लुटेरी दुल्हन-कहानी

 *लुटेरी दुल्हन-कहानी*

     

   राज दिखने में स्मार्ट, चतुर, रसीली और मीठी वाणी बोलकर अपनी चिकनी-चुपड़ी और आत्मविश्वास से लबरेज़ बातों से, कुछ ही समय में किसी को भी अपना बना लेता था। वह पहले युवतियों की कमजोरियों का पता लगा लेता। राज लड़कीयों की भावनाओं को बहुत अच्छे वाकिफ़ हो जाता और मौका पाते ही वह अपना शिकार फांस लेता था। खुबसूरत लड़कीयों को देखते ही उसकी आंखों में एक विशेष प्रकार की चमक दिखाई देने लग जाती थी। 

       राज कभी पकड़ा नहीं गया। उसकी वास्तविक पहचान बहुत कठिन थी। होंशियार से होंशियार लोग भी धोखा खा जाते। राज को वे ही बुजुर्ग पहचान सकते थे जिन्होंने अपनी युवावस्था में कभी किसी से फ्लर्ट किया हो।


राज अनेक युवतियों को अपने झूठे प्रेम जाल में फंसा कर न केवल उनका तन-मन-धन लुट रहा था अपितु उनकी निर्दोष भावनाओं से भी खिलवाड़ कर रहा था।


ऐश्वर्या के बाद राज लाइफ में सैटल होना चाहता था। उसके पास सबकुछ था। ऐश्वर्या अपने मां-बाप की इकलौती लड़की होकर लाखों की सम्पत्ति की मालिक थी। वह बला की खुबसूरत थी। राज ने खूद को वही रोकना मुनासिब समझा। ऐश्वर्या भी दिलो-जान राज पर हार बैठी थी। राज भी टूटकर ऐश्वर्या को चाहने लगा था। ऐश्वर्या के मां-बाप कतई नहीं चाहते थे कि वे एक ऐसे युवक को अपनी बेटी दे जिसके खानदान का कुछ अता-पता नहीं है और न ही राज की अपनी कुछ पहचान है। लुट के पैसों से उसने एक रैस्टोरेंट शुरू किया था जहां ऐश्वर्या और राज एक दूसरे के करीब आये। ऐश्वर्या की जिद के आगे मिस्टर एंड मिसेस झुनझुनवाला के तेवर नर्म पड़ गये। वे राज को अपना दामाद बनाने के लिए सहमत हो गये।

राज के पैर जमीन पर नहीं थे। ऐश्वर्या से शादी करने के ख्वाब देख रहे राज को अपना पूरा जीवन सुरक्षित और ऐशो-आराम मे बितता दिखाई दे रहा था क्योंकी झुनझुनवाला की सारी संपत्ति की इकलौती मालिक ऐश्वर्या थी और ऐश्वर्या से शादी के बाद सबकुछ खुदबखुद राज का होने जा रहा था।


"मनीष ये तू क्या कह रहा है?" राज गुस्से में बोला।

मनीष राज के रैस्टोरेंट में मैनेजर था। राज के सुख-दुःख में मनीष ही था जिसने राज का साथ कभी नहीं छोड़ा। मनीब ने ही समझा-समझा कर राज को सही रास्ते पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


"राज ऐश्वर्या कोई बड़े बाप की लड़की नहीं है! वह फ्राॅड है! जाने कितने ही लड़कों को अपने हुस्न के जाल में फंसाकर उन्हें कंगाल बना चूकी है।" मनीष बोला।

"तुझे कैसे पता चला!" राज ने पूछा।

मनीष के चेहरे पर शर्मीन्दगी के भाव उभर आएं।


"राज! ऐश्वर्या वही लड़की है जिसने मुझसे झूठा प्यार करके मेरा सबकुज छीन लिया।" मनीष बोला।

"क्याssss? यूं मीन ऐश्वर्या ही योगीता है?" राज ने पूछा।


"हां राज! नेट पर मैंने ऐश्वर्या की प्रोफाइल खोली तो मुझे पता चला की ऐश्वर्या ही योगिता है। इससे पहले की वो तुझे भी बर्बाद कर दे, चल उसे पुलिस के हवाले कर देते है।" मनीष ने अधीरता से कहा।


"अब बहुत देर हो गयी है दोस्त! मैंने कल ही अपना सबकुछ ऐश्वर्या के नाम कर दिया है और अब तक तो उसने ये रैस्टोरेंट बेच भी दिया होगा?" राज बोला।


"ओहहहहह! माय गाॅड ये तुने क्या किया राज! पेपर साइन करने से पहले एक बार मुझसे पूंछ तो लेता।" मनीष ने आश्चर्यचकित होकर कहा।


"सर! बाहर कुछ लोग आए है कहते है ये रैस्टोरेंट उन्होंने खरीद लिया है और हमें जल्दी से जल्दी इसे खाली करना होगा।" वेटर चंदन ने कहा।


राज हारे हुये खिलाड़ी की तरह मुंह लटकाये हुये खड़ा था। मनीष के चेहरे पर हवाइय्या उड़ रही थी।


अनवरत.....


(पढ़ीए पूरी कहानी 'जितेन्द्र की कहानियां' में)


जितेन्द्र शिवहरे लेखक इंदौर 

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