रिध्दिमा (महिला युग)
रिध्दिमा (लघुकथा)
(सीरीज़- *"महिला युग"* एपीसोड -1)
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✍🏻J.shivhare
*रिध्दिमा* को 'देशद्रोही', 'गद्दार ' तक कहां जाने लगा था। नेशनल टीम का हिस्सा बनने से इंकार करने वाली शायद वह पहली महिला क्रिकेट खिलाड़ी थी। उसके साथी खिलाड़ी भी अचंभित थे। इस पर बहुत बहस हुई। रिद्धिमा को सोचने का एक आखिरी मौका दिया गया। तमिलनाडु को रणजी फाइनल तक पहुंचाने में उसका योगदान किसी से छिपा नहीं था। मगर आखिरी दांव बहुत मुश्किल था। एक-एक कर तमिलनाडु के बड़े खिलाड़ी चोटिल होकर फायनल मैच से बाहर होते जा रहे थे। ऐसे में आलराउंडर रिध्दिमा पर सबकी नज़र टिकी थी। भला वह अपनी जिम्मेदारी कैसे भूल जाती? देश की राष्ट्रीय टीम में एक से बढ़कर एक खिलाड़ीयों की फौज थी। इस समय प्रदेश को रिद्धिमा की ज्यादा जरूरत थी और संकट के समय वह प्रदेश की टीम को भगवान भरोसे नहीं छोड़ सकती थी।
तब ही आस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेट टीम टेस्ट मैच खेलने भारत आ पहूंची। रिध्दिमा के लिए ये बहुत बड़ा अवसर था। नेशनल टीम में खेलकर वह देश-दुनियां में नाम कमा सकती थी। लेकिन वह अपना अंतिम निर्णय सभी को सुना चूकी थी। उसने प्रदेश को रणजी फाइनल में विजय बनाने का संकल्प जो लिया था। रिद्धिमा रणजी फायनल के बाद ही आस्ट्रेलिया से भिड़ने को तैयार थी। शुरू में विरोध सहने वाली रिध्दिमा रणजी फायनल में बे-मिशाल प्रदर्शन कर एकाएक सबकी चहेती बन गयी। आस्ट्रेलियाई टीम भी रणजी फाइनल देखने वानखेड़े पहूंची। सबने रिद्धिमा की प्रंशसा की। मुबंई के सामने भले ही तमिलनाडु मैच हार गयी हो, लेकिन रिध्दिमा ने फैन्स के साथ सिलेक्टर्स का भी दिल जीत लिया था। आस्ट्रेलियाई टीम के साथ अपना पहला मैच खेलने ऊतरी रिद्धिमा उस शिखर पर पहूंच चूकी थी जहां उसे डैब्यू मैच खेलने के बाद पहूंचना था।
समाप्त
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🎖जितेन्द्र शिवहरे, इंदौर
मो.7746842533
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