लव बाइट-कहानी

 *लव बाइट-कहानी*

*एक कहानी रोज़-251 (25/12/2020)*

        * "पापा!* मेरा विश्वास करे! ये मुझे गाल पर मधुमक्खी ने कांटा है।" राघव अपने पिता विमल कुमार को सफाई दे रहा था।

"बेटा राघव! ऐसी मधुमक्खीयों ने एक बार मुझे भी कांटा था। तेरे दादाजी ने मेरे आसपास फौरन पेस्टकंट्रोल करवा दिया था।" विमल कुमार बोले। 

पास में मटर छील रही राघव की दादी और मां शांति मंद-मंद मुस्कारा रही थी।

"क्या मतलब पापा?" राघव ने अपने अपने गाल पर हाथ रखा हुआ था।

"इसका मतलब ये कि उन्होंने विमल की तुरंत शादी करवा दी थी।" राघव की दादादी मां बोली।

"किससे?" राघव ने मस्ती की।

"ये तेरी मां से और किससे?" विमल कुमार बोले।

शांति हंस रही थी।

"ओsssह! तो वो लव बाइट मां ने पापा को दिया था।" राघव अपनी मां के पास आ गया।

"बेशर्म! अपने मां-बाप से ऐसी बातें करता है।" शांति ने राघव के कान मरोड़ते हुये कहा।

"विमल! अब इस राघव की भी शादी का समय आ गया है। आदर्श से बोलकर कोई अच्छी सी लड़की देख लो इसके लिए।" दादादी मां बोली।

"बड़े पापा से कुछ मत बोलियेगा। वो मेरी खाल-खींच लेंगे।" राघव गिड़गिड़ाते हुते बोला।

"बेटा! ये प्रेम करने से पहले सोचना था। अब तो तेरी शादी होकर रहेगी। वर्ना तू आये दिन अपने शरीर पर ये लव बाइट लाता रहेगा।" विमल बोलकर अपने कमरे में चले गये।

लव बाइट की यही चर्चा गुंजन के घर भी चल रही थी। राघव का लव बाइट उसके गले पर भी अंकित था। 

"कौन है वो?" सीमा भाभी ने गुंजन से एकांत में पुछा।

"भाभी! आप जानती है उसे! राघव!" गुंजन बोली।

"राघव! वो तेरे साथ काॅलेज में है जो?" सीमा ने पुछा।

"हां भाभी! वही।" गुंजन ने आगे बताया।

"तब तो तेरी लाॅटरी लग गयी समझो।" सीमा ने कहा।

"क्यों?" गुंजन ने पुछा।

"वो तो बड़े घर का राजकुमार है! और राघव कितना गोरा चिट्टा लड़का है?" सीमा बोली।

"भाभी उसे हैण्डसम कहते है।" गुंजन बोली।

"हां! हां! वही! तु तो बड़ी भाग्यशाली है जो ऐसे अमीर घर में बहूं बनकर जायेगी। और एक मैं हूं जिसे कहा जाना था और कहां आ गयी!" सीमा भाभी बोली।

"भाभी! आप फिर से शुरू मत हो जाना। और प्लीज मेरे लव बाइट निशान के बारे में घर में किसी को मत बताना। और भैया को तो बिल्कुल नहीं। वर्ना खामखां घर में फिर से एक नया हंगामा खड़ा हो जायेगा।" गुंजन ने कहा।

"ठीक है बाबा! नहीं बताऊंगी! अब जाकर इस निशान पर बोरोप्लस लगा ले। जख्म जल्दी ठीक हो जायेगा।" सीमा प्रसन्नता से बोली।

"मेरी प्यारी भाभी।" गुंजन सीमा के गले लग गयी।



क्रमशः .........

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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।


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लेखक--

जितेन्द्र शिवहरे 

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