भूतपूर्व प्रेमी-कहानी

 *भूतपूर्व प्रेमी-कहानी*

        *बाज़ार मे अनुष्का को देखते ही चन्द्रकांत उससे नज़र चुराने लगा। वह पास ही की एक दुकान में पलटकर भाव-ताव पूंछने का स्वांग रचने लगा। बाज़ार की बे-तरतीब होती भीड़ में भी अनुष्का ने चन्द्रकांत को पहचान ही लिया। एक पल को उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। क्या ये वही चन्द्रकांत था जिसके प्रेम में कभी अनुष्का बूरी तरह पागल थी। हेल्थ के प्रति सदैव चिंतित रहने वाले चन्द्रकांत की फिटनेस उसे ढूंढने से भी नहीं मिली। माना कि वह चालिस पार कर चुका था मगर उस पुर्व नौजवान को अब अनुष्का के लिए पहचान पाना मुश्किल था। इतने सालों के बाद नज़र आये चन्द्रकांत की चश्में वाली आखें अनुष्का को पसंद नहीं आई। कानों के पास बालों की कलमें सफेदी ओढ़ चूकी थी जो संपूर्ण हरियाली को जल्दी से जल्दी सफेद करने पर आतुर थी। दाढ़ी के बाल भी यदा-कदा सफेद हो चुके थे। काले-सफेद दाढ़ी में चन्द्रकांत उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। उसका पेट बाहर आ चूका था और चन्द्रकांत के शरीर पर यदा-कदा जमी चर्बी भी अनुष्का को अरुचिकर लगी। चूड़ी की दुकान पर कुछ पलों के लिए अनुष्का ने जब खुद को देखा, वह सन्न रह गयी। जो कमियां अभी वह चन्द्रकांत में खोज रही थी, वे सभी अनुष्का में भी न चाहते हुये आ पहूंची थी। सिर में मांग के रास्ते सफेदी ओढ़े बाल अनुष्का का मुंह चिढ़ा रहे थे। जिन्हें अनुष्का ने बहुत दिनों से डाई नहीं किया था। आंखों के नीचे स्वतः ऊभर आई कालिख उसे वर्षों का बीमार बता रही थी। जब अनुष्का का अपने पेट पर हाथ गया तो उसे यकिन नहीं हुआ। यह वही छरहरी कोमलांगी अनुष्का की पतली कमर थी जिसकी मटकन पर कितने ही जवाँ दिल धड़का करते थे। वह पतली कमर कब कमरे में बदल गयी अनुष्का समझ न सकी? तब ही उसे अपने दोनों बेटों का सीजर ऑपरेशन से जन्म लेने की बात याद आई। उसके दोनों बाजु किसी पहलवान के हाथों की भांति फुल चूके थे। शरीर में जगह-जगह फेट जमा हो चुका था। अब तक चन्द्रकांत स्वयं को छिपा रहा था। किन्तु आत्मावलोकन से उपजी हीन भावना ने अनुष्का को चन्द्रकांत से छिपने पर मजबूर कर दिया।

चन्द्रकांत घर लौटा। पत्नि सीमा को सब्जी की थैली देकर वह रिफ्रेश होने बाथरूम चला गया। वह खोया-खोया था। बाथरूम में लगे कांच में स्वयं को पहचान पाना चन्द्रकांत के लिए मुश्किल हो रहा था। वह हीरो की तरह दिखने वाला चन्द्रकांत कहां विलुप्त हो गया? शादी के बाद यह दुनिया इतनी नहीं बदली जितना चन्द्रकांत का बदल चूका था। वह कैसे भूल सकता था कि चन्द्रकांत पर कितनी ही लड़कीयां फिदा थी। हायर सेकण्ड्री में ही वह गबरू जवान की पदवी पा चूका था। अनुष्का भी सोलह साल की बहुत ही सुन्दर युवती हुआ करती थी। जब चन्द्रकांत और अनुष्का प्रेम में पढ़े तब पूरे एक हजार स्कूली बच्चों तक यह बात आम हो गयी। चन्द्रकांत फिटनेस पर खासा ध्यान देता था तो अनुष्का बनने-संवरने में। वार्षिक उत्सव में रामलीला का आयोजन हुआ। चन्द्रकांत को राम के किरदार मिला। अनुष्का ने सीता का रोल निभाकर सभी को आनंदित कर दिया। तब से अनुष्का और चन्द्रकांत की लव स्टोरी और भी अधिक प्रसिद्ध हुई। लड़की की बदनामी हो रही थी यह सोचकर अनुष्का के माता-पिता चिंतित हो गये। बारहवीं की परिक्षा के बाद ही वे लोग अनुष्का की शादी करने वाले थे। यह बात चन्द्रकांत को नागंवार गुजरी। वह सीधे अनुष्का के घर पहुंच गया। चन्द्रकांत की दिलेरी से सभी हैरत में थे। उस दिन अनुष्का के भाई रवि और चन्द्रकांत में खूब मारपीट हुई। चन्द्रकांत ने अनुष्का के परिवार से कहा कि वह अनुष्का से प्रेम करता है तथा वह उससे शादी करना चाहता है। बस इसी बात पर रवि ने चन्द्रकांत की पिटाई शुरू कर दी। चन्द्रकांत ने भी जवाबी हमले किये। पुलिस रिपोर्ट में दोनो परिवारों को समझा बूझाकर किसी तरह शांत किया गया। अनुष्का को घर में कैद कर दिया गया। उसकी शादी के लिए लड़के ढूंढे जाने लगे। चन्द्रकांत दिवाना हो गया। उसका पढ़ाई में मन नहीं लगा। फलतः अनुष्का की तरह वह भी वार्षिक परक्षा में फैल हो गया। चन्द्रकांत के पिता ने उसे अपनी ऑटोपार्टस की दुकान पर बैठाया। उधर एक दिन मौका पाकर अनुष्का ने फोन पर चन्द्रकांत से कहा कि वे दोनों घर से भाग चलते है। दूर कहीं जाकर शादी कर घर बसा लेंगे। चन्द्रकांत तैयार था। खिड़की से कूदकर अनुष्का भागने में सफल हो गयी। किन्तु चन्द्रकांत को रात में घर से बाहर जाते हुये उसके पिता आनन्द ने देख लिया। उन्होंने तुरंत अनुष्का के पिता को फोन कर सावधान किया। अनुष्का पोटली थामे सड़क पर भागी जा रही थी। रवि और उसके पिता सुनिल मोटरसाइकिल पर अनुष्का को खोजने निकले। बस स्टैण्ड पर अनुष्का और चन्द्रकांत मिले। दोनों भोपाल जाने वाली बस में चढ़ बैठे। आनंद अपने बेटे चन्द्रकांत को खोजते हुये बस स्टैण्ड पहूंचे ही थे कि रवि ने बस में बैठे चन्द्रकांत को देख लिया। इससे पहले की बस निकल पाती, आनन्द और सुनिल ने बस को वही रोक दिया। रवि दौड़कर बस में चढ़ गया। चन्द्रकांत से उसकी झूमाझटकी होने लगी। आनंद ने चन्द्रकांत को काॅलर से पकड़कर बस से नीचे उतारा। अनुष्का को पकड़ कर रवि और सुनिल घर लौट गये।

कुछ ही दिनों में गाजे बाजे के साथ अनुष्का की डोली उठा दि गयी। वह ब्याह कर ससुराल चली गयी। चन्द्रकांत उसके गम में पागल था। तब ही प्रिया उसके जीवन में आई। यह एक अरेंज मैरिज थी। प्रिया अपने पति चन्द्रकांत का बहुत ध्यान रखती। शनैः शनै: चन्द्रकांत अपनी गृहस्थी में व्यस्त हो गया।

अनुष्का को पता चला कि आज रात की पार्टी में चन्द्रकांत भी आने वाला था। अनुष्का के पति सौरव बिल्डर व्यवसायी थे। चन्द्रकांत और सौरव को उन दोनों के बिजनेस मित्र पटेल एण्ड पटेल मोटर्स ने अपने यहां वैवाहिक कार्यक्रम में आमंत्रित किया था। चन्द्रकांत ने पार्टी में पहनने के लिए बमुश्किल पेन्ट शर्ट का चयन किया था। बालों को डाई कर यंग दिखने की तैयारी करने में वह जितना व्यस्त था उतना ही उत्साही भी था। यही हाल अनुष्का का था। स्वयं को अति खूबसूरत दिखने में वह कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती थी। सुबह ही उसने सबसे पहले जाकर अपनी आईब्रो बनवाई। बालों की सांज-सज्जा में घंटों का समय चला गया। ब्लू साड़ी पहनकर पार्टी में जाने के लिए अनुष्का तैयार थी।

"आप तो भिंडी खाते नहीं थे?" अनुष्का ने चन्द्रकांत से कहा। दोनों पार्टी में मिले। चन्द्रकांत के हाथों में खाने की प्लेट देखकर अनुष्का ने चन्द्रकांत से पूछ लिया।

"अब भिंडी पसंद आने लगी है।" चन्द्रकांत बोला।

अनुष्का ने भी प्लेट लेकर खाना शुरू कर दिया।

चन्द्रकांत बहुत कुछ कहना चाहता था। मगर शब्द थे कि उसके गले तक आकर अटक जाते। दोनों के मध्य हाय-हॅलो और सामान्य पूंछताछ की औपचारिकता चल रही थी।

चन्द्रकांत ने पलटकर देखा। उसके बीवी उसे ज्वाइन करने उसी की तरफ आ रहे थे।

"अनुष्का!" चन्द्रकांत ने कहा।

"जी!" अनुष्का का ध्यान चन्द्रकांत पर गया।

"इस नीली साड़ी मे तुम बहुत खुबसूरत लग रही हो।" चन्द्रकांत बोला।

यह सुनकर अनुष्का का रोम-रोम खिल उठा। जैसे वह फिर से जवान हो गयी हो। एक अजीब सी चुश्ती-फुर्ती वह अनुभव कर रही थी।

"आप भी इस ब्लेक सूट में बहुत ही हैंडसम लग रहे हैं।" अनुष्का ने कहा।

तब ही वहा अनुष्का के पति और बच्चें आ पहूंचे। अनुष्का अपने परिवार को खाना खिलाने में व्यस्त हो गयी।

चन्द्रकांत भी अपनी फैमेली में घुल-मिल गया। उन दोनों भूतपूर्व प्रेमीयों को अपनी यथास्थिति पता थी। जो हुआ उसे स्वीकारने में उनका कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ था। अब तक जैसे जीते आये थे, वैसे ही हंसी-खुशी जीने का प्रयास करते रहेंगे। मगर हां! दोनो की इस मुलाकात के बाद एक परिवर्तन तो अवश्य आया। चन्द्रकांत और अनुष्का अब अपनी हेल्थ के प्रति सावधान हो गये थे। स्वयं को फिट और हेल्थी बनाये रखने के लिए व्यायाम और योगाभ्यास करना अब उनकी नियमित दिनचर्या बन गयी थी।


समाप्त

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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमति है।


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जितेन्द्र शिवहरे (लेखक/कवि)

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