धंधे वाली-कहानी

 धंधे वाली-कहानी


        निम्मी कुछ सुनने को तैयार नहीं थी। वातावरण गर्म था। भूषण द्वारा राखी को खरीदकर दिये मकान में उसकी पत्नी निम्मी अचानक आ धमकी थी। भूषण पर उसे शक बहुत पहले से था और आज उसे राखी के साथ एक ही मकान में मिलने से उसका शक यकिन में बदल गया।


"भूषण! तुम इस धंधे वाली के साथ! छीं!" निम्मी बोली।


"मुझे लगता है निम्मी को सब सच बता दिया जाना चाहिये।" राखी ने भूषण से कहा।

"अब भी कोई सच बाकी है क्या? धंधा करने वाली औरत! दूसरे के पति पर अपना अधिकार जताती है।" निम्मी गुस्से में थी।


भूषम को अनुभव हो चूका था कि अब निम्मी को रोक पाना आसान नहीं है। अतः निम्मी को सत्य बताना ही होगा।


"निम्मी! ये बात तब की है जम तुम मुझसे रूठ कर एक महिने के लिए अपने मायके चली गयी थी। दोस्तों के उकसाने पर मैंने उस रात शराब बहुत पी थी। हम लोग रेड लाइट एरिया में पहूंच गये। मैंने मनोज से कहा कि मुझे यह सब नहीं करना मगर न मनोज माना और न ही विनोद।" भूषण ने बताया।


"ओहहहह! तो अब तुम कोठे पर भी जाने लगे! शेम ऑन यू भूषण!" निम्मी ने घृणा भरा भावों से कहा।


भूषण चूप था। राखी भी शांत खड़ी थी।


"फिर क्या हुआ?" निम्मी ने पूछा।


"मुझे राखी के साथ एक बंद कमरे में भेज दिया गया। राखी गर्भ से थी और कभी भी उसकी डिलेवरी हो सकती थी। मैंने नोट किया की राखी कराह रही है। मगर किसी को उसकी परवाह नहीं थी। मुझसे रहा नहीं गया। मैंने अपनी कार में उसे हाॅस्पीटल चलने को कहा। राखी नहीं मान रही थी। तब मैंने उसे जबरन बाहों में उठाकर कर में बिठा दिया। उसकी सहेलियों ने मेरा साथ दिया और मुझे सही सलामत वहां से निकलने मे मदद की।" भूषण ने बताया।


इतने में बच्चें की रोने की आवाज़ आई। राखी अंदर के कमरे से शिशू को उठाकर बाहर हाॅल में ले आई।


निम्मी समझने की कोशिश कर रही थी। वह राखी के शिशू को एक टक देखती रही।


"हाॅस्पीटल पहूंचते ही नर्स ने मेरी आई डी मांगी। बच्चे के पिता के नाम के स्थान पर मेरा नाम लिख लिया गया। राखी की डिलेवरी सीजर ऑपरेशन से होनी थी। इसके लिए परिजनों की सहमति आवश्यक थी। मैंने किसी से कुछ नहीं कहा ताकी राखी की डिलेवरी ठीक-ठाक हो जाये।" भूषण ने आगे बताया।


स्तनपान के बाद शिशू शांत हो गया। वह की राखी की गोद में किलकारियां मार रहा था। हंसते-खलते शिशू को देख निम्मी का गुस्सा जाता रहा।


"राखी ने स्वस्थ शिशू को जन्म दिया। मैं अनजाने में राहुल का पिता बन चूका था और मैं नहीं चाहता था कि राखी पुनः उस गंदगी में जाये। बस इसीलिए मैं राहुल और राखी को यहां ले आया।" भूषण बोला।


निम्मी शांत खड़ी भूषण को सून रही थी। राखी के चेहरे पर सच्चाई की झलक निम्मी अनुभव कर रही थी। 


निम्मी की सूनी गोद शादी के आठ साल बाद भी नहीं भरी थी। उसे तीन बार गर्भ ठहरा किन्तु पूर्णता के पहले ही गर्भपात की नौबत आ गयी। डाॅक्टर्स को मजबूरन निम्मी की बच्चेदानी निकालनी पड़ी। तब ही से निम्मी चिढ़-चिढ़ी हो गयी थी। छोटी-छोटी बात पर भूषण से मन मुटाव कर वह मायेक चली जाती। निम्मी को बच्चें की कितनी चाह है यह बात भूषण जानता था। तब ही उसने राखी के बच्चें को अपनाया। किन्तु निम्मी उसे अपनायेगी या नहीं यही सोचकर वह निम्मी से बहुत कुछ छिपाने लगा था। निम्मी का शक राखी और राहुल को देखकर ही दूर हो गया।


राहुल को अपने हृदय से लगाकर निम्मी सब कुछ भूल गयी। उसका ममत्व उसकी आखों से आश्रू बनकर बह रहा था।


समाप्त

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प्रमाणीकरण- कहानी मौलिक रचना होकर अप्रकाशित तथा अप्रसारित है। कहानी प्रकाशनार्थ लेखक की सहर्ष सहमति है।


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जितेन्द्र शिवहरे (लेखक/कवि)

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