छम्मक्छल्लो-कहानी
*छम्मक्छल्लो-कहानी*
*मोहल्ले* में ऐसा कोई घर न था जहां छोटे-बड़े आयोजन में नम्रता जाकर थिरकी न हो। नृत्य उसे बहुत पसंद था। घर में जब-तब वह मोबाइल पर सांग चलाकर नाचने लग जाती। टीवी पर कोई गीत चलता दिखता, नम्रता तुरंत उसकी काॅपी करने लगती। नम्रता के माता-पिता कभी कभार उसकी इस हरकत पर उससे चिड़ जाते। भाई जय तो नम्रता को खूब बांट पिलाता। शादी की उम्र हो चली थी मगर नम्रता कहां मानने वाली थी! डांस उसका शौक ही नहीं वरन एक जूनून था जो चौबीसों घंटे उस पर हावी रहता। मोहल्ले वाले दबी आवाज़ में नम्रता को छम्मक्छल्लो कहकर बुलाया करते था। मिस्टर आत्माराम और मिसेस सुगन अपनी बेटी के इस संबोधन पर मोहल्ले वासियों से कई दफा भिड़ चूके थे।
शेखर और नम्रता के प्रेम प्रसंग में अलगाव का मुख्य कारण नम्रता का नृत्य ही था जो शेखर को कभी पसंद नहीं आया। नम्रता के लिए दूसरे वर की तलाश जारी थी ताकि जल्दी से जल्दी उसके हाथ पीले कर दिये जाये। किन्तु छम्मक्छल्लो का उद्बोधन घर आये रिश्तों पर पानी फेर जाता। नम्रता ही मोहल्ले की छम्मक छल्लो है, यह जानकर लड़के वाले उल्टे पैर लौट जाते। एक दिन नम्रता को पता चला कि पिछले महिने इंडियाज बेस्ट डांसर टीवी कार्यक्रम में दिये ऑडिशन में उसका चयन हो गया है। पिछले महिने ही उसने सभी से छिपते-छिपाते भोपाल जाकर डांस ऑडिशन में भाग लिया था। मगर उसकी प्रसन्नता अधिक समय तक न रही। क्योंकि घरवाले उसे मुम्बई भेजने के सख़्त खिलाफ थे। जय ने उसे कमरे में नज़र बंद कर दिया। क्योंकि उसे पूर्ण संदेह था कि नम्रता बिना किसी को बताये मुम्बई भाग जायेगी। नम्रता ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। इंडियाज बेस्ट डांसर टीवी का प्रति उसने मार्मिक अपील कर डाली। देखते ही देखते नम्रता के नज़र बंद की खबर सर्वत्र फैल गयी। मुम्बई की इंडियाज बेस्ट डांसर टीवी शौ की टीम इंदौर आई नम्रता को लेने। शहर भर में हो-हल्ला मच गया। नम्रता के परिवार वालों को समझा-बुझाकर उसे मुम्बई भेजने के लिए मना लिया गया। नम्रता पूरे इंदौर में प्रसिद्ध हो गयी थी। जो मोहल्ले वाले उसे छम्मक्छल्लो कहकर मज़ाक बनाया करते है, आज शर्मिन्दा थे। नम्रता के डांस ने उसे एक नयी पहचान दी थी। जिसमें उसके लिए बहुत सारा मान-सम्मान था। नम्रता कार में बैठ गयी मुम्बई जाने के लिए। शेखर उसे दूर से देख रहा था। उसकी चेहरे पर मायुसी थी। भीड़ में खड़े शेखर को नम्रता ने पल भर के लिए देखा और मूंह फेर लिया। कार चली गयी। बच्चें कार के पीछे दौड़ते हुये नम्रता को सीऑफ कर रहे थे।
नम्रता की असली परिक्षा मुम्बई में थी। यहां फायनल ऑडिशन में पास होकर ही वह इंडियाज बेस्ट डांसर में प्रेवश पा सकती थी। ऑडिशन स्थल पर उम्मीदवारों की लम्बी-लम्बी लाइन देखकर नम्रता के होश उड़ गये। सड़कों पर ही नृत्य का अभ्यास कर रहे प्रतिभागी अपने पर्सनल नृत्य निर्देशकों के मार्गदर्शन में ऑडिशन की तैयारी में व्यस्त थे। प्रतिभागियों में गज़ब का उत्साह था। नम्रता यह सब देखकर घबरा गयी। उसके हाथ पैर फूलने लगे। 'कहीं वह सफल नहीं हुई तो? क्या मूंह लेकर जायेगी इंदौर?' वह सोच ही रही थी की चलते-चलते उसकी नज़र तीन फीट के पोलियों ग्रस्त डांसर पर पड़ी। वह दिव्यांग भी ऑडिशन देने आया था। उसके चेहरे पर निश्चिन्तता के भाव थे। वह अपनी बारी आने की प्रतीक्षा में था। नम्रता से रहा नहीं गया। वह उस दिव्यांग के पास गई।
"क्या आपको लगता है कि आप ऑडिशन में पास हो जायेंगे?" एक न्यूज एंकर ने उस दिव्यांग से पूछा।
"ये ऑडिशन तो पहला पड़ाव है मैं तो इंडियाज बेस्ट डांसर की ट्राफी जीतकर जाऊंगा।" दिव्यांग ने माइक पर कहा। उसका उत्साह देखते ही बनता था।
दिव्यांग के जवाब पर तालियां बज उठी। नम्रता के रोम-रोम में जैसे बिजली-सी दौड़ गयी। एक दिव्यांग की आशावादी सोच ने उसे बहुत बल दिया। वह निराशा से ऊबर चुकी थी। उसने अपना सारा ध्यान ऑडिशन की तरफ फौकस किया।
शेखर अपने पुर्ववत व्यवहार पर पछता रहा था जिसमें उसने नम्रता को छम्मक्छल्लो तक कहने से गूरेज नहीं किया था। नम्रता ने भी अपना दृढ़ निश्चय शेखर को सुना दिया था। अब वह इसी नाम को अपनायेगी जिसमें उसे उपहास की दृष्टी से देखा जाता था। नम्रता ने टीवी शो पर अपना छम्मक्छल्लो नाम ही प्रसारित करने की अनुमति मांगी। नम्रता की लगन और कढ़ी मेहनत के आगे उसकी यह मांग स्वीकार कर ली गयी। वह न सिर्फ ऑडिशन में पास हुई अपितु टाॅप टेन प्रतिभागियों में जगह बनाने में भी सफल हुई। टीवी पर नम्रता के स्थान पर छम्मक्छल्लो नाम ही प्रसारित किया जाता। सारी दुनिया नम्रता को छम्मक्छल्लो नाम से पहचानने लगी थी। नम्रता को मिलने वाला सबसे पहला ऑनलाइन वोट शेखर का था। यह बात नम्रता को जब पता चली तब ऑन स्क्रीन पर उसने शेखर से अपना पहला प्रेम स्वीकार किया। टीवी वालों ने शेखर को इंदौर में ढूंढ निकाला। नम्रता जिस युवक से प्रेम करती थी अब वह शेखर भी किसी सेलीब्रिटी से कम नहीं था। शेखर और नम्रता पर एक रोमेन्टीक नृत्य प्रस्तुत किया जाना तय हुआ। नम्रता ने स्वयं शेखर को नृत्य सिखाया। यह नृत्य प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं था किन्तू दोनों रियल प्रेमियों की इस प्रस्तुति ने बहुत टीआरपी बटोरी। शेखर ने स्वीकार किया कि वह नहीं चाहता था कि नम्रता नृत्य करें। वह चाहता था कि नम्रता भी अन्य युवतियों की तरह शादी के बाद आम जिन्दगी बसर करे। किन्तु नम्रता को यह स्वीकार नहीं था। अतः दोनों में अलगाव हो गया और शेखर, नम्रता से दूर हो गया। फिर उसे आत्म अनुभव हुआ कि हम पुरूष लोग पीठ पीछे महिलाओं के नृत्य को अकेले में देखना तो पसंद करते है किन्तु हमारे घर की कोई नारी डांस करे, वह हम कतई बर्दाश्त नहीं करते। पुरुषों का यह दो मुंहापन ही ढेरों महिलाओं की नृत्य प्रतिभा को संसार के समझ लाने में बहुत बड़ी बाधा है। जिसे शेखर ने सबसे पहले स्वयं ही हटाने की पहल की। वह नम्रता के साथ हो गया। शेखर ने नम्रता के छम्मक्छल्लो उपनाम की वकालत की और नम्रता को पुनः प्राप्त करने में सफल हुआ। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच शेखर ने नम्रता को ऑन स्क्रीन न केवल प्रपोज किया बल्कि नम्रता की सहमति के बाद उसे सगाई की अंगूठी भी पहना दी। इंडियाज बेस्ट डांसर का घमासान जोर-शोर से जारी था। इधर नम्रता और शेखर की प्रेम कहानी भी बड़ी मशहूर हो रही थी। दोनों का परस्पर प्रेम दिनों-दिन नित्य नई ऊँचाईयों को छूं रहा था।
समाप्त
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जितेन्द्र शिवहरे (लेखक/कवि)
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बहुत खूब भैया
जवाब देंहटाएंगजब आदरणीय।
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