भैया, भाभी और भाई दूज (कहानी)

 भैया, भाभी और भाई दूज (कहानी)

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✍️जितेन्द्र शिवहरे, इंदौर

कंकू , हल्दी और चावल से आरती की थाली संजाने में मीना भाभी का कोई जवाब नहीं था। इस भाई दूज पर मीना भाभी आरती की थाली किस तरह संजायेगी! सभी जानना चाहते थे। भाभी स्वयं इसके लिए उत्साहित थी। लेकिन घर में अधुरें कामों का अंबार लगा था। उसने पति से सहयोग मांगा। किन्तु वे तो दूज पर अपनी बहन के यहाँ जाने की तैयारी में मग्न थे। पति के बाद भाभी ने देवर के विषय में सोचा। लेकिन वह भी पति के साथ जाने वाला था। यदि वह घर पर रूक जाएं तो भाभी को बहुत मदद मिल जाती। 

'क्यों न चंचला को घर बुला लें?' भाभी ने सोचा।

फिर यकायक चेहरे के भाव बदलकर-

'न बाबा! दोनों के बीच जो चल रहा है, क्या मुझे पता नहीं? चंचला के आने से कृष तो रूक जायेगा मगर कहीं कुछ गड़बड़ हो गयी तो सभी उस पर नाराज होंगे?'

भाभी जल्दी-जल्दी घर के काम पूरे करने की कोशिश करने लगी। यहीं प्राथमिक उपाय था। लेकिन इससे बात नहीं बनने वाली, मीना ये जान चूकी थी।

वह अपनी सासू मां से मदद के लिए नहीं कह पाई क्योंकि उनके भी तो भाई आने वाले थे। इसीलिए तो उन्होंने कुछ अतिरिक्त कार्य भाभी को सौंप दिये थे।

भाभी का पसंदीदा नया सफारी सूट पहनकर ससूर जी घर में सभी को दिखा रहे थे। इतने सालों बाद भी उनकी दूज पर बहन के घर जाने की खुशी देखते ही बनती थी। 

मोबाइल की घंटी बज उठी। फोन पर मीना के भाई राजेश थे। वे पूंछना चाहते थे वे किस समय घर पहूंच जाएं तो ठीक रहेगा? उधेड़बुन में उलझी मीना निरूत्तर थी। मगर कुछ तो कहना था सो मीना ने वह किया जो तात्कालिक परिस्थिति में उसे श्रेष्ठ लगा।

उसने चेन की सांस ली। पति और देवर को विदा करने के बाद ससूर भी अपनी बहन के यहाँ चले गये। मीना भाभी अब मामा ससुर की अगवानी में लग गयी। पकवानों की सुगंध और उनका स्वाद जीभ से भले ही चला गया हो लेकिन मीना भाभी की सेवा भावना ने घर में सभी का दिल जीत लिया।

अगले दिन भाभी के कहे अनुसार राजेश भैया घर आये। भाभी द्वारा किये गये पिछले दिन का हिसाब-किताब ससूराल में सभी ने मिलकर चुकता किया।

आवश्यकता से अधिक आवभगत पाकर राजेश भैया गदगद थे। मीना भाभी को बहन स्वरुप पाकर राजेश गर्व से फुले नहीं समा रहे थे। उन्होंने तो फोन पर ही परीजनों को इस अद्भुत सत्कार का विस्तृत विवरण देना शुरु कर दिया था।

समाप्त 

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✍️जितेन्द्र शिवहरे, इंदौर

मो. 7746842533

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