एक कहानी रोज़-132


*जैसा-तैसा*


        *फरीदा* नाराज थी। आज फिर घर में मुमताज और उसकी लम्बी तू-तू मैं-मैं हो गयी थी। सकीना ने बीच बचाव अवश्य किया किन्तु झगड़े की मुल वजह उसी ने खड़ी की थी। ऐसा फरीदा का मानना था। फरीदा और युनूस के निकाह को बमुश्किल पांच साल हुये थे किन्तु इन पांच सालों में सास-बहु की जरा भर भी नहीं पटी। निकाह के शुरूआती दिनों में ही युनुस ने फरीदा को मुमताज के स्वभाव के विषय में बता दिया था। और यह भी हिदायत थी कि मुमताज कितने दिनों की है? बुढ़े सास-ससुर के इंतकाल के बाद सबकुछ फरीदा को ही संभालना है। ऐसा भी नहीं है कि हर बात पर मीन-मेख निकालने वाली मुमताज को फरीदा ने समझने की कोशिश न की हो! फिल्म और धारावाहिकों की आदर्श बहु बनने की उसने बहुत कोशिशें की। लेकिन हद तो तब हो गई जब मुमताज फरीदा के निजी खर्चो पर नज़र गढ़ाने लगी। फरीदा की हर छोटी-बड़ी खरीदारी की सूचना सकीना अपनी मां मुमताज को दिया करती। फलतः आये दिन सास-बहु महंगी-सस्ती वस्तुओं की खरीद-फरोख्त पर वाद-विवाद करना शुरू कर देते। फरीदा को अपनी निजी जिंदगी में मुमताज का दखल नागवार गुजरा। उसने खुलकर विद्रोह कर दिया। वह सकीना से भी सख़्त नाराज रहने लगी। फरीदा सकीना को अपशब्द कहने से भी नहीं चूकती। अपनी बेटी सकीना को फरीदा द्वारा अपमानित करने का कृत्य मुमताज कतई बर्दाश्त नही करती। बदले में मुमताज भी फरीदा को अपमानित करने से पीछे नहीं हटती। सकीना अपने ससुराल वालों से क्रुद्ध होकर अपने मायके रहने आ गई थी। उसके ससुराल में भी यही सब घटित हो रहा था। जो उसके मायके में चल रहा था। सकीना ने अपनी सास और शौहर की मिली-भगत व्यवहार से परेशान होकर अदालत का दरवाजा खटखटाया लिया। साहिल सब तरह से सकीना को समझा-बुझाकर थक चूका था। किन्तु सकीना अपनी सास से अलग होकर रहने की शर्त के अलावा किसी अन्य तरीके से मानने को तैयार नहीं थी। इधर उसके मायके में ननद और भाभी के बीच मनमुटाव चरम पर था। घरेलु झगड़ा इतना बड़ा की बात पुलिस और कोर्ट कचहरी तक जा पहुँची। कचहरी में फरीदा और युनूस का प्रकरण चल रहा था। इत्तेफाक से सकीना और साहिल का तलाक प्रकरण भी उसी न्यायालय में विचाराधीन था। जहां फरीदा और युनूस का तलाक प्रकरण चल रहा था। सकिना अपनी सास जुबेदा के विरुद्ध बयान देने के तैयारी कर रही थी। सकीना के आंसू मुमताज को अंदर तक हीला जाते। जुबेदा उसे संसार की सबसे बुरी सास प्रतित हो रही थी। फरीदा ने अदालत में मुमताज की बहुत सी बुराइयां गिना दी। वैसी ही बुराईयों का पुलिंदा सकिना ने जुबेदा के लिए खोल दिया। जुबेदा अपनी बहु सकीना के खिलाफ बयान देकर जहर उगल रही थी तो वही दूसरी ओर वह अपनी बहन की बेटी फरीदा की हिमायत में बड़े-बड़े कसीदे पढ़ रही थी। यही सब बातें मुमताज ने अपनी बेटी सकीना और बहु फरीदा के संबंध में भरी अदालत में कह डाली। न्यायालय में काउंसिल लगातार चल रही थी। किन्तु कोई भी समझने को तैयार नहीं था। जब तक परिवार के लोग परस्पर झुकेंगे नहीं तब तक इस तरह के प्रकरण न्यायालय से कभी खत्म नहीं होंगे। और सालों साल तक न्यायालय और न्यायालय से जुड़े व्यक्तियों को लाभान्वित करते रहेंगे।


समाप्त

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प्रमाणीकरण-- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।



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लेखक--

जितेन्द्र शिवहरे 

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