हिम्मतवाली-कहानी

   *हिम्मतवाली- कहानी*

*एक कहानी रोज़-349*

      *समृद्ध* परिवार के पवन के लिए लड़कीयों का टोटा राधिका की तलाश पर जाकर खत्म हुआ। गांव खेड़ों की खूब धूल खाई तब जाकर रूपये एक लाख के एवज में राधिका मिली। सुदूर ग्रमीण अंचल की रहने वाली राधिका महलों की बहू बनकर प्रसन्न थी। समय ने इतनी जल्दी करवट बदली कि किसी को कुछ समझ नहीं आया। सभी के मुख में यही प्रश्न था की यह सब हुआ कैसे? शादी के कुछ ही दिनों बाद बिस्तर पर तकीयों की गांठ को ढककर राधिका अपने पुर्व प्रेमी संग ससुराल से फरार हो गयी। पवन के साथ पुरे परिवार के होश उड़ गये। मामला एक लाख रूपयों का था इसलिए पवन के परिवार वालों ने राधिका के पिता पर चढ़ाई कर दी। पांच बेटी और एक बेटे के पिता सुमंत को अपनी तिसरे नंबर की नाबालिक बेटी रीना, राधिका की भरपाई स्वरुप पवन को सौपनी पड़ी। रीना पढ़ना चाहती थी। उसे अपनी दो अन्य छोटी बहनों और एक भाई की परवाह थी। मां सुकमा क देहातं हाल ही में हुआ था। बड़ी बेटी की पुर्व में शादी हो चूकी थे। किन्तु पिता पर रुपयों का दवाब आता देख रीना को ना चाहते हुये पवन के साथ शहर जाना पड़ा। रीना जब तक बालिक न हो तब तक वह पृथक कमरे में रहेगी किन्तू पवन और परिवार कि निगरानी में। इतना ही नहीं पवन, रीना की अधुरी पढ़ाई को जारी रखने के लिए भी राजी हो गया। पुनः कागज पर लिखा पढ़ी कर रीना को पवन के हवाले कर दिया गया। रीना हर समय भाई-बहनों के विषय में चिचिंत रहती। एक रात पवन ने जब अपनी सीमा लांघकर रीना से जबरदस्ती करनी चाही तब समुन्दर की भांति रीना ने भी अपनी सीमा लांघ दी। उसने खुलकर विद्रोह कर दिया। पवन और परिवार वालों ने सभी तरह से रीना को समझाया। मारा-पीटा किन्तु रीना नहीं मानी। कैमरे की कैद में बंद रीना को जल्द ही भागने का अवसर मिल गया। वहां से भागकर वह सीधे पुलिस स्टेशन गयी। पवन और परिवार वालों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। रीना के पिता की भी गिरफ्तारी हुई। रीना की समझदारी और सही वक्त पर सही फैसला लेने के कारण रीना ने न केवल स्वयं को बचाया अपितु अन्य पीड़ीताओं को भी रास्ता दिखाया।


समाप्त

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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमति है।


सर्वाधिकार सुरक्षित

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जितेन्द्र शिवहरे (लेखक/कवि)

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