तुम मेरे हो - भाग आठ

 तुम मेरे हो-कहानी भाग-आठ

एक कहानी रोज़-238 (11/10/2020)

       भूमि और विशाल नई-दिल्ली रेल्वे स्टेशन पर उतरे। हरीश और मानसी भी उनके साथ थे। चारों टैक्सी में बैठकर पहले से रिजर्व किये गये गेस्ट हाउस पहूंचे। दो अलग-अगल कमरे बुक किये गये थे। एक हरीश और मानसी के लिए और दूसरा भूमि और विशाल के लिए। सफर की थकान उतर जाने के बाद भूमि ने चाय ऑर्डर की। विशाल अब भी सरसरी तैयारी में व्यस्त था। हरीश और मानसी भी वहां आ पहूंच गये। चारों ने शाम की चाय और नाश्ता साथ में किया।

"मानसी! परसों विशाल का इन्टरव्यू है। हम लोग कल सुबह एक फाइनल डेमो करेंगे।" भूमि ने कहा।

"ठीक है। हरीश और मेरी स्क्रीप्ट! आई मीन डेमो इन्टरव्यू में विशाल से पूछे जाने वाले प्रश्नों की लिस्ट कहां है?" मानसी ने पूछा।

"ये रही।" विशाल ने कागज के कुछ पेज मानसी की ओर बढ़ाए।

हरीश ने अपने पन्ने लिये और पढ़ने लगा। मानसी भी उन कागजों में खो गयी। भूमि और विशाल भी अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गये।

इन्टरव्यू बोर्ड के समझ विशाल का बेहतर प्रदर्शन उसके चेहरे की खुशी देखकर साफ झलक रहा था। भुमि को उसने बताया की लगभग नीन्नानवे प्रतिशत प्रश्नों के उत्तर उसने सही-सही दीये। इस खुशी को बांटने के लिए भुमि ने सभी को दिल्ली दर्शन का ऑफर दिया। हरीश के हाथों में हाथ डाले मानसी दिल्ली दर्शन कर रही थी। इधर भुमि का हाथ विशाल ने थाम रखा था।

"इन्टरव्यू बोर्ड में पद्मिनी भी थी भूमि!" लाल किला प्रांगण में घुम रहे विशाल ने भूमि से कहा।

"कौन पद्मिनी?" भूमि ने पूछा।

"मेरी गर्लफ्रेंड?" विशाल निडर होकर बोल गया।

"ओहहहह! तो इसमें इतनी चिंता वाली कौनसी बात है?" भूमि ने आगे पूछा।

"इन्टरव्यू के बाद वह मुझसे मिली थी। वह मुझसे शादी करना चाहती है।" विशाल कुछ उदास था।

यह सुनकर भूमि अंदर से अवश्य निराश हुई किन्तु विशाल को बुरा न लगे, इस हेतु अपने चेहरे पर प्रसन्नता बनाने का प्रयास करने लगी।

"अरे! ये तो बहुत अच्छी बात है। तुम दोनों आईएएस की शादी कितनी पापूलर होगी।" भूमि बोली।

"मैं जानता हूं भूमि। जितना मैं इस नौकरी को पाने के लिए बेकरार हूं उतना ही तुम भी हो! और पद्मिनी ने कहा कि इसमें वह मेरी मदद करेगी।" विशाल ने आगे बताया।

"वह कैसे?" भूमि ने पूछा।

"पद्मिनी ने बताया कि लगभग एक दर्जन से अधिक उम्मीदवार के फायनल मार्क्स मेरे मार्क्स के बराबर या जीरो पाॅइंट वन का अंतर है। और यदि ऐसा हुआ तो मुझे वेटिंग लिस्ट में भी धकेला जा सकता है।" विशाल बोला।

"ओहहहह नो! वेटिंग का मतलब! पता नहीं सिलेक्शन हो अथवा न हो?" भूमि ने चिंता जाहिर की।

"और पद्मिनी ने ये भी कहा की उसके द्वारा दिये जाने वाले निजी अंकों में मामूली बढ़त दे कर वह मुझे चयनित उम्मीदवारों की सूची में डाल सकती है।" विशाल बोला।

"तब तुमने क्या जवाब दिया?" भूमि ने पूछा।

"मुझे इस कृपा का बदला पद्मिनी से शादी कर के चुकाना होगा?" विशाल की नज़रे स्वतः झुक गयी।

भूमि ने उसके कंधे पर हाथ रखा। वे दोनों गार्डन में रखी स्टे चेयर पर बैठ गये।

"पद्मिनी ऐसी तो कभी नही थी, जिसे मैंने प्यार किया था!" विशाल बोला।

"विशाल! वो तुम्हें एक बार खो चुकी है और दौबारा नहीं खौना चाहती। बस इसलिए वह यह सौदा करना चाहती है। और तुम्हें उसकी बात मान लेनी चाहिये।" भूमि बोली।

"ये तुम कह रही हो भूमि?" विशाल ने पूछा।

"हां विशाल! हमारे बीच जो हुआ वो सिर्फ एक शारीरिक आकर्षण था, प्यार नहीं। प्यार तो वो है जो तुम पद्मिनी से करते हो और पद्मिनी तुमसे। अच्छा यही होगा की तुम उसे स्वीकार कर लो।" भुमि ने कहा।

"लेकिन हमारा ये बच्चा?" विशाल ने भूमि के पेट पर हाथ रखते हुए पूछा।

"मैं तुम्हे विश्वास दिलाती हूं कि जूनियर विशाल का भी बिल्कुल तुम्हारी ही तरह खयाल रखूंगी। उसे कोई कमी महसूस नहीं होने दुंगी।" भूमि ने कहा।

"और जब मुझे अपने बच्चे को देखने की इच्छा हुई तब?" विशाल ने पूछा।

"मेरे दिल और घर के दरवाजे हमेशा तुम्हारे लिए खुले रहेंगे विशाल!" भूमि ने कहा।

विशाल भूमि के हृदय से जा लगा। भूमि उसकी पीठ पर थपकियाँ दे रही थी।


क्रमशः .........

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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।


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लेखक--

जितेन्द्र शिवहरे 

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