*लघुकथा प्रतियोगिता हेतु*


विषय- 'बहुत कठिन है डगर पनघन की'


   *अंधा प्रेम - लघुकथा*   

    

  *रुक्मणी* अक्सर महिपाल के विषय में सोचा करती। महिपाल अन्य शहर का होकर एक तलाकशुदा विवाहित पुरूष था जो अकेले ही किराये के मकान में रहने रुक्मणी के मोहल्ले में आया हुआ था। रुक्मिणी, महिपाल के प्रति आकर्षित थी किन्तु स्वयं विधवा स्त्री होकर अपने हृदय की बात महिपाल से कहने का साहस नहीं जुटा पा रही थी। महिपाल का सौम्य व्यक्तित्व किसी को अपनी ओर आकर्षित कर सकता था। रविना अपनी प्रिय सहेली रुक्मणी के दिल की बात जानती थी। रुक्मणी द्वारा मात्र मन के वशीभूत होकर यूं ही महिपाल को अंध प्रेम करना रविना को अच्छा नहीं लगा। उसने रुक्मणी को समझाया की महिपाल यदि इतना ही अच्छा होता तो शादि के मात्र तीन सालों में ही उसका विवाह विच्छेद नहीं होता। अक्सर हम जैसा देखते है, जैसा सुनते है वैसा होता नहीं है। प्रेम और शादी जैसे महत्वपूर्ण निर्णय बहुत सोच समझकर लेना चाहिये जिससे की बाद में पछताना न पड़े।

रुक्मिणी को अपनी सहेली रविना की बातें धीरे-धीरे ही सही मगर समझ में अवश्य आयी।


समाप्त 

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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।


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लेखक--

जितेन्द्र शिवहरे 

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