चेट विथ लव

 चेट विथ लव (संवाद)

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✍️जितेन्द्र शिवहरे 


          "ये कैसा प्यार है अश्विन? न ठीक से देखा, न एक-दूसरे को जाना?" सुचिता अपने मोबाइल पर टाइप पर कर रही थी।

"पता नहीं सुचिता! पर मैंने सुना है, इसी को प्यार कहते है।" अश्विन ने लिखा।

"क्या सच में?" सुचिता ने टाइप किया।

"हां! और वैसे भी जान- पहचान में तो व्यापार होता है प्यार नहीं।" अश्विन ने लिखा। वह सुचिता के प्रश्नों का उत्तर दे रहा था। दोनों की मोबाइल पर ये पहली लम्बी चेट थी।


"कुछ दिनों से एक प्रश्न मेरे दिमाग में घूम रहा है?" सुचिता ने पूंछा।


" पूंछो।" अश्विन ने लिखा।


 "आप करते क्या  है?" सुचिता ने अगला टैक्स मेसेज भेजा।


"आपसे प्यार!" अश्विन ने लिखा और साथ में दिल वाली इमोजी भेज दी।


"वेरी फनी! प्यार के अलावा आप क्या करते है?" सुचिता ने टाइप करते हुये पूंछा।


"मतलब?" अश्विन के प्रश्न के जवाब में जवाब आया।


"मतलब की आप शादी करना चाहते है तो कुछ काम-वाम तो करते होंगे?" सुचिता ने लिखा।


"काम? मगर क्यों?" अश्विन ने पूंछा।


"अरे! क्या क्यों? बिना कोई काम या नौकरी किये ही शादी करोगे क्या?" सुचिता ने हैरानी से भरे इमोजी भेजें।


"मुझे काम करने की क्या जरूरत है?" अश्विन ने लिखा।


"पैसों के लिए बुद्धू! परिवार चलाने के लिए पैसा चाहिये और पैसों के लिए काम करना पड़ता है।" सुचिता ने प्यार से समझाया।


"लेकिन मेट्रोमोनी पर तुमने ऐसा कहीं नहीं लिखा की तुम्हें कमाऊ पति चाहिए।" अश्विन ने मजाकिया लहजे में लिखा।


"ये अंडरस्टूड होता है। सबकुछ लिखा नहीं जाता।" सुचिता ने आगे लिखा।


"मगर मैं तो कोई काम या नौकरी नहीं करता! तब क्या मैं तुमसे शादी करने के लिए योग्य नहीं हूं।" अश्विन ने लिखकर पूंछा।


"अब क्या कहूं?" सुचिता बोली।


"इसमें इतना सोचना क्या? हम लड़के भी तो बिना नौकरी वाली लड़की से शादी करते है! तुम्हें नहीं लगता अब यहां भी बदलाव की जरूरत है।" अश्विन ने लिखा।


"आप भी ना! आप और आपकी बातें..!" सुचिता ने बात खत्म करनी चाही।


"अरे! लेकिन तुम तो नौकरी करती हो न! शादी के बाद तुम्हारे पैसे से परिवार चल जायेगा!" अश्विन ने समझाया।


"मतलब की आप बीवी की कमाई पर ऐश करना चाहते है?" सुचिता ने मसखरी करनी चाही।


"बीवीयां भी तो सदियों से पतियों के पैसों पर ऐश करती आई है। मैंने ऐसा करना चाहा तो कौन-सा गुनाह कर दिया।" अश्विन ने आगे लिखा।


"लेकिन लोग क्या कहेंगे?" सुचिता ने लिखा।


"असल में लोग कुछ नहीं कहते सुचिता! उनके प्रतिनिधि बनकर हम ही लोगों की तरफ से कहते रहते है और उन्हें भला-बूरा बना देते है।" अश्विन ने लिखा।


"फिर तो आपको अपनी ही टाइप की कोई दूसरी लड़की ढूंढनी चाहिए।" सुचिता ने कहा।


"लेकिन मुझे तुमसे अच्छी कोई दूसरी नहीं मिलेगी और चाहिए भी नहीं।" अश्विन ने लिखा।


"ओहहहह! तो अगर मैं इस रिश्ते के लिए मना कर दूं तब क्या आप दूसरी जगह शादी नहीं करेंगे?" सुचिता ने पूंछा।


"मुझे पूरा भरोसा है कि तुम मना नहीं करोगी!" अश्विन ने लिखा।


"और अपको ऐसी गलत फहमी क्यों है?" सुचिता ने पूंछा।


"मैंने महसूस किया है कि मेरी तरह तुम भी मुझे पसंद करने लगी हो, इसलिए।" अश्विन ने बताया।


"फिर वही लव वाली फिलोसफी। आपको बता दूं कि मैं आम लड़की की तरह प्यार में पड़ने वाली ईमोशनल लड़की नहीं हूं!" सुचिता ने बताया।


"तो क्या हो तुम?" अश्विन ने पूंछा।


"एज अ पुलिस जाॅब मैं एक तेज तर्राट वर्किंग वुमन हूं जिसकी लाइफ बड़ी मुश्किल और चुनोतीयों से भरी पड़ी है।" सुचिता बोली।


"डरा रही हो मुझे! लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम जैसी हो मुझे पसंद हो और मुझे हर किमत पर तुम ही चाहिए।" अश्विन बोला।


"मैं कोई बाजार में बिकने वाला सामान नहीं हूं मिस्टर।" सुचिता बोली।


"बे-शकिमती चीजें बाजार में नहीं बिका करती मैडम!" अश्विन ने बोला।

"तो आपकी नज़र में मैं एक चीज़ हूं।" सुचिता ने इतराते हुये लिखा।

"तुम क्या हो ये मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता।" अश्विन ने लिखा।


"आप मुझे अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों में फंसा नहीं सकते।" सुचिता बोली।


"लेकिन मैं तो फंस चूका हूँ... तुम्हारे प्यार में!" अश्विन ने लिखा।


"आप सच में पागल है!" सुचिता बोली।


"कोई नयी बात कहो।" अश्विन ने लिखा।


"और इतने बड़े पागल हो कि मुझसे मिलने के लिए फ्लाइट से इंदौर आ  गये, जबकी उस दिन मेरा बर्थ डे भी नहीं था।" सुचिता बोली।


"तुमसे मिलने के लिए मैं कभी भी और कहीं भी आ सकता हूं डीयर!" अश्विन ने लिखा।


"अच्छा जी ये बात है! तो अभी आ सकते है?" सुचिता ने पूंछा।


"हां! क्यों नहीं।" अश्विन ने कहा।


"सोच लिजिए!" सुचिता ने कहा।


"प्यार करते समय नहीं सोचा सुचिता! अब क्या सोचना!" अश्विन ने लिखा।


"लेकिन अभी न कोई ट्रेन है और न फ्लाइट। मुम्बई से इंदौर कैसे आओगे?" सुचिता ने पूंछा।


"तुम टेंशन मत लो! बस पापा के कुछ पैसे खर्च होंगे!" अश्विन ने लिखा।


"पैसे?" सुचिता ने पूंछा।


"हां! हेलीकाप्टर रेन्ट पर लूंगा। उसमें पैसे तो लगेंगे न?" अश्विन बोला।


"अरे ना बाबा! मुझे इतना खर्च नहीं करवाना!" सुचिता ने लिखा।


"तब कैसे मिलेंगे हम?" अश्विन ने लिखा।


"अगले हफ्ते हमारी टीम मुम्बई आ रही है।" सुचिता ने लिखा।


"वाव! दिस इज अ गुड न्यूज! तुम अपना ट्रांसफर मुम्बई ही करवा लो न!" अश्विन ने लिखा।


"क्यों? क्या आप नहीं आ सकते इंदौर!" सुचिता ने पूंछा।


"आ सकता हूं। जहां तुम, वहां मैं।" अश्विन ने लिखा।


"लेकिन मेरा तो एक शहर से दूसरे शहर ट्रांसफर होता रहता है। आप परेशान हो जायेंगे मेरे साथ।" सुचिता ने बताया।


"कोई बात नहीं। घर कि जिम्मेदारी मेरी रहेगी, तुम अपनी ड्यूटी करना।" अश्विन ने लिखा।


"एक बात तो बताईये!" सुचिता ने पूंछा।


"पूंछो।" अश्विन ने लिखा।


"शादी के वक्त आप अपनी बारात तो लायेंगे न! या मुझे ही आना होगा आपके यहाँ?" सुचिता फिर मजाक करने लगी।


"जैसा तुम चाहो। जो तुम कहोगी वैसा ही होगा।" अश्विन ने लिखा।


"आप सचमुच में ऐसे ही है या ये कोई जाल है मुझे फंसाने के लिए।" सुचिता बोली।


"एक पुलिस वाली होकर डरती हो।" अश्विन ने लिखा।


"सच कहूं तो ये सब मुझे सपना सरीखा लगता है।" सुचिता बोली।


"तुम्हारी मुश्किल मैं आसान किए देता हूं।" अश्विन ने लिखा।


"कैसे?" सुचिता ने पूंछा।


"हम इस रिश्तें को कुछ समय देते है। तब तक तुम्हें मुझे जानने- समझने का वक्त मिल जायेगा।" अश्विन ने लिखा।


"तब तक आपको कोई दूसरी मिल गयी तो?" सुचिता ने पूंछा।


"तुम्हें भी तो कोई दूसरा मिल सकता है..!" अश्विन ने लिखा।


"हो सकता है।" सुचिता ने लिखा।


"लेकिन मुझसे बड़ा पागल नहीं मिलेगा।" अश्विन ने लिखा।


"सच में!" सुचिता ने लिखा।


"तुमने एक बात गौर की!" अश्विन ने लिखा।


"क्या?" सुचिता ने पूंछा।


"रात के तीन बज चूके है और एक घंटे बाद तुम्हें परेड के लिए रेडी होना है!" अश्विन ने लिखा।


"अरे हां! सच में आपसे चेट करते हुये टाइम का पता ही नहीं चला। चलिए बाकी बातें कल करते है!" सुचिता ने लिखा।


"ओके। गुड नाइट डीयर!" अश्विन ने लिखा।


"और हां! गिलास में रखा अपना दूध जरूर पी लेना। बेचारा टेबल पर पड़े-पड़े बोर हो गया होगा।" सुचिता ने हंसी भरे इमोजी भेजे।


"तुम्हें ये सब कैसे पता चल जाता है?" अश्विन ने पूंछा।


"जैसे आपको पता चल जाता है मेरे बारे में।" सुचिता ने बताया।


"लव यू सुचिता।" अश्विन ने लिखा।


"इसका जवाब में कल दूंगी। बाय! गुड नाइड।" सुचिता ने लिखा और वह ऑफलाइन हो गयी। 


To be continue...


लेखक-

जितेन्द्र शिवहरे इंदौर 

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