परिस्थिति में अपने देश के साथ खड़ा होता हुआ देखा जाता है। देश विरोधी बातें तथा राजनितिक उदासीनता उन्हें देश सेवा करने कभी रोक नहीं सकती।
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प्रमाणीकरण- लेख मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। लेख प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।
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जितेन्द्र शिवहरे
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