एक कहानी रोज़ - 139


*आखिरी काॅल-कहानी/सस्पेंस-थ्रीलर/भाग-1*


           *समता* अपार्टमेंट के चौथे माले पर फ्लेट नम्बर 402 में रहने वाले लेखक/ निर्देशक अनिरूद्ध चौधरी (आयु 30) वर्ष के निर्जीव पड़े शव के पुलिस जांच पड़ताल कर रही थी। इंस्पेक्टर सुरज भास्कर ( 35 वर्ष) अपने दो अन्य सहायक हवलदार के साथ मौके पर उपस्थित हर बारिक से बारिक चीज़ों का मुआयना कर रहे थे। अनिरूद्ध के मोबाइल का परिक्षण करने पर आखिर काॅल किसी स्मिता नाम की युवती का था। पुलिस स्टेशन पर स्मिता को बुलाया गया।

"हां! मैं अनिरूद्ध चौधरी को जानती हूं। मैंने ही उसे कल रात उसे आखिरी बार काॅल किया था। इसका मतलब ये तो नहीं की मैंने ही अनिरूद्ध को मारा है।" स्मिता सचदेव (28 वर्ष) ने इंस्पेक्टर सुरज भास्कर से कहा।

"देखीए मैडम! कल रात आपके उसके साथ थी। हमें आपके और अनिरूद्ध चौधरी के निजी संबंधों का वहां  सबूत मिला है।" इंस्पेक्टर सुरज बोले। उन्होंने अनिरूद्ध के मोबाइल पर अनिरूद्ध और स्वाति के अंतरंग पलों के फोटो दिखाये।

"हां! हम दोनों एक-दुसरे से प्यार करते थे। अनिरूद्ध भोजपुरी फिल्म बना रहा था। मैं उसमें लीड एकट्रेस हूं।" स्वाति ने बताया।

"ये कैसा प्यार है स्वाति जी! जो न ही आपके चेहरे पर दिख रहा है और न ही आंखों में?" इंस्पेक्टर सुरज ने कहा।

"देखीए सर! फिल्म इंडस्ट्री में प्रेक्टीकल होना बहुत जरूरी है। हम दोनों का प्यार सिर्फ जिस्मानी था। और कुछ नहीं!" स्वाति ने बताया।

"क्या अनिरूद्ध भी यही सोचता था?" इंस्पेक्टर सुरज ने पुछा।

"नहीं! सुरज मुझसे एक तरफा प्यार करता था। लेकिन मेरी मंजिल बाॅलीवुड थी। इतनी जल्दी मैं शादी कर के अपना कॅरियर खराब नहीं करना चाहती थी।" स्वाति ने बताया।

"इसका मतलब ये की अनिरूद्ध ने शादी का दबाव बनाया और आपने मना किया। जब वह नहीं माना तो गुस्से में आकर आपने उसका खून कर दिया।" इंस्पेक्टर सुरज ने कढ़ी जोड़नी चाही।

"नहीं! ये गल़त है।" स्वाति ने चिढ़ते हुये कहा।

"तो सही क्या है?"

"असल बात यह है कि अनिरूद्ध चाहता था कि मैं बाॅलीवुड के एक बड़े फिल्म निर्माता भुवन नामदेव से नजदीकियां बढाऊ! वो मुझे बाॅलीवुड में काम देंगे और इससे अनिरूद्ध को भी फायदा होगा।" स्वाति बोली।

"फिर क्या हुआ?" इंस्पेक्टर सुरज ने पुछा।

"मैं ऐसा नहीं करना चाहती थी। मगर बाॅलीवुड पहूंचने की जिद के कारण मैंने भुवन नामदेव से बात की। भुवन और मैं होटल में ही मिला करते थे। उन्होंने मुझे अपनी आने वाली फिल्म में कास्ट भी कर लिया था मगर••।" स्मिता बोलते-बोलते रूक गयक।

"मगर क्या?" इंस्पेक्टर सुरज ने पुछा।

"मगर अनिरूद्ध को इस बात से कोई फायदा नहीं हुआ। उसे फिल्म नहीं मिली जिसके कारण वह नाराज़ था। उसकी और भुवन सर की कहा-सुनी भी हुई थी।" स्मिता  ने बताया।

"तो आप कहना चाहती है कि भुवन नामदेव ने अनिरूद्ध का खून किया है!" इंस्पेक्टर सुरज ने कयास लगाया।

"ऐसा मैं नहीं कर रही। ऐसा आप कह रहे है। और वैसे भी पुलिस आप है आप पता करे कि अनिरूद्ध को किसने मारा?" स्मिता नाराज़ होकर बोली।

"ठीक है मैडम! वो तो हम पता लगा ही लेंगे। आप जा सकती है।" इंस्पेक्टर सुरज ने कहा।

"थैंक्यू।" स्मिता बोलकर पुलिस स्टेशन से बाहर निकल गयी।

"सर ! आपको क्या लगता है। ये लड़की अनिरूद्ध को मार सकती है।" सहायक इंस्पेक्टर ध्रुव (आयु 31)  ने पुछा।

"आज का ग्लैमर्स कुछ भी कर सकता है ध्रुव! लेट्स सी! अच्छा ये बताओ कत्ल वाली रात अनिरूद्ध ने किस-किस से फोन पर बात की थी?" इंस्पेक्टर सुरज ने पुछा।

"स्मिता के अलावा भुवन नामदेव और एक शालीनी नाम की एक्ट्रेस का नाम भी आ रहा है!" ध्रुव ने बताया।

"और सबसे मज़ेदार बात पता चली है सर!"

"वह क्या?" इंस्पेक्टर सुरज ने पुछा।

"अनिरूद्ध दो-दो सिम कार्ड युज करता था!" ध्रुव ने आगे बताया।



क्रमशः .................


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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।


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लेखक--

जितेन्द्र शिवहरे 

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