साक्षात्कार-लघुकथा

 *साक्षात्कार- लघुकथा*


         *एक* अनजान पत्रकार ने फोन पर मुझसे कहा- 'सर! आपका इन्टरव्यू लेना है। समय दीजिये।'

मैंने कहा- 'आदरणीय मैं इस योग्य कहां? न कोई बड़ी प्रसिद्धी न कोई विशेष सम्मान?'

पत्रकार महोदय तुरंत बोले- 'आप यह कैसे कह सकते है कि आप प्रसिद्ध नहीं?"

मैंने कहा- 'यदि मैं सुयोग्य और सुविख्यात होता तब आप अभी मुझसे नहीं मेरे निजी सेक्रेट्री से इस साक्षात्कार के संबंध में अनुज्ञा ले रहे होते।'

पत्रकार महोदय मेरे व्यंग्य को समझ गये। उन्होंने हंसते हुये फोन रख दिया।


समाप्त

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प्रमाणीकरण- लघुकथा मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कथा प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमति है।


सर्वाधिकार सुरक्षित ©️®️

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जितेन्द्र शिवहरे (लेखक/कवि)

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