सावधानी-लघुकथा
सावधानी-लघुकथा
अनुपम के साथ धीरे-धीरे परिवार के अन्य सदस्य भी कोविड की चपैट में आ रहे थे. सुमती ने सामाजिक दुरी बना ली. उसके दोनों बच्चें और सास-ससुर होम काॅरेन्टाइन हो गये. अनुपम ने हाॅस्पीटल से सुमती को फोन पर समझाया. वह बोला कि बिमारी को छिपाने से और फैलेगी. अच्छा होगा की वह स्वयं आगे होकर स्वीकर करें की हम संक्रमित है. और जो लोग भी जाने-अनजाने हमसे संपर्क में आये है वे तुरंत अपनी-अपनी जांच करायें. ताकि उनसे यह बिमारी अन्यत्र न फैलें. यह हमारा नैतिक दायित्व बनता है कि हम अपने साथ दूसरों की भी सुरक्षा करें. अनुपम की बातें सुमती को समझ आ गयी. उसने आस-पड़ोस में फोन कर पड़ोसीयों को सुचित कर दिया कि वह होम काॅरेन्टाइन है इसलिए उसके यहां फिलहाल कोई न आये. उसने उन लोगों को पर्सनली फोन कर सावधान किया जो पिछले दिनों सुमती के संपर्क में आये थे. सुमती की सूचना पर वे लोग जांच करने हाॅस्पीटल पहूंचे. सूमती ने एक जिम्मेदार नागरीक होने का फर्ज निभाकर महामहारी को रोकने में महती भूमिका निभाई.
.समाप्त
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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमति है।
सर्वाधिकार सुरक्षित
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जितेन्द्र शिवहरे (लेखक/कवि)
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