*रोशन सिंह सोढ़ी की पार्टी-शार्टी*


(हास्य रचना)


       *रोशन* सिंह सोढ़ी ने रविवार के दिन अपने मित्र जेठालाल और गोकुलधाम सोसायटी के अन्य दोस्तों के साथ घूमने-फिरने और पार्टी-शार्टी का प्लान बनाया। पर वे भूल गए की उन्होंने इसी रविवार को स्वयं की श्रीमती (रोशन भाभी) जी को भी मूवी दिखाने का प्राॅमिश किया था। सोढ़ी जी सनडे की सुबह जल्दी उठे। स्नान आदि कर नये कपड़े पहने और क्रिम पावडर मुंह में चिपोड़ लिया। खूब सारा सेन्ड खुद पर छिड़का और एक पैर घर से बाहर निकालने ही वाले थे कि रोशन भाभी जी की मधुर आवाज कमरे के अन्दर से आयी --


"अकेले अकेले अकेले (इको में••)

कहां जा रहे हो (रहे होsssरहो रहोsss)

अकेले अकेले कहां जा रहे हो

हमें साथ ले लो जहां जा रहे हो•••••"


सोढ़ी जी को याद आया की आज पत्नी को मुवी दिखाने का वादा किया था। अब क्या करे? तब देखिये भाभीजी को कैसे बहला रहे है-----


"दिल क्या करे जब किसी को सनडे को काम आ जाये••

जाने कहां कब किसी को सनडे को काम आ जाये••

ओsss गैराज से देनी है कुछ कारे अर्जेन्ट में

न ये मेरे बस में जानम न ये तेरे बस मेंsssss


हम क्या करे जब किसी को सनडे को काम आ जाये

जाने कहां कब किसी को सनडे को काम आ जाये।"


रोशन भाभी ने जवाब दिया--


"सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है

न हाथी है न घोड़ा है वहां पैदल ही जाना है•••

सजन रे झुठ मत बोलो,

खुदा के पास जाना है जाना है••"


सोढ़ी की पड़ोसन बबिता जी अपने घर की बालकनी से यह सब देख रहीं थी। उन्होनें वहीं से चिल्लाया--

"सोढ़ी भाई!

जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा

रोके जमाना चाहे रोके खुदायी मुवी दिखाना पड़ेगा•••

भाभी को सिनेमा ले जाना पड़ेगा••••"


       सोढ़ी जी को पता है की बबिता जी को यह पता है की सोढ़ी जी के गैराज में कोई काम नहीं है। क्योंकि वे कल उनके गैराज़ गयी थी अपनी कार रिपेयर करवाने। वहां उन्हें पता चला की सनडे को गैराज बंद रहेगा। क्योंकि सोढ़ी और उनके दोस्तों ने मिलकर सनडे के दिन पार्टी-शार्टी की योजना बनायी है। कहीं बबिता जी उनकी धर्मपत्नी को यह सब बता न दे इसलिए सोढ़ी भाई वही से बबिता जी को देखकर समझा रहे है--


"पर्दे में दो रहने दो पर्दा न उठाओ--2

पर्दा जो उठ गया तो भेद खुल जायेगा 

अल्लाह मेरी तौबा अल्लाह मेरी तौबा•••"


सोढ़ी ने पोपटलाल को पार्टी का निमंत्रण नहीं दिया था। पोपटलाल को जब यह बात पता चली तो वो बहुत नाराज हुये। उन्होंने मन ही मन निश्चय कर लिया की मैं भी खेलूगां वर्ना खेल बिगाड़ूगां!

सोढ़ी के फ्लैट के पास ही रहने वाले पोपटलाल ने अपनी बालकनी से देखा की दोनो पति-पत्नी आपस में बहस कर रहे है।


पोपटलाल ने ऊंची आवाज़ में फरमाया --

"सोढ़ी!

राज की बात कह दूं तो जाने महफिल में फिर क्या हो••••2"


सोढ़ी गुस्से में बोल पड़े--

"राज खुलने का तुम पहले ओsss! राज खुलने का तुम पहले जरा अंजाम सोच लो•••• इशारों को अगर समझो राज़ को राज़ रहने दो•••"

 


जेठालाल जो बहुत समय से पोपटलाल का इंतजार कर रहे थे। फोन लगाकर कोड वर्ड में सोढ़ी से बात करते है---


जेठालाल - "देर ना हो जाये कहीं देर न हो जाये।"


सोढ़ी भाई, जेठालाल जी को मोबाइल पर ही कोडवर्ड में शांत चित्त होकर जवाब देते है--


"रस्ता रोका कभी काली घटा ने, (बीवी को देखकर)

घेरा डाला कभी बैरन हवा ने, (बबिता जी को देखकर)

बिजली चमके लगी आंखे दिखाने, (बीवी को देखकर)

बदले है कैसे कैसे तेवर फिजा ने--2 (पोपटलाल को)

मेरे जागने से पहले••• हाय रे मेरी किस्मतsss

मेरे जागने से पहले हाय रे मेरी किस्मत सो जाती है

मैं देर करता नहीं देर हो जाती है•••"


जेठालाल फोन पर ही लगे हुये है --


"देर ना हो जाये कहीं देर न हो जाये--2"


रोशन भाभी, सोढ़ी भाई और जेठालाल के कोडवर्ड को पहचान गयीं!


वो सोढ़ी भाई को देख कर कहती हैं --


"ना जारेsss ये मेरा मन घबरायेsss।"


जेठालाल फिर से फोन पर सोढ़ी भाई से कहते है-


"देर ना हो जाये कहीं देर न हो जाये--2"


तारक मेहता, हंसराज हाथी, आत्माराम भिड़े और कृष्णनन् अय्यीअर भी मोबाइल कान्फ्रेंस पर कोरस में गाने लगे--


"होsss देर न हो जाये कहीं देर हो जाये--2"


जब रोशन भाभी को लगा की सोढ़ी भाई रूकने को तैयार नहीं है तब उन्होंने दुसरा गियर बदला।


रोशन भाभी जी--


"तुम तो धोखेबाज हो वादा करके भूल जाते

वादा करके भूल जाते हो•••2

रोज़ रोज़ तुम जो सनम ऐसा करोगे--2

हम जो रूठ जायेंगे तो हाथ मलोगे••"


सोढ़ी भाई को लगा की श्रीमती जी अब कुछ नाराज हो रहीं हैं तब इन्होंने भी अपना भी गियर बदला लिया----


"मैंने तेरे सपने लिए ही सात रंग के सपने चुने

सपने , सुरीले सपने--2"


रोशन भाभी जी ---- "ओ मेरे सपनों के सौदागर मुझे मुवी दिखाने ले जाव,

शापिंग, लंच जहां हो डिनर, मुझे ऐसा सिनेमा दिखाओ।"


सोढ़ी भाई कुछ कह पाते इससे पहले ही रोशन भाभी जी का दुसरा वार•••


रोशन भाभी -


देर से आनाsss जल्दी जानाsss

ऐ! साहिब ये ठीक नहीं है--2


पोपटलाल बालकनी से ही --- "रम्प पम्प पो रररर रम्प पम्प पोssss!"


सोढ़ी भाई--

छुट्टी लेकर आऊँगा मैं अगली बार मनडे की-2

जाने दो गैरेज है जाना कारों को भी है सुधराना

ऐ! साहिब ये ठीक नहीं--2


अब रोशन भाभी जी ने रामबाण छोड़ दिया। जो महिलाओं का सबसे शक्तिशाली हथियार होता है, जो कभी खाली नहीं जाता। *इमोशनल अत्याचार*


रोशन भाभी --

"कौन सुनेगा! किसको सुनाये!

कौन सुनेगा किसको सुनाये इसीलीए चुप रहते है•••"


अब सोढ़ी भाई से रहा नहीं गया। उन्हें बहुत गुस्सा आ रहा था। वे क्रोधित होकर सीधे घर के अन्दर चले गये। और अखबार खंगालने लगे। ये देखने की किस सिनेमाघर में कौन-सी मुवी लगी है। जहाँ उन्हें अपनी पत्नी को लेकर जाना है।


समाप्त 

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प्रमाणीकरण- रचना मौलिक होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। रचना प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।


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जितेन्द्र शिवहरे 

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