लव काॅलेज (दी स्टडी ऑफ लव)

 लव काॅलेज (दी स्टडी ऑफ लव)

                  (कहानी)      ✍️जितेन्द्र शिवहरे

        "कोई मुझे ठूकरा देगा, इस बात का अंदाजा मुझे कभी नहीं था पूरब!" दिशा के आंसू बहना जारी थे।


पूरब को जैसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था। वह शांत खड़ा होकर इस रिश्तें को खत्म होने का तमाशा देख रहा था।


दिशा ने अपने प्यार को बचाने की मिन्नतें तक कर डाली। मगर पूरब टस से मस नहीं हुआ। वह हर कीमत पर दिशा से अलग होना चाहता था।


"दिशा! ये रही तुम्हारी अंगूठी। अब हम कभी नहीं मिलेंगे।" पूरब का ये आखिरी वाक्य था।


हाथों में उस प्यार की निशानी को लिये दिशा बस रोयें जा रही थी। उसका दिल टूटकर चकनाचूर हो चूका था। 


मोनी किसी तरह समझा-बूझाकर उसे घर तक ले आयी। दिशा को धोखा देने वाला पूरब आज नफरत भरी नज़रों से देखा जा रहा था। आखिर उसने ऐसा क्यों किया? सभी के दिमाग़ में बस यही सवाल गूंज रहा था। जबकी दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे और सगाई के बाद शादी भी करने वाले थे।


"जब कोई सच्चा प्यार करने वाला तुम्हें छोड़कर जायेगा, तब तुम्हें मेरी याद जरूर आयेगी।" दिशा ने आखिरी बार पूरब से फोन पर ये कह डाला।


न जाने क्यों यह वाक्य जैसे दिशा को सुना-सुना सा लगा। जैसे किसी अपने ने बहुत पहले उसे ऐसा कहा हो। दिशा दुःखी थी मगर पूरब से फोन पर कहे गये वो मार्मिक शब्द उसे आलोक की याद दिला गये। ऐसा ही कुछ आलोक ने भी तो दिशा से कहा था, जब दिशा ने आलोक को रणबीर के लिए छोड़ दिया था। तब आलोक कितना दुखी हुआ था दिशा के लिए। वह दिशा को खोना नहीं चाहता था लेकिन दिशा ने कहा था कि अब वह आलोक के साथ रिलेशनशिप में नहीं रहना चाहती। और उस दिन आलोक ने वैसा ही कहा था जैसा दिशा ने आज फोन पर पूरब से कहा।


क्या आलोक को प्यार में धोखा देने की सज़ा दिशा को कुदरत ने दी थी? या ये महज एक संयोग था। दिशा के दिमाग में उथल-पुथल मच गयी। क्योंकि बिना कोई कारण के पूरब ने उस जैसी खूबसूरत और स्मार्ट दिशा से यूं अचानक ब्रेकअप कर लिया था, वो भी सगाई के बाद।


उसने बहुत खोज की मगर अपने इस सवाल का जवाब उसे कहीं नहीँ मिला।


        दिशा आलोक से मिलना चाहती थी। उसे अपनी भूल पर आलोक से माफी मांगनी थी। मगर इतने सालों बाद आलोक को वह कहाँ खोजें? इसी उधेड़बुन में उसने आलोक के पुराने दोस्तों को संपर्क साधा। मगर किसी को आलोक के विषय में कुछ पता नहीं था। 


एक दिन दिशा के मोबाइल पर एक एड आया। जिसे देखकर वह चौंक गयी। ये आलोक ही था जो अब प्रोफेसर बन चूका था। उसने अपना निजी काॅलेज बनाया था जहां वह हर उम्र के प्रेमियों को प्यार का पाठ पढ़ाया था।


       दिशा खुशी से झूम उठी। आलोक से माफी मांगकर उसके दिल पर रखा एक बड़ा बोझ हट जायेगा। इसी उद्देश्य को लेकर वह शहर से दूर एकांत में बसे लव काॅलेज में आलोक से मिलने जा पहूंची।


 ऐसा अनोखा काॅलेज देखकर दिशा को यकिन नहीं हुआ। यहां सिर्फ और सिर्फ प्रेम की पढ़ाई होती थी और वह भी सिलेबस वाइज। लव सबजेक्ट की एक्जाम होती थी तथा विद्यार्थियों को इसकी डिग्री भी मिलती थी।


आलोक को ढूंढती उसकी नज़र पूरब पर जम गयी। 'ये यहाँ क्या कर रहा है?' दिशा सोच रही थी। खैर.. पूरब तो पूरब ही सही। आलोक से वह फिर कभी मिल लेगी। पूरब से उसे अपने कुछ सवालों के जवाब चाहिये थे।


"मुझे पता था तुम यहाँ जरूर आओगी?" पूरब बोला।


"ओह्ह! तो वह एड तुमने ही मुझ तक पहूंचाया था!" दिशा ने पूंछा।


"हां! मैं चाहता था कि तुम यहाँ आओ।" पूरब ने बताया।


"तब तो तुम मेरे पास्ट के बारे में भी जानते होंगे?" दिशा ने पूंछा।


"हां! सबकुछ।" पूरब ने बताया।


"तो ये सब एक चाल थी। तुम्हारा प्यार भी एक छल था!" दिशा बोली।


"और तुमने जो आलोक के साथ किया वह क्या था?" आलोक ने कहा।


अपनी गलती पर दिशा पहले ही शर्मिन्दा थी। पूरब की नाराजगी देखकर वह फबक पड़ी। उसने दोनों हथेलियों से अपना चेहरा ढक लिया। कुछ देर बाद उसने हाथ हाटाये तो फिर से चौंक गयी। वहां पूरब नहीं था। स्टूडेंट भी गायब हो चूके थे जो कुछ समय पहले यदा-कदा बिखरे थे।


अपने आसपास उसने घूम- घूम कर देखा। वहां कोई नहीं था। आश्चर्य में डूबी वह काॅलेज की कक्षाओं में झाँकने लगी। पढ़ाई में इतने व्यस्त स्टूडेंट उसने पहली बार देखे थे। कहीं रोमियो-जूलियट तो कहीं शिरीन-फराद को पढ़ाया जा रहा था। लैला-मजनू के किस्सों को पर स्टूडेंट तालियाँ पीट रहे थे। स्थानीय प्रेम कथाएं भी रोचक ढंक से कही और सुनी जा रही थी। लड़कों के साथ लड़कीयां भी पढ़ाई का पूरा आनंद लेने में व्यस्त थी। प्रो. आलोक द्वारा प्रेम का अलोकिक वर्णन मंत्र-मुग्ध कर देने वाला था। 


मोहपाश में बंधी दिशा आलोक को बस निहारें जा रही थी।


"सर! आपने कभी किसी से प्यार किया है?" रवि का यह प्रश्न पूरी क्लास की तरफ से था।


"मैंने जिससे प्रेम किया, वह इस समय यहाँ मौजूद है।" आलोक ने कहा।


सभी चौंक कर द्वार पर खड़ी दिशा को देखने लगे।


दिशा को समझ नहीं आया। वह गर्व करें या खुद को कोसें? दिशा के इर्द-गिर्द बहुत सी लड़कीयां जमा हो गयी। उन्हें दिशा से बहुत कुछ पूंछना था। तब ही इन्टरवल की बैल बज उठी। दिशा आलोक तक नहीं पहूंच पा रही थी। कुछ ही पल में आलोक वहां से फिर गायब हो गया। दिशा उस दिन काॅलेज में आई किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं थी। इतना बड़ा लव काॅलेज दिशा की प्रेरणा से ही आलोक खड़ा कर पाया था। ये बात स्टूडेंट जानते थे। दिशा के इंकार से टूट चूका आलोक गुमनामी के अंधेरे में कहीं खो जाता अगर पूरब ने सही समय पर उसे संभाला न होता। पूरब ने आलोक को कहीं कमजोर नहीं होने दिया। बल्कि प्यार को एक ताकतवर हथियार की तरह उपयोग करना सिखाया। आलोक ने लव काॅलेज को शुरू करने के लिए बहुत पापड़ बेले। यहां तक की अपना सबकुछ बेच दिया। परमिशन के लिए वह कोर्ट पहुंच गया। अखबारों में लव काॅलेज ट्रेंड कर रहा था। न्यूज चैनल्स पर लव काॅलेज ब्रेकिंग न्यूज बना हुआ था। बच्चें तो लव काॅलेज में एडमिशन लेना चाहते थे मगर पैरेन्टस इसके सख्त खिलाफ थे। आलोक ने सबको समझाया फिर एडमिशन के लिए मनाया।


पूरब दौड़ते हुये काॅलेज केम्पस में दाखिल हुआ। उसके साथ कुछ अन्य स्टूडेंट भी थे। वह बोला, "हमारे काॅलेज को युनिवर्सिटी ने एप्रुव कर दिया है आलोक।"


स्टूडेंट की भीड़ से बाहर आया आलोक बहुत खुश था। उसने पूरब को गले लगा दिया।


"कोर्ट ने युनिवर्सिटी से कहा है कि लव काॅलेज को जल्द से जल्द एप्रुवल दे और पिछली सभी डिग्री को वैध करने की कार्यवाही शुरू करें।" पूरब बोला।


"ये प्यार की जीत है पूरब।" आलोक बोला।


"मगर कोर्ट ने ये भी कहा की हमें प्यार के साथ-साथ स्टूडेंट के लिए ऐसे कोर्स रखने होंगे जिनसे उन्हें जल्दी से जल्दी रोजगार मिलें।" पूरब ने आगे बताया।


"आई नो इट। और हम इस दिशा में जरूर काम करेंगे।" आलोक बोला।


"तुम्हारी दिशा यहां है आलोक।" दिशा बीच में टोकते हुये बोली। आखिरकार उसने आलोक को ढूंढ ही लिया था।


आलोक मुस्कुरा रहा था। दिशा दौड़ते हुये आलोक के गले जा मिली। आलोक ने उसे बाहों में समेट लिया। तालियाँ की गड़गहाट के बीच ये प्रेम कहानी पूरी हुई।


ये तो प्रेम युग की महज शुरूआत भर थी। लव काॅलेज ने इतना ट्रेन्ड किया कि सरकार ने इससे प्रभावित होकर लव एक्सप्रेस ट्रेन शुरू कर दी। जिसमें प्यार करने वाले कपल्स को विशेष रिजर्वेशन और सुविधा दि जाने लगी। सरकार ने लव मंत्रालय विभाग का गठन कर दिया जहां प्रेमी जोड़ों की समस्याओं की त्वरीत सुनवाई होने लगी। स्कूल-काॅलेज और विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों को अपने दिल की बात अपने दिलबर से कहने की छूट प्रदान की गयी। साथ ही इंकार को स्वीकार्य घोषित कर जबरन के लगाव को प्यार नहीं माना गया। जिसकी पुनरावृत्ति करने वाला कानूनी सज़ा का भागी होता था।

 

"आलोक! आलोक! आलोक! उठिए। सुबह के 8 बज चूके है। आपकी आज इम्पोर्टेंट मीटिंग है।" दिशा बोली।


आलोक आंख मसल रहा था।


"आप आज फिर से लेट उठे है और हो न हो वही सपना देख रहे होंगे!" दिशा बोली।


"हां! दिशा! पता नहीं ये सपना मुझे सुबह-सुबह ही क्यों आता है और हर बार तुम ही मुझे उठाती हो।" आलोक बोला।


"पता नहीं तुमने मुझे दिल से माफ किया या नहीं?" दिशा ने पूंछा।


"अरे नहीं। मैं तुमसे कभी नाराज था ही नहीं। तुम्हारा मुझे इंकार करना, फिर पूरब का तुमसे ब्रेकअप करना और आखिर में हम दोनों का मिलना ये सब कितना रोमांटिक था।" आलोक ने कहा।


"तो फिर ये सपना...!" दिशा ने पूंछा।


"इसमें भी कुछ अच्छाई ही छिपी होगी। तुम परेशान न हो और जल्दी से मुझे एक घूंट पीकर चाय दो।" आलोक ने दिशा से कहा।


शरमाते हुये दिशा चाय बनाने किचन में चली गयी।


समाप्त

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जितेन्द्र शिवहरे इंदौर

8770870151

7746842533

टिप्पणियाँ

  1. आधुनिक युग में प्रेम के अलग आयाम को प्रस्तुत करती रोचक कहानी ! मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं जीतेन्द्र जी !

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