किस का लव किस्सा-कहानी

       *किस का लव किस्सा-कहानी*

*एक कहानी रोज़-258 (07/01/2021)*

         *अक्षय* के कदम आगे बढ़ते गये। डरी-सहमी मुस्कान ने अपने कदम खुद-ब-खुद पीछे खींच लिये। अक्षय क्या करने वाला था, यह स्वयं मुस्कान को भी नहीं पता था? वह अक्षय की आंखों में शरारत देख चूकी थी। अक्षय के कंपकपाते होंठ मुस्कान के चेहरे के एकदम नजदीक आ पहूंचे। मुस्कान ने अपने दोनों हाथों से अक्षय को स्वयं से दुर करने का प्रयास किया किन्तु आज अक्षय कहां मानने वाला था? वह तो मुस्कान के सुर्ख लबों का रस स्वादन करने के लिए आतुर था।

"अक्षय! प्लीज! ये सही नहीं है।" मुस्कान ने अक्षय को रोका।

"कुछ गल़त नहीं है मुस्कान! हमारी सगाई हो चुकी है।" अक्षय ने तर्क दिया।

"सगाई हुई है, शादी नहीं। ये सब शादी के बाद।" मुस्कान ने अक्षय को स्वयं से दुर करते हुये कहा।

अक्षय ने मुस्कान का हाथ पकड़ लिया। कसमसाती मुस्कान अक्षय से अपना हाथ छुड़वाने की असफल कोशिश करने लगी। उसने आंखें भींच ली और नांक-मुंह सिकोड़ने लगी। वह रोद्र रूप दिखाना चाहती थी लेकिन अक्षय की पकड़ इतनी मजबूत थी कि मुस्कान चाहकर भी अपने चेहरे पर क्रोधित भाव नहीं ला पा रही थी। अक्षय पुनः आगे बढ़ा। उसने मुस्कान के दोनों हाथ पकड़ लिये। मुस्कान अपनी कमर के पीछे बंधे स्वयं के दोनों हाथों को अक्षय की पकड़ से छुड़वा पाने में असमर्थ थी। अक्षय के लिए यह गोल्डन चांच था। वह यह अवसर खोना नहीं चाहता था। इसलिए वह तुरंत आगे बड़ा। उसका चेहरा मुस्कान के चेहरे पर झूक गया। मुस्कान ने अक्षय की आतुरता देखकर अपने दोनों होंठ (मुंह के अंदर) दबा लिये। मुस्कान की यह हरकत देखकर अक्षय की हंसी छूट गयी। वह मुस्कुरा रहा था। मुस्कान ने अनुभव किया कि अक्षय ने उसके हाथों की पकड़ कुछ ढीली कर दी है। उसने तुरंत स्व शक्ति के साथ अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश की। इस बार वह अक्षय की पकड़ से अपने हाथ छुड़वाने में सफल रही। अक्षय वहीं खड़ा था। मुस्कान रूठकर जाने लगी। कुछ कदम चलकर वह अक्षय से दूर आ गयी। इतने में उसने सोचा-'अक्षय को नाराज़ कर क्या मैं सही कर रही हूं? कहीं जुड़ने से पहले ही हमारा यह रिश्ता टूट न जाएं?' ऐसे अनेक विचार उसके मन मस्तिष्क में कौंध रहे थे। वह मुड़ी। अक्षय वही खड़ा था। आशावान। वह मुस्कान को ही देख रहा था। मुस्कान कुछ सोचकर पुनः अक्षय के पास जा पहूंची।

"साॅरी अक्षय! अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो?" मुस्कान बोली।

अक्षय चूप था। वह मुस्कान के करीब आया। अक्षय ने अपनी ऊंगली मुस्कान के होंठों पर रख दी ताकी मुस्कान आगे कुछ न बोले। अक्षय के शरीर की तपन मुस्कान अनुभव कर रही थी। कहीं कुछ अनर्थ न हो, इस बात की आशंका उसके चेहरे पर साफ देखी जा सकती थी। अक्षय ने मुस्कान की कमर पर अपनी दोनों बाहों की माला डाल दी। एक बार फिर से मुस्कान अक्षय की गिरफ्त में थी।

"प्लीज! अक्षय! कोई देख लेगा।" मुस्कान दबी आवाज़ में बोली।

"पुराना डायलाॅग है। कुछ नया कहो।" अक्षय बोला।

वह मुस्कान के गले पर अपना मुंह ले गया। अक्षय मुस्कान के बालों के झुरमुट में अपना चेहरा छिपा रहा था। मुस्कान स्वयं के शरीर में उत्साही तरंगे अनुभव कर रही थी। न चाहते हुये भी अक्षय का यह स्पर्श उसे असीम सुख दे रहा था। किन्तु एक स्वाभाविक लड़की होने के नाते अक्षय की हर हरकत पर वह अपनी अस्वीकृती प्रकट कर रही थी। मुस्कान के गले पर अक्षय के होठों ने अपनी छाप छोड़ दी। वे मुस्कान के गालों और फिर उसके बाद मुस्कान के होठों तक पहूंचना चाहते थे किन्तु मुस्कान की असहमति के कारण उनका सफर मुश्किलों भरा हो चूका था। वे अपनी मंजिल तक नहीं पहूंच पा रहे थे। अक्षय ने अपने दोनों हाथों से मुस्कान का चेहरा पकड़ लिया। जिससे की मुस्कान अपना मुंह इधर-उधर घुमा न सके। मुस्कान छटपटा रही थी मगर अक्षय था कि अब उसे कोई रियायत देने के मुड में नहीं था। मुस्कान बुरी तरह फंस चूकी थी। अक्षय के गजरते होंठ मुस्कान के लरजते होठों को कुचलने ही वाले थे। मुस्कान की सांसे तेज-तेज चलने लगी। यही हाल अक्षय का भी था। वह ही मदमस्त हो चुका था। मुस्कान के शरीर की सुगंध उसे दीवाना बना रही थी। इससे पहले की अक्षय अपने उद्देश्य में पुरा हो पाता, मुस्कान एक झटके के साथ अक्षय के सीने से जा लगी। उसने अक्षय की पीठ को बाजूओं से पकड़ लिया। मुस्कान ने आंखे बंद कर ली। वह अक्षय के हृदयस्थल पर अपना चेहरा छुपा रही थी। अक्षय ने मुस्कान के इर्द-गिर्द अपनी बाहें फैला दी। वह मुस्कान की मंशा समझ गया। अक्षय ने मुस्कराते हुये मुस्कान के कंधे पर हाथ रख दिया। मुस्कान अब सामान्य थी क्योंकि वह समझ गयी थी कि अक्षय ने अपना मंतव्य त्याग दिया है। दोनों एक-दूजे से सटकर चलते हुये पार्क से धीरे-धीरे बाहर निकल गये।


समाप्त 

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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमती है।


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लेखक--

जितेन्द्र शिवहरे 

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