धड़कन-कहानी
*धड़कन-कहानी*
"तुम अगर दुनियां के आखिरी लड़के भी हुये ना, तब भी मैं तुमसे शादी नहीं करूंगी।" पिया के इतना कहने भर से सुमित की एक तरफा प्रेम कहानी का जैसे अंत हो गया। सुमित अवसाद में चला जाता यदि दोस्तों ने उसका हौसला न बढ़ाया होता। अपनो की बदौलत कुछ ही दिनों में सुमित सबकुछ भूलकर सामान्य जीवन जीने लगा।
इधर पिया की बढ़ती आयु ने उसके परिवार की चिंता बढ़ा दी। पुर्व में उनके यहां रिश्तों की जैसे बाढ़ आया करती थी किन्तु अब तो ढूंढे से भी रिश्तें नहीं मिल रहे थे। पिया के माता-पिता अपनी सुन्दर और पढ़ी-लिखी पिया के लिए बेहतर से बेहतर वर की तलाश में थे। वर के चुनाव में वे सदैव भ्रमित दिखाई दिये। पिया को देखने आये रिश्तों के लिए हां या न कहने में भी वे लोग बहुत समय लिया करते थे। वर पक्ष के लोग अनेक बार सहमति हेतु फोन लगाते। किन्तु पिया और उसके माता-पिता कभी सीधा-सीधा प्रतिउत्तर नहीं देते। उल्टा बात को घुमा-फिरा कर या लम्बा खींचकर टालने की कोशिश किया करते। सामाजिक गलियारे में पिया के माता-पिता का ढुलमुल रवैया सुर्खियों में था। पिया भी अपने लिए उच्चतम वर की प्रतिक्षा में तीस की हो गयी थी। अच्छे से अच्छे सुयोग्य वर को भी पिया के अभिमानी स्वभाव का सामाना करना पड़ा था। उसके माता-पिता भी पिया की हां में हां मिलाते। धीरे-धीरे पिया के विवाह के लिए रिश्तें आना लगभग बंद से हो गये।
अवसाद में घिरी पिया ने एक दिन फेसबुक पर सुमित की प्रोफाइल देखी। वह अब भी कुंवारा था। सुमित से पुनः संपर्क बनाने के लिए पिया ने उसे फ्रैंड रिक्वेस्ट भेज दी। तीन दिनों तक कोई जवाब नहीं आया। चौथे दिन सुमित ने पिया की मित्रता स्वीकार की। आत्मग्लानी के पश्चाताप में डूबी पिया ने सुमित से उसे स्वीकारने की मार्मिक अपील कर डाली। सुमित प्रसन्न था किन्तु पिया की इस दशा ने उसे विचलित कर दिया।
"मैंने अब तक शादी नहीं की इसलिए नहीं की मुझे कोई लड़की नहीं मिली बल्कि इसलिए कि मैं शादी करना ही नहीं चाहता था।" सुमित ने कहा।
"मगर क्यों?" पिया ने पूछा।
"क्योंकी मैं तुमसे शादी करना चाहता था और मुझे कहीं न कहीं ये लगता था कि एक दिन तुम मेरे पास वापिस जरूर आओगी।" सुमित बोला।
पिया चूप थी। उसकी आँखे अब भी कुछ पूंछना चाह रही थी।
"पिया! मैं अपने मन में तुम्हें बसा चुका था। मेरे दिल की हर धड़कन पर सिर्फ तुम्हारा नाम है। ऐसे में मैं किसी दूसरी लड़की को कभी वो स्थान नहीं दे पाता जो मेरे जिन्दगी में तुम्हारा है। मैं किसी को धोखा देना नहीं चाहता था! बस इसलिए मैंने शादी नहीं की।" सुमित बोल चूका था।
पिया कि आंखें नम हो गयी। वह दौड़कर सुमित के हृदय से जा लगी। सुमित ने पिया को स्वीकार कर लिया क्योंकी उसकी प्रेम कहानी अब एक तरफा नहीं थी।
समाप्त
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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमति है।
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जितेन्द्र शिवहरे (लेखक/कवि)
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