विष कन्या - कहानी (भाग-1)

 एक कहानी रोज़-137 (30/08/2020)


*विष कन्या - कहानी (भाग-1)*


      *स्वपनिल* और आलिया की दोस्ती इन्टरनेट से शुरू हूई जो आगे चलकर प्यार में बदल गयी। स्वपनिल आलिया से शादी करना चाहता था किन्तु कुछ ही सालों में आलिया को पता चल गया की केवल प्रेम के सहारे बेरोजगार स्वपनिल के साथ उसका जीवन ज्यादा समय तक नहीं चल सकेगा। उसने स्वपनिल से साफ-साफ कह दिया कि सबसे पहले वह एक अच्छी नौकरी हासिल करे, कुछ बनकर दिखाये तब ही आलिया उसके साथ शादी कर सकेगी। वर्तमान समय के अनुरूप कम पढ़ा लिखा होकर स्वपनिल हर जगह से अनक्लालिफाई करार दे दिया गया। परिणाम स्वरूप उसके अंदर धीरे-धीरे क्रोध जमा होता रहा। एक दिन जाॅब इन्टरव्यू के समय स्वपनिल को इन्टरव्यू बोर्ड कमेटी के भगत मिश्रा द्वारा भारी अपमानित होना पड़ा। आलिया की बेरूखी के बाद स्वपनिल स्वयं का यह घोर अपमान सह नहीं सका। क्रोध में आकर उसने भगत मिश्रा की पिटाई शुरू कर दी। भगत मिश्रा भी जवाबी हमले करने लगा। शुरूआती हाथापाई भयंकर लड़ाई में बदल गयी। जिससे भगत मिश्रा की मौत हो गयी। अनजाने में अपने हाथों हुई इस हत्या से स्वपनिल डर कर वहां से भाग खड़ा हुआ। हाईवे पर आकर किसी ट्रक में लिफ्ट लेकर स्वपनिल मुम्बई पहूंच गया। एक रात फुटपाथ पर चलते हुये उसकी मुलाकात रीटा से हुयी। रीटा भी अपना घर से भागी हुई थी। उसे बचपन से अपने माता-पिता से प्यार की जगह पिटाई और भर्त्सना ही मिली थी। पांच-पांच बेटीयों के पिता रामनाथ अपनी बड़ी बेटी रीटा को अपशगुन मानकर हर समय उसे बेटी होने का ताना दिया करते थे। इतना ही नहीं घर में हर छोटी-छोटी गलतियों पर उसे बहुत मारा-पिटा जाता था। बुंद-बुंद कर रीटा के शरीर में विष जमा होता रहा। एक दिन उसने अपने ऊपर उठ रहे पिता के हाथ को अपने हाथ से रोक दिया। उसका यह कदम संपूर्ण परिवार के लिए विद्रोह का संकेत था। जब मां ने इसका विरोध किया तो रीटा ने अपनी सगी मां को भी ईंट का जवाब पत्थर से देकर उसकी बोलती बंद कर दी। उस दिन रीटा ने विधवा बुढ़ी दादी को भी नहीं छोड़ा। उन्हें भी बहुत अपशब्द कहे। पिता रामनाथ ने रीटा को घर से निकल जाने को कहा। जवान खून रीटा अंधेरे में ही बेटिकट ट्रेन में बैठकर मुम्बई आ गयी।

रीटा और स्वपनिल अपनी कहानी एक दुजे को बता ही रहे थे कि इतने में देर रात कुछ गुण्डों ने रीटा पर बुरी नज़र रखते हुये हमला कर दिया। आधुनिक युग की तेज-तरार और शरीर से बेहद ही मजबुत रीटा चारों गुण्डों पर चण्डीका बनकर टूट पड़ी। उसने उन गुण्डों का बड़ी मुश्तैदी से सामना करते हुये उन्हें जान बचाकर भागने पर मजबुर कर दिया। स्वपनिल, रीटा की बाहदुरी देखकर चकित था। और दूर खड़ा एक अधेड़ आयु का बाबु भी। बाबु रीटा और स्वपनिल के पास आया। वह छोटा-मोटा पाॅकेट मार था और कुछ बड़ा काम करना चाहता था। उसने स्वपनिल और रीटा को अवैध तस्करी के धंधे में आमंत्रित किया। बाबु की बात सुनकर दोनों राजी हो गये। नशे का कारोबारी छब्बू लाला रीटा पर फिदा हो गया। वह उसे अपने साथ रखने चाहता था। मगर स्वपनिल सहमत नहीं हुआ। लेकिन रीटा ने स्वपनिल की परवाह किये बगैर छब्बू लाला की निजी सहायिका बनना स्वीकार कर लिया।

बीयर बार में छब्बू की बाहों में खेल रही रीटा की सुरत में अपनी आलिया को देखकर शराब के नशे में स्वपनिल ने नाराज़ होकर छब्बू लाला को पिटना शुरू कर दिया। जिसे वहां आये अलग-अलग जगह के गुण्डें और दादा पहलवानों ने अपनी आंखों से देखा। छब्बू लाला अब किसी भी तरह स्वपनिल को जान से मारना चाहता था। रीटा की समझाईश पर उसने फिलहाल स्वपनिल को छोड़ दिया। अगली सुबह माफी मांगने के उद्देश्य से स्वपनिल छब्बू लाला के घर गया। बेडरूम में पहूंचकर वह बाथरूम में नहा रहे छब्बू लाला से माफी मांगने के संवाद बोलने लगा। बहुत देर के बाद भी बाथरूम के अंदर से छब्बू लाला की कोई आवाज़ नहीं आयी। बाथरूम के गेट के नीचे से खुन बहता हुआ जब स्वपनिल के पैरों तले आ गया तब उसे पता चला कि बाथरूम के अंदर छब्बू लाला की किसी ने हत्या कर दी थी। सीधा-सीधा शक़ स्वपनिल पर गया। वह वहां से भागना चाहता था। लेकिन उससे पहले ही रीटा और छब्बू लाला के आदमी वहां आ गये। रीटा ने उन लोगों को बताया कि छब्बू को मारने वाला स्वपनिल अब से उन सभी का बाॅस है। सभी को स्वीकार करना पड़ा। सिवाएं गुड्डू के। गुड्डू को हमेशा से छब्बू लाला के उत्तराधिकारी के रूप देखा जाता था। उसने दबी आवाज़ में विद्रोह किया भी। लेकिन बहुमत स्वपनिल के पास था। जिसके कारण वह कुछ ज्यादा कुछ बोल नहीं पाया। अंडरवर्ल्ड में स्वपनिल का नाम होने लगा।

एक दिन बिच-बाजार में स्पनिल को आलिया दिखाई दे गयी।आलिया मुम्बई में ही थी यह जानकर स्पनिल खुश हो गया। स्वपनिल उससे मिलने की कोशिश करने लगा। लेकिन आलिया नज़र बचाकर भाग खड़ी हुयी। मगर स्वपनिल हिम्मत नहीं हारा और एक दिन आलिया के सम्मुख आ खड़ा हुआ।

आलिया की शादी आकाश नाम के युवक से हुयी थी। आलिया को शादी के कुछ ही दिनों के पता चला कि आकाश अंडरवर्ल्ड डाॅन बाली का लड़का है। बाली ने स्वयं को सज्जन और आकाश को अच्छा बेटा बताकर आलिया और उसके भोले-भाले माता-पिता को बेवकुफ बनाया था। आलिया को विवश होकर आकाश की मार-पीट सहते हुये उसके साथ मजबुरी में रहना पड़ रहा था। वह अपने मां-बाप को झुठ कह देती थी की वह खुश है। ताकी वे लोग प्रसन्न रहे। यदि वह आकाश को छोड़कर अपने मायके इंदौर चली गयी तो आकाश उसके परिवार को हानी पहूंचा सकता था। बस यही सोचकर वह बाली और आकाश की बर्बरता सह रही थी।  स्वपनिल के पैरों तले जमीन खींसक गयी जब उसे पता चला की आकाश और बाली ने षडयंत्र पुर्वक आलिया को हासिल किया था। दोनों बाप-बेटे ऐसी न जाने कितनी ही लड़कीयों की जिन्दगीयां बर्बाद कर चूके थे। आलिया कहने को तो आकाश की पत्नि थी किन्तु उसे अपनी रातें ससुर बाली के साथ बितानी पड़ती थी। आकाश भी जब तब आलिता के शरीर से अपनी प्यास बुझा लिया करता था। आलिया इस गंदगी में धंसती चली जा रही थी। उसे भरोसा था कि एक न एक दिन ये दोनों बाप-बेटे उसे जान से मार देंगे और किसी हादसे का नाम देकर दोनों बच निकलेंगे।

आलिया के पास रोने के लिए अब स्वपनिल का कंधा ही नहीं बल्कि उसके द्वारा दी गयी हिम्मत और जीवन के प्रति आशा की नयी किरण भी थी।

गुस्से में आगबबुला स्वपनिल बाली के घर जाकर आलिया के यौन शौषण का बदला लेने पहूंच गया। बाली और आकाश उसे पहले से जानते थे। स्वपनिल और बाली की तस्करी के व्यापार में अक्सर भिंडत होती रहती थी।

बाली और आकाश, स्वपनिल की बातें सुनकर आश्चर्य में पड़ गये। उन्होंने जिस आलिया को मारकर गहरी खाई में फिकवा दिया था वह स्वयं आकर स्वपनिल से मिली थी। स्वपनिल स्वयं आश्चर्य में पड़ गया, बाली के घर की दिवार पर आलिया के फोटो पर फूलों का पहना हुआ हार देखकर। वह वहां से घर लौट आया। उसके दिल और दिमाग में जंग चल रही थी। आलिया जब मर चूकी थी तो बाजार में उस दिन स्वपनिल से मिलने वाली लड़की कौन थी? इसी उधेड़बुन में वह शराब पीने लगा। रात गहराती जा रही थी। यकायक रीटा उसके सम्मुख आ खड़ी हुई। वह कामौतेजित रूप और यौवन का जादु स्वपनिल दिखाने के लिए बेताब थी। स्वपनिल इतने नशे में था कि उसे रीटा के मनोरथ समझ नहीं आये। रीटा ने अपनी बाहों की माला स्वपनिल को पहना दी। रीटा में आलिया की सुरत देख रहे स्वपनिल ने स्वयं को रीटा के हवाले कर दिया। देखते ही देखते दो बदन एक जान हो गये।

सुबह स्वपनिल बिस्तर से उठा। उसने अपने साथी गुड्डू को आवाज़ लगायी। गुड्डू उसके सामने खड़ा था। लेकिन वह उसे सुन नहीं पा रहा था। रीटा भी हंस बोल रही थी। लेकिन वह भी स्वपनिल को न ही देख पा रही थी और न ही सुन पा रही थी। उनकी गैंग के कुछ लोग एक लाश को ठिकाने लगाने का बंदोबस्त कर रहे थे। स्वपनिल के होश उड़ गये यह देखकर की वह लाश उसकी स्वयं की थी। स्वपनिल मर चूका था। वह अपनी आत्मा से यह सब देख रहा था। कल रात रीटा ने धोखे से स्वपनिल को शराब में ज़हर पीलाकर मार दिया था। गुड्डू को विश्वास में लेकर रीटा खुद डाॅन बन बैठी। रीटा अंडरवर्ल्ड जगत में विष कन्या के नाम से प्रसिद्ध हो रही थी। उसका काटा पानी भी नहीं मांगता था। पुलिस उसके पीछे थी। सबुत के अभाव में वह हर बार बच जाया करती।

आलिया और स्वपनिल की आत्मा मिलकर बातें करने लगी। दोनों को अपने-अपने हत्यारों से बदला लेना था। इसलिए उन दोनों की आत्माएँ एक-दुसरे के साथ आ खड़े हुयी।

आलिया पुर्व से ही रीटा के मनोरथ जानती थी। फिर उसने स्वपनिल को सावधान क्यों नहीं किया? यही सवाल वह आलिया की आत्मा से बार-बार पुछ रहा था। आलिया ने उसे बताया कि वह चाहती थी स्वपनिल उसकी बात मानकर उसकी योजना में मदद करे। लेकिन उसे संदेह था कि स्वपनिल उसकी योजना को अनुमोदित नहीं करेगा। इसलिए आलिया ने जानबूझकर उसे पुनः जीवित करने के अहसान के बाद ही अपनी योजना बताना उचित समझा। ताकि स्वपनिल उसे इंकार न कर सके। स्वपनिल अचरच में था। आलिया उसे पुनः जीवित कैसे कर सकती थी? जबकी वह स्वयं आत्मा थी। ऐसा होता तो वह स्वयं को पुनर्जीवित क्यों नहीं कर सकी? आलिया ने इसका कारण उसे ये बताया की वह पृथ्वी पर अपनी आयु पुर्ण कर चुकी थी इसलिए वह चाहकर भी दौबारा जीवित नहीं हो सकती। लेकिन आकाल मौत मरे स्वपनिल की आयु अभी शेष थी अतः उसे जीवित किया जा सकता था। आलिया, स्वपनिल को वहां लेकर पहूंची जहां उसके शव को गाड़ा गया था। पुलिस के भय के कारण स्वपनिल के शव को मृतक छब्बू लाला के फार्म हाऊस के गार्डन में दफना दिया गया था। आलिया ने अपनी शक्ति के बल पर स्वपनिल के शव में स्वपनिल की आत्मा का प्रेवश करवा दिया।


क्रमशः .............


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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।


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लेखक--

जितेन्द्र शिवहरे 

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