नायक- कहानी
नायक-कहानी
एक कहानी रोज़-253 (27/12/2020)
जयेश कुमार को बाइक पर देखते ही ट्रेफिक हवलदार पहचान गया।
"आप अभिनेता जयेश कुमार है न!" ट्रैफिक हवलदार ने पुछा।
"हां सर! आपने सही पहचाना। मैं जयेश कुमार हूं।" जयेश कुमार बोले।
"साॅरी सर! रूटीन चेकअप चालू है आपको तकलीफ हुई। आप जा सकते है।" हवलदार जयेश कुमार को रोकने की गलती पर पछताते हुये बोला।
"कोई बात नहीं सर! ये आपकी ड्यूटी है। ये लीजिय मेरा लाईसेंस और बाइक का आरसी कार्ड।" जयेश कुमार ने अपने पर्स में से दोनों कार्ड निकाले और हवलदार को दिखाते हुये कहा।
"क्यों शर्मीन्दा कर रहे है सर! मुझे पता है। आपके पास सब कम्पलीट होगा।" हवलदार ने कहा।
"नहीं है! मेरे पास सारे कागज पुरे नहीं है। कल ही बाइक का इन्सौरेंस खत्म हो गया है। ये देखीये।" जयेश कुमार ने बाइक इन्सौरेंस के कागज दिखाये।
हवलदार ने कागज अपने हाथों में लेकर देखा।
"जाने दीजिये सर! भूल से ऐसा हो जाता है। मुझे पुरा यकिन की आप आज ही बाइक की बीमा करवा लेंगे।" हवलदार ने कहा।
"जी! वो तो में अवश्य करवा लुंगा। लेकिन मुझसे गलती हुयी है इसकी पेनाल्टी तो मुझे भरनी है।" जयेश कुमार बोले।
"अरे! कोई बात नहीं....।" हवलदार बोला।
"नहीं सर! मुझे पेनाल्टी भरनी है और आपको मेरी रसीद बनानी पड़ेगी।" जयेश कुमार ने कहा।
"ठीक है सर! आप इतना कहते है तो ये लीजिए रसीद।" हवलदार ने रसीद बनाते हुये कहा।
"ये लीजिए मेरी पेनाल्टी के रूपये।" जयेश कुमार बोले।
"जी!" हवलदार ने रूपये लेते हुये कहा।
क्रमशः ..........
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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।
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लेखक--
जितेन्द्र शिवहरे
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एक बहुत ही खुबसूरत प्रेम कहानी। पढ़िए और शेयर करें
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